Eros Times: स्नो लेपर्ड की संख्या भारत में करीब 6/700 है और विश्व में ये संख्या 5/6000 है। हिम तेंदुआ 18000 फिट की ऊंचाई पर हिमालय क्षेत्र में पाया जाता है, विश्व के करीब 200 देशों में से हिम तेंदुआ सिर्फ 12 देशों में पाया जाता है। जिसमें भारत चीन भूटान नेपाल पाकिस्तान रूस और मंगोलिया मुख्य देश है। हिम तेंदुआ दिवस में विश्वभर के जीव जन्तु प्रेमी वन्यजीव फोटोग्राफर खुद से वायदा करते है कि किसी जन्तु के जीवन को बचाने की कोशिश लगातार होते रहनी चाहिए।
गांव कस्बों में कस्बे शहर में और शहर कंक्रीट के जंगलों में तब्दील होते जा रहे है। वन्यजीव फोटोग्राफर योगेश भाटिया कहते है हम उनकी दुनियां में दखल देते है उनकी जगहों पर रिहाईश बनाते है और जब कोई चीता किसी जानवर या इंसान पर आक्रमण करता है तो हम कहते जानवर खूंखार हो गया। यह लड़ाई चलती रहेगी। इसमें सामंजस्य बनाना पड़ेगा। वन्यजीव फोटोग्राफी की दुनिया में योगेश भाटिया का नाम काफ़ी प्रसिद्ध है। उन्होंने 60 वर्ष की उम्र के बाद इस क्षेत्र में कदम रखा, लोग रिटायरमेंट की तैयारी करते है इस उम्र में बचपन से ही फ़ोटोग्राफी का शौक तो था लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारी और व्यापार में व्यस्तता के चलते शौक को असल जामा नही पहना पाया।जब दोनो बच्चे जर्मनी में अपने अपने कामों में व्यवस्थित हो गए तो वाइल्डलाइफ फ़ोटोग्राफी के शौक को व्यवसायिक पहचान दी और विश्व में पहचान बनाई न केवल उनके साथी फोटोग्राफरों को प्रेरित किया, बल्कि युवा पीढ़ी को भी अपने दृष्टिकोण से प्रेरित किया।
उन्होंने 14000 फीट की ऊँचाई पर हिम तेंदुआ की शानदार तस्वीरे कैद की, इस खुबसूरत हिम तेंदुआ की फोटो खींचने के लिए मुझे 8 घण्टे तक एक ही स्थान पर इंतजार करना पड़ा लेकिन कठिन धैर्य के बाद जो परिणाम आया वो फोटो के माध्यम से आपके सामने है।जो वन्यजीवों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। उनकी मेहनत और समर्पण का परिणाम है यह शानदार धैर्य और दृढ़ता। सोनी आल्फा 1 कैमरे के साथ जुड़े 400 मिमी जी मास्टर एफ 2 लेंस के साथ योगेश भाटिया ने उपकरणों का उपयोग करके अद्वितीय तस्वीरें बनाई।
वे वन्यजीवों के प्राकृतिक सौंदर्य को उज्जवल और कठिन दृश्यों के साथ मिलाकर प्रस्तुत करते हैं। उनके कैमरे ने अफ्रीकी सवानों और भारतीय जंगलों की जटिलता को प्रकट किया, प्रत्येक फ़ोटो वन्यजीवों की खासियत और सहनशीलता की प्रशंसा करती है।योगेश भाटिया की कहानी वन्यजीवों के प्रति आकर्षित करने वाली नई पीढ़ी को प्रेरित करती है, उनके काम ने अफ्रीकी और भारतीय दिलों में वन्यजीवों के प्रति आकर्षण को बढ़ावा दिया।
उनकी प्रेरणास्त्रोत की भूमिका सीमाओं को पार करती है, संस्कृतियों को जोड़ती है, और प्रकृति की महानता की प्रतिष्ठा को उच्च स्थान पर लाने में मदद करती है। जैसे-जैसे उनका काम आगे बढ़ता है, योगेश भाटिया की दिलचस्प छवियाँ वन्यजीवों और उनके आवासियों के प्रति गहरी प्रशंसा को बढ़ावा देती है,
हमें कला, प्राकृति, और मानव आत्मा के बीच के गहरे संबंध की महत्वपूर्ण बातों की याद दिलाती है। योगेश भाटिया का मानना है आज सबके हाथ में स्मार्ट फ़ोन है मैं बच्चो से अपनी युवा साथियों से कहना चाहता हूं प्रतिदिन कुछ फोटो प्रकृति के अवश्य खींचे इससे आपका प्रकृति से लगाव बढ़ेगा उसको बचाने की चाह बढ़ेगी।