निलंबन का आश्चर्य

राजेश बैरागी-
किसी सरकारी अधिकारी द्वारा सामान्य से छोटी कमीज पहनने की क्या वजह हो सकती है? इस प्रश्न को स्मृति में रखते हुए एक और प्रश्न पर विचार करते हैं कि औसत पढ़ा लिखा व्यक्ति नोएडा जैसे प्राधिकरण के नियोजन विभाग का प्रमुख बनकर भवनों के नक्शे कैसे पास कर सकता है? उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर निलंबित विशेष कार्याधिकारी रविन्द्र सिंह यादव को सामान्य से छोटी कमीज पहनने का शौक था। इससे पेंट में खोंसी गई पिस्तौल किसी को भी आसानी से दिखाई दे जाती है। प्राधिकरण में ड्यूटी के दौरान पिस्तौल लगाकर आने का उद्देश्य अपनी सुरक्षा नहीं बल्कि कुछ और था। प्राधिकरण में एक ही समय में भवन, आवासीय भूखंड और उद्योग विभागों को बतौर प्रमुख संभालने की योग्यता एक दो लोगों में ही रही है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बहनोई नरेन्द्र पाल गौतम और रविंद्र सिंह यादव। इनकी शैक्षिक योग्यता की खोज आज भी जारी है परंतु तत्कालीन मायावती और मुलायम सरकारों से निकटता इन्हें पहलवान बनाए रही।इन लोगों ने ईमानदारी की आय की कभी परवाह नहीं की। रविन्द्र सिंह यादव ने लंबे समय तक नोएडा प्राधिकरण के नियोजन विभाग के प्रमुख का काम भी संभाला।उस दौरान उन्होंने असंख्य भवनों के नक्शे पास किये, असंख्य अधिभोग और पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किए। इस विभाग का प्रमुख वरिष्ठ स्तर का अभियंता होता है। रविन्द्र सिंह यादव अभियंता नहीं हैं। तो क्या उनके हस्ताक्षर से जारी नक्शों,ओसी,सीसी को अब अमान्य कर देना चाहिए?यह प्रश्न उन तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारियों के लिए है जिन्होंने नोएडा प्राधिकरण में अपनी नियुक्ति बचाए रखने के लिए रविन्द्र सिंह यादव जैसे अधिकारियों के कदमों में अपनी अखिल भारतीय सेवा की गरिमा को दण्डवत लिटा दिया था। कमिश्नर और प्रमुख सचिव स्तर का आईएएस अधिकारी जब अपने से कई स्तर निचले मातहत को चाय पीने का न्योता देने लगे तो यह समझना क्या मुश्किल है कि वह नौकरी नहीं चाकरी कर रहा है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों में ऐसे चाकर हमेशा रहे हैं। रविन्द्र सिंह यादव जैसे लोग कभी कभी ही निलंबित हुए हैं।(साभार:नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)

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