EROS TIMES:एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवांयरमेंटल साइंसेस द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘‘भूमि पुनर्स्थापन, मरूस्थलीकरण एंव सूखे से निपटने की क्षमता’’ पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में आपदा जोखिम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की वरिष्ठ विशेषज्ञ श्रीमती क्लारा एरिज़़ा, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अपर निदेशक डा सुधीर चिंतलपति, मेघालय के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो जी डी शर्मा, एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवांयरमेंटल साइंसेस की सहायक निदेशक डा रेनू धूप्पर ने अपने विचार रखे।
वेबिनार में आपदा जोखिम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की वरिष्ठ विशेषज्ञ श्रीमती क्लारा एरिज़़ा ने संबोधित करते हुए कहा कि पृथ्वी की शुष्क भूमि ने लगभग 6.1 बिलियन हेक्टयर का क्षेत्र कवर कर रखा है जो वैश्विक जनसंख्या के लगभग 40 प्रतिशत लोगों के लिए घर और जीवन रेखा है। जलवायु परिवर्तनशीलता और सतत मानवीय गतिविधियों के कारण 10 से 21 प्रतिशत शुष्क भूमि क्षरित हो गई है। जलवायु परिवर्तन और अपेक्षित जनसंख्या बृद्धि शुष्क भूमि खाद्य उत्पादन प्रणाली की स्थिरता को खतरा पहंुचाती है। श्रीमती एरिजा ने कहा कि चुनौतियों के अनुसार यह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन के तहत शुष्क भूमि वन और कृषि वन पशुपालन प्रणालियों और संबंधित आजीविका की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्होनें कहा कि प्रभावी शुष्कभूमि प्रबंधन अनुभव पर आधारित एक सरल मार्गदर्शक ढांचा बनाने की आवश्यकता है जो स्थानीय संदर्भ के अनुकूल भी होना चाहिए। श्रीमती एरिजा ने कहा कि स्थायित्व दृष्टिकोण के लिए नीति, संस्थागत और व्यवहारिक पहल को स्थानीय एंव राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित किया जाना चाहिए। इस अवसर पर उन्होनें आर्थिक स्थायित्व स्तंभ, समाजिक स्थायित्व स्तंभ और पर्यावरणीय स्थायित्व स्तंभ सहित दृष्टिकोण के परिचालन के संर्दभ में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण एक ही देश में अलग अलग क्षेत्रों में कई आपदाये एक साथ दिख रही है जिसमें एक तरह अत्यधिक गर्म मौसम, हीटवेव चल रहा है वही कुछ क्षेत्रों के वनो में आग लग रही है जबकी कुछ क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात है। प्रदूषण, बढ़ते शहरीकरण, बाढ़ से क्षरण आदि से भूमि का क्षेत्रफल कम हो रहा हैत्र जिसके लिए पौधारोपण हेतु जागरूकता आवश्यक है। एमिटी, पर्यावरण से जुड़े क्षेत्रो ंमेे शोध व नवाचार को प्रोत्साहित करता है और इस प्रकार के वेबिनार से हम निश्चित ही नये ज्ञान का सृजन करेगें। उन्होनें कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें भूमि के क्षरण को रोकना होगा और पर्यावरण को बढ़ाना होगा।
भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अपर निदेशक डा सुधीर चिंतलपति ने कहा कि पर्यावरण के प्रति विश्व भर में चल रहे कार्यो की सुनिश्चितता के लिए हम विश्व पर्यावरण दिवस मनाते है जिसमें हम प्रदूषण, भूमि का क्षरण, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन आदि मुददों पर चर्चा करते है। इस मुहिम को सफल बनाने के लिए हर व्यक्ति, संस्थान, सरकार, अन्य एजेंसियों आदि को अपने स्तर पर कार्य करना होगा। नवीकरणीय उर्जा का उपयोग, ग्रीन तकनीकी को बढ़ावा देकर, प्लास्टिक का उपयोग बंद करने के साथ छोटे छोटे कदम जैसे पुनर्नवीनीकरण पैकेजिंग में पैक होने वाले उत्पादों का प्रयोग, उर्जा बचाने आदि से लक्ष्य को हासिल कर सकते है।
मेघालय के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो जी डी शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री के शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें उर्जा के नवीकरणीय स्त्रोतों का उपयोग करना होगा। समस्याओं के निवारण के लिए हमें अच्छे वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देना होगा इसके साथ समुदाय के ज्ञान के साथ सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने कहा कि भूमि पुनर्स्थापन के लिए तकनीकी मौजूद है किंतु उससे बेहतर संरक्षण है। हम जो भी नीति या निर्देश बनाये उसका सही तरीके से पर्यावरणीय प्रभावी आंकलन आवश्यक है। डा बंद्योपाध्याय ने कहा कि खाद्य सुरक्षा, उर्जा की पहुंच और जल की उपलब्धता तीन वैश्विक स्थायीत्व गंभीर आवश्यकता है जिसके लिए सभी वैश्विक नेताओं द्वारा सामूहिक प्रयास किये जा रहे है। इस लबंी यात्रा में मध्य के रिक्त स्थान को केवल विज्ञान, नीति और पांरपरिक ज्ञान से भरा जा सकता है।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवांयरमेंटल साइंसेस की सहायक निदेशक डा रेनू धूप्पर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों की उपलब्धियों का उत्सव मनाने और आपसी ज्ञान को साझा करने के लिए आज विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवांयरमेंटल टॉक्सीकोलॉजी, सेफ्टी एंड मैनेजमेंट की निदेशक डा तनु जिंदल, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवांयरमेंटल साइंसेस की डा रिचा नागर ने अपने विचार रखे।