फ़िल्मी दुनिया के जाने माने अभिनेता विनोद खन्ना (70) का हुआ निधन, गुरुवार सुबह 11.20 बजे ली अंतिम सांस

मुंबई, इरोस टाइम्स: आज एक बेहद ही दुखद समाचार आया, कि फ़िल्मी दुनिया के जाने माने अभिनेता विनोद खन्ना (70) का निधन हो गया। उन्हें गाल ब्लैडर का कैंसर था। पिछले ढाई महीने से विनोद का गिरगांव के एचएन रिलायंस फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर में इलाज चल रहा था। अप्रैल की शुरुआत में उनकी एक फोटो भी सामने आई थी। इसमें वे बेहद कमजोर नजर आ रहे थे। खन्ना ने करीब 144 फिल्मों में काम किया। वे पंजाब के गुरदासपुर से बीजेपी सांसद थे। गुरुवार को अमिताभ बच्चन अपकमिंग मूवी ‘सरकार 3’ के लिए इंटरव्यू दे रहे थे। जैसे ही उन्हें खन्ना के निधन की खबर मिली, वे इंटरव्यू बीच में छोड़कर सीधे अस्पताल की ओर निकल गए। खन्ना का अंतिम संस्कार गुरुवार शाम 4:30 बजे बाणगंगा श्मशान घाट पर होगा।

सुबह 11.20 पर ली अंतिम सांस…

– हॉस्पिटल के मुताबिक, खन्ना ब्लैडर कार्सिनोमा से जूझ रहे थे। उन्होंने गुरुवार सुबह 11.20 बजे अंतिम सांस ली।

– विनोद खन्ना 2015 में शाहरुख-काजोल स्टारर ‘दिलवाले’ के बाद फिल्मों में नजर नहीं आए। उन्होंने गुरदासपुर में कुछ महीने पहले कहा था कि उन्हें 2010 से कैंसर है। इसी वजह से वे पब्लिक लाइफ से दूर हैं। उनके परिवार में पहली पत्नी गीतांजलि और बेटे राहुल-अक्षय हैं। दूसरी पत्नी से कविता, बेटा साक्षी और बेटी श्रद्धा है।

– इस बीच, गुरुवार रात होने वाला बाहुबली-2 का प्रीमियर विनोद खन्ना के सम्मान में कैंसल कर दिया गया। करन जौहर ने यह जानकारी दी।

सेलेब्स से लेकर नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

– विनोद जी ने अपने सरल और करिश्माई व्यक्तित्व से जनता पर गहरा प्रभाव छोड़ा था। उनकी आत्मा को शांति मिले और भगवान उनके परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति दे। – सोनिया गांधी
– अपनी शैली के बेहतरीन कलाकार विनोद खन्ना हमारे बीच नहीं रहे। उनके जाने से फिल्म इंडस्ट्री को बड़ी क्षति पहुंची है। – लता मंगेशकर

– विनोद खन्ना अपनी लार्जर देन लाइफ परफॉर्मेंस और ग्रेशियसनेस के लिए याद किए जाएंगे। उनके जैसे कम ही लोग होते हैं। सर, आप बहुत याद आएंगे। – अनुपम खेर

-फिल्मों और राजनीति में विनोद खन्ना का करियर शानदार था। उन्होंने करोड़ों भारतीयों के दिलों में एक खास जगह बनाई। विनोद खन्ना जी के निधन के साथ भारत के लोगों ने एक शानदार एक्टर और सेंसेटिव पॉलिटिशियन को खो दिया है। उनकी

आत्मा को शांति मिले।- राजनाथ सिंह

-विनोद खन्ना एक प्रभावशाली और प्यारा व्यक्तित्व, बेहद हैंडसम और टैलेंटेड सुपरस्टार अब हमारे बीच नहीं रहे। फिल्मों से लेकर राजनीति तक विनोद और मैं साथ रहे। वे अपने पीछे पूरी एक जनरेशन, फैन्स, दोस्त और शुभचिंतकों को छोड़ गए हैं।

लव यू, मिस यू। – शत्रुघ्न सिन्हा

– विनोद खन्नाजी के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ। वे आखिरी वक्त तक एक अच्छे इंसान और स्टार रहे। उनके परिवार के साथ मेरी संवेदना है।- आशा भोसले

– अमर (अमर अकबर एंथोनी में विनोद खन्ना का कैरेक्टर) आप बहुत याद आओगे।- ऋषि कपूर

पाकिस्तान में हुआ था जन्म, चाहते थे इंजीनियर बनना…..

– विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार मुंबई में बस गया। पिता टेक्सटाइल बिजनेसमैन थे, लेकिन विनोद साइंस के स्टूडेंट रहे और पढाई के बाद इंजीनियर बनने का सपना देखा करते थे। पिता चाहते थे कि वे कॉमर्स लें और पढ़ाई के बाद घर के बिजनेस से जुड़ें। स्कूलिंग के बाद पिता ने उनका एडमिशन एक कॉमर्स कॉलेज में भी करा दिया था, लेकिन विनोद का पढ़ाई में मन नहीं लगा।

अभिनेता सुनील दत्त के जरिए हुई थी बॉलीवुड में एंट्री

– विनोद की सुनील दत्त से एक पार्टी में मुलाकात हुई थी। उस वक्त सुनील के छोटे भाई सोम दत्त अपने होम प्रोडक्शन में ‘मन का मीत’ बना रहे थे। इसमें सुनील दत्त को अपने भाई के किरदार के लिए किसी नए एक्टर की तलाश थी। विनोद खन्ना की पर्सनैलिटी, ऊंची कद-काठी को देखकर सुनील दत्त ने उन्हें वह रोल ऑफर किया। यह फिल्म 1968 में रिलीज हुई और बॉलीवुड में विनोद की एंट्री हुई।

पिता ने कहा था- फिल्मों में गए तो वे उन्हें गोली मार देंगे

– जब विनोद खन्ना ने सुनील दत्त का ऑफर कबूल किया तो उनके पिता नाराज हो गए। उन्होंने विनोद पर बंदूक तान दी और कहा कि यदि वे फिल्मों में गए तो वो उन्हें गोली मार देंगे।

– हालांकि, विनोद की मां ने उनके पिता को इसके लिए राजी कर लिया। पिता ने कहा कि अगर विनोद दो साल तक कुछ ना कर पाए तो उन्हें फैमिली बिजनेस ज्वाइन करना होगा
करियर का टर्निंग प्वाइंट

– विनोद के करियर में टर्निंग प्वाइंट 1971 में आया। उसी साल उन्होंने सुनील दत्त और अमिताभ बच्चन स्टारर ‘रेशमा और शेरा’ की। गुलजार की ‘मेरे अपने’ में उनकी एक्टिंग की तारीफ हुई। इस साल उन्होंने करीब 10 फिल्में कीं। 1973 में गुलजार के डायरेक्शन में बनी ‘अचानक’ से उन्होंने बॉलीवुड में अपने पैर मजबूती से जमा लिए।

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