एरोस टाइम्स ब्यूरो,नई दिल्ली। बंद हो चुकी विजय माल्या की कंपनी ‘किंगफिशर एयरलाइंस’ को बैंक से कर्ज दिलाने में यूपीए तत्कालीन सरकार के दौरान एक वरिष्ठ नौकरशाह ने उनकी मदद की थी। आपको बता दे की विजय माल्या किंगफ़िशर शराब के मालिक हैं। सूत्रों के मिले हवाले से इस भगोड़े कारोबारी के ई-मेल्स में इस बात का खुलासा हुआ है। ई-मेल्स से पता चलता है कि यूपीए सरकार के दौरान संयुक्त बैंकिंग सचिव रहे अमिताभ वर्मा ने विजय माल्या और सरकार व बैंकों के बीच मध्यस्थता कर किंगफिशर एयरलाइंस को ढहने से बचाने के लिए बेलआउट पैकेज दिलाने पर जोर लगाया था ।
फरवरी, 2009 में माल्या ने अपनी एयरलाइंस कंपनी के तत्कालीन मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) रवि नेदुंगड़ी को लिखे एक ई-मेल में बताया था कि सरकार ने किंगफिशर की पूरी मदद का भरोसा दिया है। माल्या ने इस मेल में लिखा हैं, ‘तब के बैंकिंग सचिव और एसबीआई तथा पीएनबी के तत्कालीन प्रमुख के बीच इसी महीने (फरवरी, 2009 में) बैठक होने वाली है।’
इस बाद अगला ई-मेल 18 फरवीर, 2009 का है, जिसमें माल्या लिखते हैं ‘मैं आपको यह बताते हुए खुशी है कि मेरी प्रजेंटेशन के बाद वित्त मंत्रालय ने व्यापक वित्तीय पुनर्गठन के लिए मांगे गए पैकेज को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।’ इस मेल में माल्या आगे लिखते हैं, ‘उन्होंने (शरद) पवार और मेरी मौजूदगी में मुख्य आर्थिक सलाहकार से कहा कि सरकार किंगफिशर की मदद करेगी और उन्होंने दिल्ली में 25-26 फरवरी को बैंकिंग सचिव और एसबीआई व पीएनबी के अध्यक्षों के साथ बैठक बुलाई है।’
इंडिया टुडे को मिले एक अन्य ईमेल में माल्या ने नेदुंगड़ी से किंगफिशर को एस.बी.आई से लोन दिलाने के लिए सीधे वित्त मंत्रालय से बात करने पर चर्चा की है। इस ई-मेल में माल्या ने लिखा हैं, ‘अगर आप चाहते हैं कि हमें अल्पावधि के लिए कर्ज देने को राजी बैंकों की विस्तृत सूचि के बारें में मैं वित्त मंत्रालय से बात करूं तो तत्काल बताएं. या फिर व्यापक वित्तीय मदद के लिए एसबीआई को दिए हमारे आवेदन पर मैं सीधे उनसे बात कर सकता हूं।’
इस अरबपति कारोबारी ने अपने तीसरे ई-मेल में अमिताभ वर्मा के साथ बिताए वक्त को लेकर चर्चा की है। इसमें उन्होंने यह भी दावा किया कि सभी सरकारी (PSUs) बैंकों ने किंगफिशर एयरलाइंस के लिए वित्तीय पैकेज को मंजूरी का आदेश दे दिया है।
किंगफिशर एयरलाइंस के तब सी.एफ.ओ रहे ए. रघुनंदन को लिखे ईमेल में माल्या कहते हैं कि , ‘मैं शाम को अमिताभ वर्मा के साथ था। उन्होंने कहा कि वह 7 दिनों में हमारे पैकेज को मंजूरी देने के लिए बैंकों को तैयार कर लेंगे।’ इसमें माल्या ने साथ ही पूछा है, ‘क्या यह पहले किया जाना चाहिए! मुझे जल्दी बताएं।’
हालांकि, रघुनंदन को इसके बाद के लिखे ई-मेल में यूको बैंक के तत्कालीन सीएमडी एसके गोयल को लेकर माल्या की झुंझलाहट साफ झलकती दिखाई पड़ती है। इसमें उन्होंने लिखा है कि, ‘रघु, मेरा शक सही था! मुझे शुरुआत से ही हमेशा यूको और गोयल पर शक रहा है। सबसे ज्यादा खीझ यह दिलाती है कि उन्हें तत्कालिकता का कोई आदर ही नहीं- 28 अक्टूबर को वित्त मंत्रालय से फोन जाने और यह बताने पर भी कि हमें अर्जेंट मिलना है, फिर वह 31 अक्टूबर को बैठक के लिए राजी हुए।’