नई दिल्ली: यह अविश्वसनीय सा लगता है लेकिन सर्वोदय अस्पताल के चिकित्सक डा. सुमंत गुप्ता, कैंसर केयर के हेड, डा. आदित्य मुरली और डा. शियम वातसल ने कर्णमूलीय कैंसर के कारण मौत की दहलीज पर बैठी एक 6 वर्षीय बच्ची को नया जीवन देने में सफलता हासिल की है। कैंसर के विभिन्न प्रकार में न केवल यह घातक श्रेणी का कैंसर माना जाता है बल्कि इसका ऑपरेशन भी जटिल होता है। लेकिन चिकित्सीय टीम ने अपनी सूझबूझ और चिकित्सा विज्ञान में अपनी अलग खोज के बूते इस मासूम को नया जीवन प्रदान किया है।
6 साल की स्वीटी फरीदाबाद की रहने वाली है। कान के निकट बाए गाल पर सूजन के चलते स्वीटी सरकारी अस्पताल में ईलाज के लिए पहुंची थी, जहां चिकित्सकों ने बच्ची को Mucoepidermoid कार्सिनोमा से ग्रस्त होने के विचार से बायोप्सी की सलाह दी। इस पर स्वीटी सर्वोदय अस्पताल प्रबंधन के पास पहुंची।
सर्वोदय अस्पताल में चिकित्सकों की टीम ने दो बार बच्ची की बायोप्सी जांच की, जिसमें कैंसर ट्यूमर होने की पुष्टि हुई। 6 महीने के बाद इसी बच्ची को infraclavicular क्षेत्र के निकट एक नए आवर्ति सूजन के साथ फिर लाया गया। FNAC ने जांच के बाद इस बीमारी की पुष्टि की। एमआरआई किया गया तो Intrapasrotid लिम्फनोड्स और गर्दन नोड्स के साथ कर्णमूलीय ट्यूमर दिखाई दिया। डॉक्टरों की टीम ने बच्ची के माता-पिता के साथ एक विस्तृत चर्चा की। उन्हें बताया कि बच्ची को जटिल सर्जरी प्रक्रिया से गुजरना होगा। इस सर्जरी के जरिए कर्णमूलीय कैंसर को हटा दिया जाएगा और गर्दन नोड्स हटाया जाएगा। शल्य चिकित्सा के दौरान यह पाया गया कि ट्यूमर कर्णमूलीय की गहरी पाली में मौजूद था। इस सर्जरी को लेकर चिकित्सकों के चेहरे पर तनाव था। दरअसल, चिकित्सकों के सामने बच्ची की जिंदगी को बचाते हुए यह सफल ऑपरेशन करना था। सभी तंत्रिकाओं के अलावा मुख्य तंत्रिका को नुकसान पहुंचाए बिना ऑपरेशन की शुरुआत की गई। बहादुर बच्ची ने सर्जरी को सहन किया। सर्जरी सफल रही। चार दिन बाद बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। वैसे तो यह रोग पुनरावृति वाला अर्थात दोबारा होने की संभावना भी रहती है लेकिन पेशेंट को स्थानीय विकिरण के जरिए इसे दोबारा होने की संभावना से भी रोक दिया गया।
Mucoepidermoid कार्सिनोमा एक ट्यूमर है। यह आम तौर पर लार ग्रंथियों में होता है। 18 वर्ष तक की आयु वर्ग की 5 प्रतिशत लड़कियां इस रोग से ग्रस्त रहती है। सिर और गर्दन के कैंसर के मुकाबले लार ग्रंथियों में कैंसर बहुत कम पाया जाता है। खास बात यह है कि व्यस्क और अव्यस्क में भी पाया जाता है।
डॉ. सुमंत गुप्ता, वरिष्ठ सलाहकार, कैंसर केयर विभाग ने कहा, यह सर्जरी जटिल जरूर थी लेकिन हम पेशेंट की जान बचा पाएं। अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिए बच्ची को नियमित रूप से विकिरण दिया जा रहा है। डा. सुमंत गुप्ता कहते हैं कि जो माता-पिता यह सोचते हैं कि कैंसर लाइलाज है तो यह सर्जरी उन लोगों के लिए सीख है। कम उम्र में कैंसर लाइलाज नहीं होता है।
डॉ शिवम वत्सल, सलाहकार, कैंसर केयर विभाग ने कहा “ऐसे जटिल मामलों में चेहरे की नसों को नुकसान होने की प्रबल संभावना थी। सुरक्षित प्रौद्योगिकी में उन्नति और उपलब्धता और राज्य के अत्याधुनिक उपचार के साथ, हम नन्हीं सी बच्ची को बचा पाए।
श्री अमित अग्रवाल, निदेशक, सर्वोदय अस्पताल फरीदाबाद ने कहा कि सर्वोदय अस्पताल नवीनतम उपकरणों और बेहतर इलाज के लिए कृतज्ञ है। रोगी की उत्कृष्ट देखभाल और जटिल बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल के पास अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संसाधन मौजूद है।
रोगी और उसके परिवार के सदस्यों ने भी खुशी के क्षण में अपना आभार कुछ यूं प्रकट किया हैः “हम सर्वोदय अस्पताल के डॉक्टर्स के आभारी है, जिन्होंने बच्ची को वापस उसके पैरों पर खड़ाकर दिया। डा. गुप्ता, डा. वात्सल और सर्वोदय अस्पताल को हम तहे दिल से धन्यवाद व्यक्त करते हैं।