EROS TIMES: छात्रों एवं शोधार्थियों को अंतःविषयक अनुसंधान व शिक्षण में उन्नति की जानकारी प्रदान करने हेतु एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेसिक सांइसेस द्वारा एमिटी एकेडमिक स्टाफ कॉलेज के सहयोग से ‘‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों में अंतःविषयक अनुसंधान एवं शिक्षण में उन्नति’’ विषय पर 15 दिवसीय ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन किया गया। इस 09 से 23 दिसंबर 2024 तक चलने वाले इस कोर्स का शुभारंभ गुजरात के राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. जे एम व्यास, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डॉ. बलविंदर शुक्ला, विज्ञान भारती के नेशनल ज्वाइंट ऑरगनाइजिंग सेक्रेटर प्रवीन रामदास, एमिटी विश्वविद्यालय की साइंस एंड टेक्नोलॉजी डोमेन की डीन डॉ. सुनिता रतन और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेसिक सांइसेस के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमरनाथ मिश्रा द्वारा किया गया। इस ऑनलाइन कोर्स में विभिन्न संस्थानों के 100 से अधिक अनुसंधान विद्वानों, वैज्ञानिक, विज्ञान शिक्षकों, स्वास्थय देखभाल व्यवायिकों, फॉरेसिक पेशेवरों आदि ने हिस्सा लिया।
गुजरात के राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. जे एम व्यास ने कहा कि जीवन के प्रारंभ होते ही विज्ञान और तकनीकी हमारे साथ होती है और जीवन की समाप्ती तक यह हमारे साथ रहती है। जानकारी प्राप्त करना ज्ञान है किंतु शोध द्वारा विशिष्ट ज्ञान को प्राप्त करना ही विज्ञान है। उन्होनें कहा कि किसी भी नतीजे तक पहुंचने के लिए की गई प्रक्रिया को अनुसंधान कहते है। उत्पाद पहले ही उपलब्ध है आपको केवल उस पहुंचने की प्रक्रिया को प्राप्त करना है जो आसान हो और कम खर्च में उपलब्ध हो। विज्ञान एवं अनुसंधान हमारे जीवन को आसान बनाता है। नई प्रौद्योगिकीयां जहां जीवन को आसान बना रही है वही अपराधी उनका उपयोग अपराध के लिए कर रहे है इसलिए अब हमें सुरक्षा युक्त और दुरूउपयोग ना हो पाने वाली तकनीकी इजाद करनी होगी। अब अनुसंधान के साथ हमें रोकथाम व सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा। नये अनुसंधान, नये विकास, नई सुरक्षा के साथ आयेगें। इस प्रकार के रिफ्रेशर कोर्स आप सभी को नवनीतम शोधों व विचारों को जानने का अवसर प्रदान करेगें।
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डॉ. बलविंदर शुक्ला ने कहा कि एमिटी द्वारा आयोजित यह 15 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स आपको अपने विचारों को प्रकट करने, नये विचारों को जानने, नये सहयोग संभावनाओं को मंच प्रदान करेगा। जिस तरह नित नये अपराध बढ रहे है उनसे निपटने के लिए आधुनिक तकनीक की आवश्यकता है। भविष्य के फॉरेसिंक विज्ञानीयों की क्षमता और कौशल को विकसित करना होगा। प्रधानमंत्री के विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए अंतःविषयक अनुसंधान बेहद आवश्यक है।
विज्ञान भारती के नेशनल ज्वाइंट ऑरगनाइजिंग सेक्रेटरी प्रवीन रामदास ने कहा कि एमिटी और विज्ञान भारती का साथ काफी पुराना है और हमने एमिटी के साथ मिलकर साथ कार्य किया है। इस प्रकार के रिफ्रेशर कोर्स प्रतिभागीयों के लिए ना केवल वर्तमान में बल्कि भविष्य में भी बेहद सहायक होगें।
एमिटी विश्वविद्यालय की साइंस एंड टेक्नोलॉजी डोमेन की डीन डॉ. सुनिता रतन ने कहा कि यह विषय समय की मांग है जिसमें आपको अपने क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ मिलकर कार्य करना जरूरी है। आप चाहे भी तो हर क्षेत्र के विशेषज्ञ नही बन सकते है और किसी भी नइ तकनीक या उत्पाद को विकसित करने के लिए अंतःविषयक सहयोग आवश्यक है। वर्तमान में नेपथ्य में किया गया अनुसंधान काफी नही है इसलिए आपसी सहयोग पर ध्यान केन्द्रीत करना होगा।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेसिक सांइसेस के एसोसिएट प्रोफेसर और इस रिफ्रेशर कोर्स के प्रोग्राम डायरेक्टर डा अमरनाथ ़िमश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस 15 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स में 100 से अधिक प्रतिभागी देश विदेश के विभिन्न संस्थानो जैस आरआईएमएस रांची, एम्स दिल्ली आदि से हिस्सा ले रहे है। विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न सत्रों के माध्यम से प्रतिभागीयों को जानकारी प्रदान की जायेगी।
प्रथम दिन तकनीकी सत्र मे नोएडा के नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ बायोलॉजिकल्स की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गौरी मिश्रा ने ‘‘अंतः विषयक शोध एवं विज्ञान व तकनीकी में शोध’’ विषय पर और राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान – सीएसआईआर की वरिष्ठ प्रमुख वैज्ञानिक डा ताराकांता जाना ने ‘‘रचनात्मकता, नवाचार और उद्यमिता’’ पर अपने विचार रखे।