EROS TIMES: गाजियाबाद, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती का 141 वाँ बलिदान दिवस ऑनलाइन आयोजित किया गया।य़ह कोरोना काल से 677 वाँ वेबिनार था। उल्लेखनीय है कि 30 अक्टूबर 1883 को अजमेर में स्वामी जी का बलिदान हुआ था।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महर्षि दयानन्द समग्र क्रांति के अग्रदूत थे।उनका प्रभाव समाज के हर क्षेत्र में दिखाई देता है।उन्होंने महिलाओं के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया यज्ञ करने,वेद पढ़ने का अधिकार दिया।बाल विवाह का विरोध किया साथ ही विधवा विवाह का समर्थन किया।उन्होंने कहा कि कोई कितना ही करे परंतु स्वदेशी राज्य सर्वोपरि हैI स्वामी जी ने देश की आजादी के लिए आह्वान किया उनसे प्रेरणा लेकर अनेक नौजवान आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।स्वामी जी ने गुरूकुल शिक्षा प्रणाली का समर्थन किया।स्वामी जी ने पाखंड अंधविश्वास कुरीतियों पर सीधा प्रहार किया वह एक निर्भीक सन्यासी थे उन्होंने वैचारिक क्रांति का शंखनाद कर लोगो की सोचने की दिशा ही बदल ड़ाली।आज स्वामी जी के आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है।
प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने कहा कि विश्व में लगभग 7000 आर्य समाज व 650 के लगभग डी ए वी विद्यालय,साथ ही 350 गुरुकुल स्वामी जी के संदेश का प्रसार प्रचार कर उनके स्मारक के रूप में कार्य कर रहे हैं।अनेक महिला आश्रम,अनाथालय उनकी कीर्ति को बढ़ा रहे हैंI
सुधीर बंसल ने कहा कि स्वामी जी ने विष पीकर भी संसार को अमृत दिया।
आर्य विदुषी उषा सूद, प्रवीना ठक्कर, जनक अरोड़ा, प्रो. करुणा चांदना,कौशल्या अरोड़ा, कुसुम भंडारी, रविन्द्र गुप्ता, दीप्ति सपरा, सुनीता अरोड़ा, रचना वर्मा, कृष्णा गांधी, संतोषधर आदि ने अपने विचार रखे और स्वामी जी की शिक्षाओं पर चलने का आह्वान किया।