
Eros Times: नोएडा सेक्टर 44 स्थित महामाया बालिका इंटर कॉलेज में 18 से 21 अक्टूबर तक चारु कैसल फाउंडेशन द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय लोकनृत्य महोत्सव कल्चर कनेक्ट्स का आयोजन उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग व संस्कृति विभाग के सहयोग से किया जा रहा हैं, इस महोत्सव को यूनेस्को की साझेदारी भी प्राप्त हैं व इस महोत्सव का आयोजन यूनेस्को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH कन्वेंशन 2003 ) सम्मेलन की 20वीं वर्षगांठ के समर्थन में किया जा रहा है जो अपने आप में इस कार्यक्रम को और उच्च कोटि का बनाता है।
समारोह के मुख्य आयोजक कपूर वीर भान ने बताया कि इस सांस्कृतिक आयोजन में भारत समेत 10 देश जिसमे पोलैंड, रोमानिया, बुल्गारिया, थाईलैंड , साउथ कोरिया , इंडोनेशिया, उज़्बेकिस्तान , किर्ग़िज़स्तान, श्रीलंका से लोक नृतक समूह अपने अपने देशो व राज्यों के पारम्परिक लोकनृत्य, विभिन्न वेशभूषाओं – गहनों से सुसज्जित होकर दर्शको को मंत्र मुग्ध करेंगे। इस लोकनृत्य महोत्सव का आयोजन 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर को प्रतिदिन साय: चार बजे से सेक्टर 44 स्थित महामाया बालिका इंटर कॉलेज में किया जाएगा।
कला संस्कृति भाईचारे को बढ़ावे देते यह लोकनृत्य विविध श्रेणी में एक उत्सव स्वरुप , विभिन्न कहानियों से सम्बंधित हैं । लोकनृत्य गृहप्रवेश , घर में बच्चों के जन्म के अवसर पर, शादी समारोह, फसलों के पकने पर, मौसम , त्यौहार, ख़ुशी के आगमन पर आमतौर पर आम जनजीवन द्वारा किये जाने वाले नृत्य हैं। अधिकतर लोकनृत्य , पारम्परिक वेशभूषाओं मै समूहों में किये जाते हैं।
संस्था के महासचिव पवन कपूर ने बताया कि इस चार दिवसीय उत्सव का उद्घाटन समारोह 18 अक्टूबर व लोकनृत्यों का प्रदर्शन साय: 4 बजे होगा, 19 अक्टूबर को शाम 4 बजे , 20 अक्टूबर को सुबह 10 बजे व साय: 4 बजे, 21 अक्टूबर को सुबह 10 बजे समूह लोकनृत्य (विविधता मे एकता) को दर्शाती सभी उपस्थित लोकनृतक दल एक साथ नृत्य कर सभी को एकता का सन्देश देंगे। इस समूह नृत्य मे कोई भी छात्रा , महिला भाग ले सकती हैं जिसके लिए पहले आयोजकों के पास रजिस्ट्रेशन करवाना होगा ।
भारत मे प्रत्येक राज्य में अपने ही स्तर पर सं संगठित लोकनृत्य का आयोजन होता हैं , जिसमे मुख्य बिहू , गरबा , लावणी , डांडिया , कालबेलिया , भंगड़ा, रूफ , चारि , हरयाणवी , गोंधळ व रासलीला , मयूरनृत्य , छाहू आदि व कई अन्य लोकनृत्य आम जान जीवन को अपनी और आकर्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की अभिनव संस्कृति शास्त्रों वर्षो पुरानी हैं जो अपने अंदर सामाजिक विविधता व एक रूपता लिए हुए हैं। भारत देश के लोकगीतों , पारम्परिक रीति रिवाज़ो पर आधारित हमारी संस्कृति जो सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु विश्व में एक अलग पहचान बनाये हुए है ।
चारु कैसल फाउंडेशन जोकि पिछले 20 वर्षो से निरंतर कला संस्कृति के उत्थान के लिए अपने अथक प्रयासों से पूर्ण रूपेण अपने दायित्व का निर्वाह करता आ रहा है , व देश विदेश मे भारत की संस्कृति (लोकनृत्य व चित्रकारी ) का प्रसार व प्रचार कर रही हैं ।चारु कैसल फाउंडेशन खासकर भारत में शिक्षण संस्थाओ में युवाओं को कला संस्कृति को जागृत करने हेतु अनेको कार्यक्रम को आयोजित करती आ रही हैं जिसमे मुख्य लोकनृत्य प्रतियोगिता व उत्सव , कला को जागृत करती चित्रकारी प्रतियोगितायें, प्रदर्शनी, वर्कशॉप्स, सांस्कृतिक कांफ्रेंस हैं।
फाउंडेशन द्वारा आयोजित लोकनृत्य उत्सवों में अभी तक लगभग 62400 से अधिक लोकनृत्यकाओं ने भाग लिए हैं , जो की भारत के विभिन प्रदेशो मैं आयोजित हो चुके हैं।
संस्था के कार्य को प्रोत्साहित करने हेतु यूनेस्को ने प्रशंसा पत्र लिख उत्साहित किया है, इसके साथ साथ संस्था का नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स (2 रिकार्ड्स ) व इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में भी दर्ज हैं।
चारु कैसल फाउंडेशन विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति को उजागर करते हुए एक उच्च स्थान अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर भी बनाया है।
इस कार्यक्रम के लिए यूनेस्को के भारत के डायरेक्टर टीम कुर्टिस , प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम (संस्कृति व पर्यटन), महेश शर्मा (सांसद), पंकज सिंह (विधायक) व कई राजदूतों के शुभकामना सन्देश भी प्राप्त हो रहे हैं जो स्मारिका मे प्रकाशित होंगे ।