पत्रकारिता के 197 साल के इस सफर में आजादी कम भय ज्यादा बढ़ा:जितेन्द्र बच्चन

भारतीय पत्रकारिता के 197 साल के इस सफर में आजादी कम भय ज्यादा बढ़ा है। आइना दिखाने की जिसने भी कोशिश की, हुक्मरान मौत बनकर टूट पड़े। कभी कत्ल किया गया तो कभी अखबार बंद करना पड़ा।

Eros Times: 1826 में हिंदी का पहला अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ 30 मई को कलकत्ता (कोलकाता) से प्रकाशित होना शुरू हुआ था। इस साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने शुरू किया था। तब से आज तक हिंदी पत्रकारिता की यह यात्रा अनवरत जारी है। अपनी सुदीर्घ यात्रा में हिंदी पत्रकारिता ने अनेक सोपान तय किए हैं। पवित्र ध्येय के प्रति सत्यनिष्ठा सुनिश्चित की है और स्वर्णिम इतिहास रचा है।

स्वतंत्रता की अलख जगाने में हिंदी पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है। स्वाधीनता का आंदोलन निष्पक्ष पत्रकारिता के बिना संभव ही नहीं था। आजादी की लड़ाई लड़नेवाले भी मानते थे कि पत्रकारिता जितनी मजबूत होगी, प्रजातंत्र भी उतना ही सुदृढ़ होगा। इसीलिए हिंदी पत्रकारिता को लोकतंत्र की आवश्यकता कहा जाता है। सत्य की कसौटी पर खरी पत्रकारिता हमारी पूंजी रही है। तब पत्रकारों के लिए पैसा महत्व नहीं रखता था और उसकी कलम ब्रह्मा की लकीर मानी जाती थी। लेकिन ज्यों-ज्यों हम विकासोन्मुख हुए, पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय बनती गई। आज कई धुरंधर पूंजीपतियों के इशारे पर नाचते हैं।

वक्त के साथ पत्रकारिता के माध्यम भी बदलते गए। अखबार से शुरू हुआ सफर रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता से होते हुए सोशल मीडिया तक पहुंच चुका है। गला काट प्रतिस्पर्धा है। पहले था लिख दिया तो दस्तावेज बन जाता था और अब लिखकर मिटा देते हैं। पहले कोई अधिकारी या राजनीतिज्ञ पर पत्रकार लिखता था तो वह स्वयं में सुधार लाता था। लोग डरते थे कि कहीं कोई पत्रकार उनका कारनाम उजागर न कर दे, समाज में उसकी इज्जत प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल जाएगी। लेकिन आज उन्हें पत्रकारों से डर नहीं लगता। आज तो चोरी करने वाले सीनाजोरी करते हैं और पत्रकार भी अपराधियों का महिमामंडन करने से नहीं चूकते। नायक का नाम भूल सकते हैं लेकिन अपराध से जुड़े आरोपी को दस बार दिखाएंगे। बाजारवाद पूरी तरह पत्रकारिता पर हावी हो चुका है।

पत्रकारिता के विषय-वस्तु व प्रस्तुतिकरण में भी बदलाव आ चुका है। सामाजिक ताना-बाना, गरीबी, सरकार की अनदेखी और गलत का विरोध करना जैसे बहुत पीछे छूटता जा रहा है। ऐसा लगता है जैसे अब पत्रकारिता सरकारी गजट या नोटिफ़िकेशन बन चुकी है।‌ कुछ मीडिया संस्थान तो दिन-रात सरकार का गुणगान करते हैं। कहां तो पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी, कहां वही पत्रकारिता आज आय का जरिया बन चुकी है। एक तरफ 21वीं सदी में दुनिया जहां विज्ञान और टेक्नोलॉजी की बात करती है, वहीं भारतीय पत्रकारिता जातिवाद, धार्मिक उन्माद, अंधविश्वास, मंदिर-मस्जिद और घटिया राजनीति के बीच उलझकर रह गई है। सेक्युलर, उदारवादी या संविधानवादी होना लोगों को अब बहुत मुश्किल लगता है। पहले लोग न्याय के लिए कोर्ट-कचहरी का चक्कर काटते थे, अब मीडिया संस्थानों में जाकर अदालतों पर भरोसा जताते हैं।

आज की पत्रकारिता में जनहित कम सामाजिक विघटन ज्यादा नजर आता है। शायद यही कारण है कि पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं। उसकी सोच में अंतर आया है। खोजी खबर कम, टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में घटनाओं को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगने लगा है। चिंताजनक बात यह है कि सरकार भी ऐसे ही पत्रकारों के साथ है जो उसका गुणगान करते रहें। आलोचना किसी कीमत पर बर्दास्त नहीं है। जो खिलाफत करेगा, उसकी नौकरी जा सकती है। अखबार बंद कराने की साजिश रची जा सकती है। जनविरोधी और देशद्रोह तक के मामले थोपकर जेल भेज दिया जाता है।

कहने को लिखने और बोलने की आजादी है लेकिन अंदरखाने में जो खिचड़ी पकती है, उससे पत्रकार भीतर से अब सहमा रहता है। सच लिखने से कतराता है। भारतीय पत्रकारिता के 197 साल के इस सफर में आजादी कम भय ज्यादा बढ़ा है। आइना दिखाने की जिसने भी कोशिश की, हुक्मरान मौत बनकर उस पर टूट पड़े। कभी किसी पत्रकार को कत्ल कर दिया गया तो कभी अखबार बंद करना पड़ा। आज की पत्रकारिता पूंजीपतियों के शिकंजे में सिसक रही है। मुल्क के रहबरों को यह बात पूरी तरह समझनी होगी कि जब तक पत्रकारों को लिखने-बोलने और सच दिखाने की आजाद नहीं होगी, लोकतंत्र पूरी तरह कायम नहीं होगा।

  • admin

    Related Posts

    प्रतिबंध के बावजूद पटाखे जलाने का समर्थन कर रही आप पार्टी – देवेन्द्र यादव

    EROSS TIMES: नई दिल्ली, सितम्बर, 2024 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष  देवेन्द्र यादव ने कहा कि राजधानी में खतरनाक प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए दिल्ली सरकार के…

    हिन्दी को दैनिक व्यवहार में लाये – राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

    EROS TIMES: गाजियाबाद,शुक्रवार, सितम्बर 2024,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “हिन्दी दिवस” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।उल्लेखनीय है कि 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    प्रतिबंध के बावजूद पटाखे जलाने का समर्थन कर रही आप पार्टी – देवेन्द्र यादव

    • By admin
    • September 14, 2024
    • 138 views
    प्रतिबंध के बावजूद पटाखे जलाने का समर्थन कर रही आप पार्टी – देवेन्द्र यादव

    हिन्दी को दैनिक व्यवहार में लाये – राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

    • By admin
    • September 14, 2024
    • 107 views
    हिन्दी को दैनिक व्यवहार में लाये – राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

    हम भाजपा के नेताओं द्वारा घृणित मानसिकता और उकसाने वाले बयानों तथा समाज को बांटने की कोशिशों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े- देवेन्द्र यादव

    • By admin
    • September 12, 2024
    • 37 views
    हम भाजपा के नेताओं द्वारा घृणित मानसिकता और उकसाने वाले बयानों तथा समाज को बांटने की कोशिशों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े- देवेन्द्र यादव

    एमिटी में आयोजित “शासन और वैश्विक बहुलता में उभरते रुझान – संतुलन की कल्पना”

    • By admin
    • September 11, 2024
    • 137 views
    एमिटी में आयोजित “शासन और वैश्विक बहुलता में उभरते रुझान – संतुलन की कल्पना”

    भाजपा और आप के बीच सत्ता के खेल ने दिल्ली की जनता को मुश्किल में डाल दिया है -देवेंद्र यादव

    • By admin
    • September 11, 2024
    • 181 views
    भाजपा और आप के बीच सत्ता के खेल ने दिल्ली की जनता को मुश्किल में डाल दिया है -देवेंद्र यादव

    राष्ट्र प्रगति में बाधक तत्वों का मुकाबला करें-प्रो.नरेन्द्र आहूजा विवेक

    • By admin
    • September 11, 2024
    • 143 views
    राष्ट्र प्रगति में बाधक तत्वों का मुकाबला करें-प्रो.नरेन्द्र आहूजा विवेक