प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं विकास से संबंधित दिल्ली बजट 2023-24 पर चर्चा

Eros Times: नयी दिल्ली प्रेस क्लब आॅफ इंडिया में,प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं विकास से संबंधित दिल्ली बजट 2023-24 पर चर्चा एवं सुझाव हेतु नींव,दिल्ली फोर्सेस द्वारा राज्य स्तरीय प्रेसवार्ता एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। उक्त प्रेसवार्ता में बच्चों एवं संबंधित मुद्दों पर कार्यरत विशेषज्ञ भारती अली (हक संस्था)राज शेखर (दिल्ली रोजी- रोटी अभियान) थानेश्वर दयाल आदिगौड़ (निर्माण मजदूर अधिकार अभियान) ऋचा (जन स्वास्थ्य अभियान) सुभद्रा (नींव,दिल्ली फोर्सस) और दिल्ली की अलग-अलग बस्तियों से समुदाय प्रतिनिधि सहित नींव, दिल्ली फोर्सेस के 35 साथी संस्थाओ की भागीदारी की।

कुमार शलभ ने दिल्ली सरकार बजट 2023-24 के विष्लेषण के मुख्य बिन्दुओं को साझा किया कि हम पूरे बजट को देखें तो सरकार ने गर्भवती एवं धात्री महिलाओं और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए बजट में कुछ बेहतरीन  कदम उठाए है।किंतु कुल बजट का मात्र 1.08 प्रतिशत हिस्सा ही बच्चों के प्रारंभिक बाल देखरेख एवं संरक्षण के लिए रखा गया है।बजट के इस छोटे से हिस्से मे आईसीडीएस के अलावा राष्ट्रीय क्रेच स्कीम,टीकाकरण,प्रधान मंत्री मात्र वंदना योजना,गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के लिए योजनाएं शामिल है।बजट से यह स्पष्ट दिखता है कि सरकार के लिए प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं संरक्षण प्राथमिकता पर नही है,जबकि इस उम्र में ही बच्चों का 80 से 85 प्रतिशत मानसिक विकास होता है।

दिल्ली सरकार ने बजट2021- 22 में महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण और बच्चों  के विकास के लिए सहेली समन्वय केंद्र के नाम से एक नई योजना की घोषणा की थी,जिसमें वर्ष 2022 -23 में मात्र 1 करोड़ का बजट रखा था,जबकि वर्ष 2023-24 मे घटा कर मात्र 10 लाख कर दिया गया।

दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना पालना स्कीम के  लिए भी लगातार बजट घटाया है।प्रेस कांफ्रेंस प्रमुख अवधेश यादव ने हमें बताया कि उक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि सरकार का ध्यान छोटे बच्चों,गर्भवती एवं धात्री महिलाओं से संबन्धित योजनाओं के बेहतरीन क्रियान्वयन से अधिक उनकी घोषणाओं पर है,तभी बजट का आबंटन कम होता जा रहा है।

दिल्ली की अलग-अलग बस्तियों से समुदाय प्रतिनिधियों ने बाल देखरेख से संबंधित चुनौतियों को साझा किया। रीना यादव,सावदा घेवरा,पुनर्वास बस्ती की निवासी व ममता,मदनपुर खादर पूनर्वास बस्ती ने जब मैं पहली बार गर्भवती हुई,तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के सभी फार्म दस्तावेजों के बाद भी 6 माह तक उनके खाते में पैसा नहीं आया।

दिशा फाउंडेशन की प्रमुख अंजू शर्मा ने भी अपने अनुभव साझा किएं।अवधेश यादव ने कहा कि नींव दिल्ली फ़ोर्सेस संस्था सरकार से मांग करती है कि जैसे सरकार ने प्रारम्भिक बाल देखरेख सेवाओं मे आंगनवाड़ी और पोषण हेतु बजट बढाया है,वैसे ही सहेली समन्वय केंद्र एवं पालना स्कीम हेतु तय किए गए बजट को रिवाइस करते हुए समय बढ़ाए।सरकार प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं संरक्षण हेतु बजट राशि बढ़ाएगी तभी दिल्ली जैसे शहर में कामकाजी महिलाओं के बच्चों का समेकित एवं सम्पूर्ण विकास हो पायेगा।

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