नोएडा:EROS TIMES: संस्कृति और संस्कार राष्ट्र के प्राण होते हैं। इनके बिना किसी भी देश का दुनिया में उसका कोई अस्तित्व नहीं होता है। हम एक भाव से रहना इन्हीं से सीखते हैं। देश को महान बनाने में इनका अहम योगदान होता है।
संस्कृति हमें भारतीयता से जोड़ती है और राष्ट्र अखण्ड श्रद्धा का विषय है। उक्त बातें शनिवार को सेक्टर-62 स्थित प्रेरणा जनसंचार एवं शोध संस्थान व प्रेरणा शोध न्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘संचार एवं मीडिया कौशल’ विषयक दस दिवसीय कार्यशाला के नौवें दिन ‘राष्ट्र रक्षा और मीडिया’ विषय पर बतौर मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार सुभाष सिंह ने कहीं।
सुभाष सिंह ने कहा कि आज देश के कुछ नेता सोशल मीडिया के माध्यम से देश में भ्रम पैदा कर रहे हैं। मीडिया का दायित्व है कि देश तोड़ने वाली विचारधारा को बढ़ावा न दे। वह ऐसे विचारों को आगे बढ़ाए‚ जिससे लोगों में राष्ट्रीयता का भाव जागृत हो।
उन्होंने बताया कि हमारे त्योहार एकता, समता और राष्ट्रीयता का भाव बढ़ाते हैं। मीडिया को चाहिए कि वह भारतीय संस्कृति, संस्कारों और त्योहारों को आगे बढ़ाए।
नकारात्मकता से देश का उत्थान नहीं होगा। उन्होंने बताया कि आज देश में पत्रकारिता का स्वरूप बदलता जा रहा है। देश में पत्रकारिता की शुरूआत एक मिशन के रूप में हुई थी, परन्तु समय ने करवट ली और इसकी दशा और दिशा बदल गई है। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि पत्रकारिता ने अपना वास्तविक चेहरा ढंककर व्यवसाय का नकाब ओढ़ लिया है।
उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि आपको अपनी बात डंके की चोट पर रखनी होगी। इसके लिए आपको योग्य बनना होगा। पत्रकार आदिगुरु नारद जी के वंशज हैं। पत्रकार उनके पद चिह्नों पर चलकर ही देश का भला कर सकते हैं।
कार्यक्रम के इसी सत्र में दैनिक हिन्दी समाचार पत्र अमर उजाला के वरिष्ठ पत्रकार योगेश जी ने ‘फीचर लेखन’ विषय पर बोलते हुए बताया कि फीचर का सामान्य अर्थ होता है कि किसी प्रकरण संबंधी विषय पर प्रकाशित आलेख। लेकिन, यह लेख संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले विवेचनात्मक लेखों की तरह समीक्षात्मक लेख नहीं होता है।
फीचर किसी रोचक विषय पर मनोरंजक ढंग से लिखा गया विशिष्ट आलेख होता है। फीचर कई प्रकार के होते हैं- जैसे व्यक्तिपरक फीचर, सूचनात्मक फीचर, विवरणात्मक फीचर आदि। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि फीचर में किसी घटना की सत्यता या तथ्यता मुख्य तत्व होता है।
एक अच्छे फीचर को किसी सत्यता या तथ्यता पर ही आधारित होना चाहिए। साथ ही, फीचर का विषय समसामयिक रहे। रोचकता के बिना फीचर अधूरा रहता। आप अपने फीचर को सीधा सपाट न लिखकर उसमें केरीकेचर भी डालें और ये विषय सामग्री के अनुसार ही होने चाहिए। लिखते समय भाषा सरल, सहज और स्पष्ट होने के साथ-साथ कलात्मक भी होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि किसी भी फीचर की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितना रोचक, ज्ञानवर्धक और उत्प्रेरित करने वाला है। इसलिए फीचर का विषय समयानुकूल, प्रासंगिक और समसामयिक होना चाहिए। अर्थात फीचर का विषय ऐसा होना चाहिए जोकि लोक रुचि का हो। फीचर का विषय तय करने के बाद दूसरा महत्वपूर्ण चरण है विषय संबंधी सामग्री का संकलन। उचित जानकारी और अनुभव के अभाव में किसी विषय पर लिखा गया फीचर उबाऊ हो सकता है।
इसी सत्र में ‘सूचना के अधिकार’ विषय पर बोलते हुए वैभव वास्तव ने प्रतिभागियों को इसके बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ 2005 में एक अधिनियम लागू किया गया जिसे सूचना का अधिकार कहा गया। इसके अंतर्गत कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से कोई भी जानकारी ले सकता है बस शर्त यह है की सूचना के अधिकार के तहत ली जाने वाली जानकारी तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।
यानि हम किसी सरकारी विभाग से उसके विचार नहीं पूछ सकते। उन्होंने बताया कि आप अपने गांव के विकास कार्यों में कितना धन खर्च हुआ है और कहां खर्च हुआ है, इसके बारे में इसके द्वारा पता कर सकते हैं। आप आरटीआई आनलाइन और आफ लाइन दोनों ही तरीकों से कर सकते हैं।
आपको मात्र दस रुपए का पोस्टल आर्डर लगाना होगा। गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को आरटीई दायर करने के लिया पैसा खर्च नहीं करना होगा।
दूसरे सत्र में प्रतिभागियों को सामाचार लेखन की प्रक्रिया के बारे में आदित्य देव त्यागी ने बताया कि सबसे पहले तो समाचार का ‘इंट्रो’ होता है।
यह असली समाचार है। इसके बाद के पैराग्राफ में इंट्रो की व्याख्या करनी होती है। इंट्रो में जिन प्रश्नों का उत्तर अधूरा रह गया है उनका उत्तर देना होता है। इसलिए समाचार लिखते समय इंट्रों के बाद व्याख्यात्मक जानकारियां देने की जरूरत होती है। इसके बाद विवरणात्मक या वर्णनात्मक जानकारियां दी जानी चाहिए। अगले सत्र में प्रतिभागियों ने इलैक्ट्रानिक मीडिया के लिए समाचार संकलन और समाचार वाचन का अभ्यास किया।
अतिथियों का स्वागत व आभार दिवस प्रमुख डा. अनिल त्यागी ने तथा अलग-अलग सत्रों का संचालन विपुल गुप्ता ने किया। इस अवसर पर वर्गाधिकारी शिव प्रताप सहित कई लोग उपस्थित रहे।