भोपाल इरोस टाइम्स: दैनिक भास्कर ग्रुप के चेयरमैन रमेशचंद्र अग्रवाल (73) गुरुवार सुबह पंचतत्व में विलीन हो गए। अंतिम संस्कार भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर हुआ। इसमें शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत और बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी कैलाश विजयवर्गीय शामिल हुए। बता दें कि बुधवार सुबह 11 बजे अहमदाबाद एयरपोर्ट पर रमेशजी को हार्ट अटैक आया था। उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका। रमेशजी के निधन पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “उनके पास समस्याओं का समाधान रहता था। असल में वे मध्य प्रदेश के ब्रांड एम्बेसडर थे।”
अंतिम विदाई में पहुंचीं कई राजनीतिक हस्तियां…
– रमेशजी को अंतिम विदाई देने के लिए ब्रजमोहन अग्रवाल, टीएस सिंहदेव, मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विश्वास सारंग और नरोत्तम मिश्रा भी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। विधायक रामेश्वर शर्मा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव भी शोक की इस घड़ी पर मौजूद थे।
– इनके अलावा कांग्रेस महासचिव और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, उमाशंकर गुप्ता, सुरेश पचौरी, मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने भी रमेशजी को अंतिम विदाई दी।
जब लोगों ने मेरा मजाक बनाया, तब रमेशजी ने हौसला बढ़ाया था: शिवराज
– शिवराज ने रमेशजी को याद करते हुए कहा, “मुझे याद है कि जब मैंने इंदौर में पहली बार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था, उस समय प्रदेश में कोई भी बड़ा औद्योगिक घराना आना नहीं चाहता था। कई लोगों ने इस आयोजन को लेकर मजाक भी बनाया।”
– “उस कठिन समय में रमेशजी ने न सिर्फ मेरा हौसला बढ़ाया, बल्कि खुलकर सहयोग दिया। उनके ही सुझावों और व्यक्तिगत संबंधों से उस समिट में देश के ही नहीं, बल्कि विदेश के भी कई प्रतिष्ठित उद्योग समूहों ने भाग लिया।”
“यह उन्हीं के प्रयासों का ही परिणाम था कि कई औद्योगिक घरानों ने मप्र में पूंजी निवेश किया। वे मप्र की बेहतर छवि बनाने के लिए प्रयत्नशील रहे।”
– “हर बार उनका अतुलनीय सहयोग हमें प्राप्त हुआ। इसे प्रदेशवासी कभी भूल नहीं पाएंगे। असल में वे पूरे मध्य प्रदेश के ब्रांड एम्बेसडर थे।”
– “रमेशजी प्रदेश में हर किसी के लिए आसानी से उपलब्ध थे। रियल एस्टेट, सोयाबीन उद्योग, टेक्सटाइल्स, चेंबर ऑफ कॉमर्स और वैश्य समाज, सभी लोगों से उनका जीवंत संवाद बना रहता था।”
‘उनके पास समस्याओं के समाधान रहते थे’
– शिवराज ने आगे कहा, “वह अक्सर लोगों के साथ मेरे पास समस्याओं को लेकर आते थे। किंतु उनकी एक अच्छी बात यह थी कि वह समस्याओं के साथ समाधान और सुझाव भी लेकर आते थे।”
– “वे सरकार की सीमाओं को समझते थे। जिन लोगों के साथ मांग और समस्याओं को लेकर आते थे, वे उनसे कहते थे कि हमें राज्य के हितों व राजस्व का भी ध्यान रखना है। हम सभी को मिलकर सरकार का सहयोग भी करना है। उनकी यह बात मुझे बहुत ही अच्छी लगती थी।”
– “उन्होंने पूरे देश में दैनिक भास्कर को आगे बढ़ाया। यह सिर्फ भास्कर समूह या एक कंपनी का ही प्रसार नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों में मप्र के वर्चस्व का प्रसार था।”
– “दैनिक भास्कर आगे बढ़ा तो प्रदेश का नाम भी बढ़ा। हमें सदैव गर्व रहा कि मप्र का एक उद्योगपति इतना सफल हुआ।”
– “मुझे याद है कि दैनिक भास्कर पुराने भोपाल से निकलता था। वहां से प्रगति करते हुए वह आज सिर्फ भारत का ही नहीं, विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय अखबार बन गया है।”
– “दैनिक भास्कर की सफलता के शिखर पर पहुंचने की यह यात्रा रमेशजी के अथक परिश्रम, बुद्धिमत्ता एवं दूरदर्शिता का ही परिणाम है। दैनिक भास्कर आज अपनी निष्पक्ष लेखनी के लिए स्थापित हो चुका है।”
– “पत्रकारिता में नए प्रतिमान छूने के साथ ही रमेशजी हमेशा सामाजिक सरोकारों के लिए संवेदनशील भी रहे। पानी बचाने के अभियान में उनके मार्गदर्शन में भास्कर ने लोगों में जागृति लाने और उनके व्यवहार परिवर्तन में अतुलनीय सहयोग दिया।”
– “चाहे सूखे रंगों की होली हो या सिंहस्थ में वैश्य महासभा के द्वारा श्रद्धालुओं के लिए पेयजल की व्यस्था, ये पुण्य कार्य हमेशा याद किए जाएंगे।”
– “एक बड़े पत्र समूह की बागडोर संभालने की महती जिम्मेदारी के साथ ही वे सामाजिक एकता और समरसता के लिए हमेशा कार्यरत रहे। उनकी कोशिश होती थी कि सभी धर्मों और वर्गों के लोग मिल-जुलकर रहें। उनके होली-मिलन और ईद-मिलन जैसे कार्यक्रम समाज को यही संदेश देते रहे। यह उनका ही निरंतर योगदान रहा, जिससे राजधानी का भोपाल उत्सव मेला प्रदेश की पहचान बन गया।”
‘पर्यावरण को लेकर चिंतित थे’
– शिवराज कहते हैं, “पर्यावरण के प्रति भी रमेशजी की खास चिंता थी। नर्मदा सेवा यात्रा में प्रारंभ से ही उनका सहयोग एवं मार्गदर्शन हमें मिला। वे मेरे साथ होशंगाबाद भी गए। उन्होंने अल्पसंख्यक समाज के प्रतिष्ठित लोगों को नर्मदा सेवा यात्रा का महत्व बताकर इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित किया था। मैं बड़े दुखी मन से यह बता रहा हूं कि उन्होंने दो जुलाई को नर्मदा तट पर ओंकारेश्वर में मेरे साथ वृक्षारोपण कार्यक्रम में भाग लेने का वादा किया था। मुझे दुख है कि इस कार्यक्रम में अब वो मेरे साथ नहीं होंगे।”
– “रमेशजी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनके चले जाने से व्यापार, उद्योग और सामाजिक सरोकारों से चिंतित व्यक्तियों में शून्यता आ गई है।”
– “उनका स्नेह मुझे उस समय से प्राप्त होता रहा, जब मेरी राजनीतिक शुरुआत हो रही थी। वह एक व्यक्ति नहीं, एक संस्था थे। वह मेरे बड़े भाई थे। हम प्रदेशवासियों के लिए गौरव थे। उनका जाना मेरे और मेरे परिवार के लिए व्यक्तिगत क्षति है।”