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उप–मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक स्कूल में की इसकी शुरुआत
नई दिल्ली। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की मूल भावना को बच्चों तक पहुंचाने के लिए दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अब एक अलग तरह की पहल होगी। इसकी शुरुआत दिल्ली के उप–मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने आज गवर्नमेंट ब्वायज सीनियर सेकेंडरी स्कूल,आजादपुर से की। इसके तहत उन्होंने बच्चों से एक क्लासरूम एक्सरसाइज करवाई। बच्चों से कहा गया कि वे अपनी समझ से अपनी नोटबुक में लिखें कि बेटियों को लेकर उनसे पहले यानी उनकी मम्मी की पीढ़ी में क्या सोच थी। क्या परेशानियां थीं। इसके बाद ये लिखें कि आज उनकी पीढ़ी में क्या सोच है, क्या समस्याएं हैं और पिछली पीढ़ी की तुलना में क्या सुधार हुए हैं। इसके बाद ये लिखें इससे आगे आने वाली पीढ़ी यानी अपने बच्चों की पीढ़ी में बेटियों को लेकर क्या इंप्रूवमेंट चाहते हैं।
इसके बाद बच्चों ने काफी हैरानी भरे जवाब लिखे। बच्चों ने लिखा कि बेटियों को सोच से बचाओ। जैसे न पढ़ाने की सोच। नौकरी न करने देने की सोच। पराये घर में भेजने की सोच। लड़कियों को कमजोर समझने की सोच। मनीष सिसदिया ने कहा कि ये जरूरी है कि लड़के इस बारे में सोचना शुरू करें और अपने घर से सोचना शुरू करें। बच्चों ने दंगल फिल्म का जिक्र करते हुए ये भी कहा कि हमारे समाज में सबसे बड़ी दिक्कत बेटियों को लेकर ये है कि माना जाता है कि कुछ काम केवल बेटे ही कर सकते हैं।
24 जनवरी को ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ दिवस के मौके पर दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ये एक्सरसाइज करवाई जाएगी। बाद में इस तरह की पहल विभिन्न विषयों पर दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चलाई जाएंगी।
उप–मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, केवल नारों तक ही न सिमट जाए, इसके लिए इस तरह की पहल जरूरी है।