
विश्व हृदय दिवस: 29 सितंबर, 2023
सीने में दर्द, मितली या चक्कर आना हो सकते हैं हृदय रोगों के आरंभिक लक्षण, कभी भी इन लक्षणों को अनदेखा न करें
Eros Times: नोएडा कुछ समय पहले तक आम जन में यह धारणा थी कि हार्ट अटैक केवल बुजुर्गों को ही होते हैं, लेकिन अब 30 से 40 साल की उम्र के युवाओं में भी हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि दुनियाभर में हृदय रोगों को मौतों का महत्वपूर्ण कारण माना जाता है लेकिन भारत में पिछले पांच वर्षों के दौरान ये मामले तेजी से बढ़े हैं। हार्ट अटैक और हृदय संबंधी अन्य रोगों में हुई बढ़ोतरी की बड़ी वजह हमारे तेज रफ्तार और व्यस्त लाइफस्टाइल को माना जा रहा है जबकि इस तरह की जीवनशैली में अपने दिल की सेहत को संभालने के तौर-तरीकों से लोग अनजान हैं। हृदय के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के मकसद से फोर्टिस नोएडा में आज आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में, फोर्टिस नोएडा के डॉक्टरों ने इस नए चौंकाने वाले रुझान के बारे में जानकारी दी और ऐसे मामलों की भी जानकारी दी जिनमें युवा मरीज़ अचानक हार्ट अटैक का शिकार बन चुके हैं।
डॉ संजीव गेरा, डायरेक्टर – कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने कहा, ”हम हर महीने 15 से 20 युवा हृदय रोगियों का इलाज कर रहे हैं। हाल में ऐसे 3 युवा हृदय रोगियों का इलाज किया गया जिनकी उम्र 30 से 40 साल के बीच थी और तीनों ने सीने में दर्द की शिकायत की थी। अस्पताल पहुंचने के 1 घंटे के भीतर उनकी पूरी जांच के बाद तत्काल इलाज किया गया। मरीज़ों ने इलाज पर अच्छा रिस्पॉन्स दिया और आज वे एक सामान्य जीवन बिता रहे हैं। युवाओं में, सेडेन्ट्री लाइफस्टाइल, जंक फूड का बढ़ता चलन, शराब और तंबाकू का सेवन हृदय रोगों का कारण बन रहा है।”
आज फोर्टिस नोएडा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन मरीज़ों ने भी हिस्सा लिया जो अचानक हार्ट अटैक का शिकार हुए थे और जिनका फोर्टिस नोएडा अस्पताल में उपचार किया गया। पहला मामला 21 साल के युवक का था जो 2 दिनों तक सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल आए थे। अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद उनकी जांच की गई और पाया गया कि उनकी बायीं एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी (एलएडी) में एक ब्लड क्लॉट (खून का थक्का) है, एलएडी हृदय की सबसे बड़ी धमनी है और इसमें रुकावट के कारण गंभीर हार्ट अटैक होते हैं। मरीज़ को एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के अनुरूप इलाज दिया गया और अब वह स्वस्थ हैं।
एक अन्य मामला, 42 वर्षीय मरीज़ का था जो 2 से 3 घंटों तक सीने में दर्द महसूस होने के बाद अस्पताल में आए थे। उन्हें जांच और इलाज के लिए फोर्टिस नोएडा में भर्ती किया गया। जांच के दौरान पाया गया कि उनकी धमनियों में 90% ब्लॉकेज थी जिसकी वजह से उनका हृदय सामान्य क्षमता से कम यानि 40-45% ही काम कर रहा था। कोरोनरी एंजियोग्राफी में डबल वैसल डिज़ीज़ की पुष्टि हुई जो कि एक प्रकार का कोरोनरी आर्टरी रोग है जिसमें तीन प्रमुख हृदय धमनियां संकुचित या अवरुद्ध हो जाती हैं। उनकी बायीं एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी (एलएडी) तथा दांयी कोरोनरी आर्टरी (आरसीए) में एंजियोप्लास्टी और ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट डालकर स्टेंटिंग की गई। मरीज़ को स्थिर होने पर तथा नॉर्मल हार्ट फंक्शन के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
तीसरा मामला 43 साल के एक मरीज़ का था जिनके सीने में लगातार 7-8 दिनों से दर्द था। अस्पताल में जांच के दौरान कोरोनरी एंजियोग्राफी की गई जिससे खुसा हुआ कि उनके हृदय की धमनी काफी खतरनाक तरीके से ब्लॉक हो चुकी थी। इस धमनी को खोलने के लिए पीटीसीए (एंजियोप्लास्टी और स्टेंट) का उपयोग किया गया जिससे उनके हृदय की मांसपेश्यिों को होने वाले रक्त प्रवाह में काफी सुधार हुआ। मरीज़ को इस उपचार से काफी फायदा मिला और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।