
दिल्ली:EROS TIMES: दुनियाभर में 11 मार्च से 18 मार्च तक का समय वर्ल्ड ग्लूकोमा वीक के रूप में मनाया जाता है। इसी मौके पर आज हम आपको बच्चे की आंखों के बारे में बता रहे हैं। छोटे बच्चे और बड़े लोगों में काफी अंतर होता है। अगर आंखों की बात की जाए तो बच्चों की आंखे काफी नाजुक होती हैं इसलिए उन्हें खास देखभाल की जरूरत होती है। बच्चे बार-बार आंखों पर हाथ लगाते हैं जिसकी वजह से आंखों में संक्रमण होने की आंशका बढ़ जाती है। कभी-कभी यह संक्रमण बच्चों की आंखो के लिए काफी नुकसानदेह हो सकते हैं। इसलिए इनका तुरंत उपचार जरूरी है। आंखों की समस्याओं को ना करें नजरअंदाज
आमतौर पर ऐसा कहा जाता है कि टीवी देखने से बच्चों की आंखें कमजोर होती हैं। हाल ही में हुई एक रिसर्च में कहा गया है कि टीवी देखने से सिर्फ दूर की नजर कमजोर होती है। जबकि मोबाइल, टैब, और लैपटॉप पर ज्यादा समय बिताने और बाहरी गतिविधियों की कमी से बच्चों की पास की नजर कमजोर होती है
डॉक्टर्स और शोधकर्ताओं ने कहा कि जब बच्चा मोबाइल, टैब और लैपआॅप जैसे उपकरणों को चलाता है तो उसकी मांसपेशियों पर खासा असर पड़ता है। यह भी बताया कि लगातार नजदीक से देखने के कारण आंखों पर जोर पड़ता है जिससे आंखें कमजोर होती है। यही कारण है कि आज 5 साल के बच्चे भी चश्मा लगा रहे हैं।
ग्लूकोमा के लक्षण
जब किसी व्यक्ति को ग्लूकोमा होता है तो आंखों में तरल पदार्थ का दबाव बहुत ज्यादा हो जाता है।
आंखों के नंबर में जल्दी-जल्दी उतार-चढ़ाव आता है।
आंखें अक्सर लाल रहती हैं।
रोशनी का धुंधला दिखाई देना और आंखों में तेज दर्द होना।
धुंधलापन और रात में दिखना बंद हो जाना।
बिना बात के मितली या उलटी होना।
सिरदर्द और हल्के चक्कर आना।
डायबिटीज, हाई बीपी और हार्ट की बीमारियों की वजह से भी ग्लूकोमा हो सकता है।
इन लक्षणों में से अगर 2 लक्षण भी किसी व्यक्ति को अपने आप में महसूस होते हैं तो उसे तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।।