Eros Times: स्नातकोत्तर छात्रों शोधार्थियों और पीएचडी छात्रों को प्रख्यात जनरलों में शोध करके पेपर प्रकाशित करने के संर्दभ में जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन द्वारा ‘‘वैज्ञानिक लेखन’’ पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में द यूडब्लूए इंस्टीटयूट ऑफ एग्रीकल्चर के निदेशक प्रो कदमबोट सिद्दकी ने छात्रों को पेपर प्रकाशित करने के संर्दभ में विस्तृत जानकारी प्रदान की। इस कार्यशाला में एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशक डा नूतन कौशिक ने प्रो कदमबोट सिद्दकी का स्वागत किया।
एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए द यूडब्लूए इंस्टीटयूट ऑफ एग्रीकल्चर के निदेशक प्रो कदमबोट सिद्दकी ने ‘‘प्रकाशित या अप्रकाशित: अपनी पांडुलिपी को स्वीकार करने के अवसरों को अधिकतम करना’’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि अगर आप रिसर्च पेपर प्रकाशित नही करना चाहते तो शोध के लिए मत जायें। एक अच्छे रिसर्च पेपर को प्रकाशित करने के लिए बहुविषयक दृष्टिकोण आवश्यक है। भारत, रिसर्च पेपर प्रकाशित करने में चीन और यूएस से काफी पीछे है और यह सही समय है जब ना केवल शोध पेपर पब्लिश किये जायें बल्कि उस ज्ञान का उपयोग उत्पाद बनाने में हो। प्रो सिद्दकी ने युवा शोधार्थियों को सलाह देते हुए कहा कि पेपर प्रकाशित करने की दिशा में कार्य आज ही प्रारंभ करें, लिखना प्रारंभ करें और कार्य समाप्त का सुनिश्चित करें। उन्होने कहा कि याद रखे कि कंप्यूटर पर टाइप करने से बहुत पहले पेपर लिखना प्रारंभ हो जाता है। परिकल्पना की स्थापना प्रयोग का डिजाइन गुणवत्ता पूर्ण डाटा और सही विश्लेषण का संग्रह एक सफल पेपर लेखन के लिए महत्वपूर्ण है। यह भी जानना आवश्यक है कि कब प्रयोग को कब रोकना है और लिखना प्रारंभ करना है।
याद रखे कि आपके लिए जो स्पष्ट है वह अभी भी बाकी दुनिया के लिए अज्ञात है। दो तीन छोटे नोट्सों की बजाय एक ठोस पेपर को प्रकाशित करना बेहतर है। आपको को जिस जर्नल में शोध पेपर प्रस्तुत करना हो उसका चयन अत्यंत सावधानी पूर्वक करना चाहिए और जर्नल के प्रभावी कारकों प्रकाशन का समय, विशेष जरनल के साथ आपके अनुभव पेज के चार्ज और कलर तस्वीरों के चार्ज के आधार पर अंतिम निर्णय लें। प्रो सिद्दकी ने कहा कि आप विभिन्न विषयों में प्रभाव कारकों की तुलना नही कर सकते। उन्होनें यह भी कहा कि महान वैज्ञानिक माइकल फैराडे ने कहा था कि उपयोगी शोध के तीन महत्वपूर्ण चरण होते है प्रथम उसका प्रारंभ, द्वितीय उसका समापन और तृतीय उसका प्रकाशित होना। डा सिद्दकी ने कहा कि शोध पत्र का प्रारंभ नतीजों के अनुभाग से करें जिसमें डाटा को अंाकडो और टेबल में व्यवस्थित करें, आप क्या वर्णन करना चाहते है इस निश्चय करेगे इसके अनुसार प्रत्येक अनुभाग की संरचना को बनाये। नतीजों को भूतकाल में लिखें और जटिल निमार्णो का टालें और कृर्तवाच्य का उपयोग करें। उन्होनें कहा कि अपनी चर्चा के लिए संरचना का निर्माण करें और उसके बाद प्रत्येक अनुभाग के लिए संरचना का निर्माण करे। चर्चा के क्रम नतीजो से अलग होते है, अपने नतीजों को व्यापक संर्दभ में रखें और समापन अंतिम संदेश के साथ करेे। चर्चा की संरचना को तार्किक और रोमांचक होना चाहिए। पेपर के अनुच्छेद की संरचना को बताते हुए उन्होने कहा कि पाठ को अनुच्छेद में व्यवस्थित करें, अनुच्छेदों की संरचना विशिष्ट होनी चाहिए और एक विषय से संबधित होने चाहिए।
डा सिद्दकी ने कहा कि अगर पांडुलिपी को अस्वीकार कर दिया जाये तो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान से विचार करें अस्वीकार करने के लिए दिये गये बिंदुओं का उपयोग अपनी पांडुलिपी को सुधार करने में करें और संबधित साहित्य का अधिक अध्ययन करें और आपको अधिक प्रयोग की आवश्यकता हैं। पांडुलिपी को संशोधित करके उसी जर्नल या किसी अन्य वैकल्पिक जर्नल में भेजें। कभी भी बिना संशोधित पांडुलिपी को किसी अन्य जर्नल में ना भेजें। इसके अतिरिक्त उन्होनें मैटेरियल और मेथड प्रस्तावना संर्दभ अभिस्वीकृति संक्षेपाक्षर लेखकों के नाम व पते के लेखन की जानकारी दी। डा सिद्दकी ने कहा कि कभी भी पूरी लाइन या अनुच्छेद का नकल बिना मूल पाठ का ज्रिक किए ना करें, यह विज्ञान में सबसे बड़ा अपराध है यह आपकी छवि खराब करेगा और आपके वैज्ञानिक कैरियक को भी प्रभावित कर सकता है। अपनी पांडुलिपी को जमा करने से पहले, अपने कार्यस्थल के मित्रों के साथ समूह समीक्षा अवश्य करें।
एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशक डा नूतन कौशिक ने प्रो कदमबोट सिद्दकी का स्वागत करते हुए कहा कि यह कार्यशाला हमारे युवा शोधार्थियों एवं छात्रों के लिए बेहद महत्वपूर्ण और लाभदायक होगी। कई बार जनरलों में शोध पेपर प्रकाशन के दौरान वरिष्ठो को भी अस्वीकारता का सामना करना पड़ता है। पेपर में कुछ महत्वूपर्ण बिंदु रह जाते है। प्रो कदमबोट स्दिदकी द्वारा शोध पेपर प्रकाशन हेतु दिये गये सफलता के मंत्र आपको एक अच्छा पेपर लिखने और प्रकाशन करने के लिए प्रेरित करेगें। डा कौशिक ने कहा कि इसके साथ आप पेपर प्रकाशन की अस्वीकारता से किस प्रकार निपटें इसकी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई जो अत्यंत आवश्यक है। एमिटी मे हम छात्रो को इस प्रकार की कार्यशालााओ से प्रयोगिक जानकारी प्राप्त करने में सहायता करते है।
इस अवसर पर द यूडब्लूए इंस्टीटयूट ऑफ एग्रीकल्चर के निदेशक प्रो कदमबोट सिद्दकी ने एमिटी विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिकों एमिटी साइंस टेक्लोलॉजी इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती सहित डा नीरज शर्मा डा ए के सिंह गुप कैप्टन कपिल शुक्ला और डा गोपाल भूषण से मुलाकात की।
इस कार्यशाला में एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन के प्रिसिपल एडवाइजर डा आर एस अंटिल एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ ऑरगेनिक एग्रीकल्चर की संयुक्त समन्वयक डा संगीता पांडेय उपस्थित थी।