Eros Times:नोएडा में एक अनोखा मामला देखने को मिला जिसमें एक कंपनी में काम करने वाली लड़की की अचानक तबीयत बिगड़ती है, साथ काम करने वाले लोग उसको आराम करने के लिए एक जगह स्विफ्ट कर देते हैं, जब उसकी तबीयत ठीक नहीं होती है तो कंपनी से उसके घरवालों को फोन से सूचित किया जाता है और घरवालों द्वारा उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है जहां उसकी स्थिति कंट्रोल नहीं होने के कारण नोएडा सेक्टर 30 स्थित सरकारी अस्पताल ले जाया जाता है जहां कुछ घंटों में ही उसे वहां से दिल्ली सफदरजंग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया, जहां 2 दिन के उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो जाती है।
मृतक के पिता सफीकउल्लाह ने बताया कि उनकी बेटी फातिमा सफीक सेक्टर 62 स्थित क्यू कनेक्ट कंपनी में कार्य करती थी जो 6 अक्टूबर की सुबह लगभग 7:30 बजे घर से निकली थी 8:05 बजे कम्पनी पहुँची जो कि उसका ऑफिस टाइम था। कम्पनी वालो ने उन्हें बताया कि फातिमा सफीक की लगभग 10:00 बजे अचानक तबीयत खराब हो गई थी तो उन्होंने उसे व्हीलचेयर पर बिठाकर चौथी मंजिल पर आराम करने के लिए भिजवा दिया, जब फातिमा को आराम नहीं मिला तो उसके घर वालों को सूचना दी गई, घरवाले पहुंचे और उन्होंने उसे खोड़ा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, अस्पताल वालों ने उसे नोएडा सरकारी अस्पताल ले जाने की सलाह दी, वह सेक्टर-30 अस्पताल लेकर गए जहां दो-तीन घंटे बाद ही उन्हें दिल्ली सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां उसकी उपचार के दौरान मृत्यु हो गई।
सोचने वाली बात यह है कि जब फातिमा सफीक की तबीयत बिगड़ी तो उसे 6 घंटे तक क्यों कोई प्राथमिक उपचार उपलब्ध नहीं कराया गया, क्यों नहीं उसे किसी अस्पताल में भर्ती कराया गया, किस वजह से उसके घरवालों को इतनी लेट सूचना दी गई, क्या उस फैक्ट्री का कोई नैतिक कर्तव्य नहीं था।
एक और महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण प्रश्न सामने आता है कि क्या वजह थी कि कम्पनी वालो ने फातिमा के घरवालों को लेट सूचना दी, यहां तक कि उसकी मौत में भी शरीक नहीं हुए, और ना ही मृतिका के परिजनों का फोन ही उठा रहे हैं मिलने भी जाते हैं तो मिलने से इंकार कर देते हैं। क्या इसमें कोई पहेली है, यह सीधे-सीधे उनका हाथ।