नई दिल्ली। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि , “अनिवार्य रूप से सभी प्री-पेड मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं को अपनी पहचान सत्यापित करने और सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सिम कार्ड आपराधिक, आतंकवादी या धोखाधड़ी जैसी गतिविधियों के लिए दुरुपयोग न हो और वो इसके लिए जाँच भी करे।
कोर्ट ने भारत के जे एस खेहर के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में कहा कि इस तरह का अभ्यास चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि यह एक ऐसी व्यवस्था है जो एक वर्ष के तहत नए मोबाइल ग्राहकों के लिए उनकी पहचान की जांच करने के लिए और आधार-आधारित ई-केवाईसी (अपने ग्राहक को जानिए) रूपों को भरने के लिए आवश्यक हो जाएगा और जल्द ही इसे 1 साल के भीतर इसे डाल दिया जाएगा।
लेकिन अदालत ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि मौजूदा ग्राहकों को भी यह पहचान पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया गया है,और उसको भी सत्यापित किया जाना चाहिए। ऐसा न होने पर उन्हें किसी भी रिचार्ज की सुविधा अनुमति नहीं दी जानी चाहिए,लेकिन इसके तहत के असत्यापित प्री-पेड मोबाइल नंबरों को छह महीने का समय देने का सुझाव भी कोर्ट ने दिया।
“यह प्रस्तुत है कि यह एक प्रभावी प्रणाली है और इसे कुछ समय बाद उस जगह में डाल दिया जाएगा और जांच की प्रक्रिया एक साल में पूरा हो जाएगी। पीठ ने कहा कि, इस प्रक्रिया को पूरी उम्मीद के साथ एक साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका जारी की है लोकनीति फाउंडेशन, जो कि लगभग पाँच करोड़ प्रीपेड ग्राहकों को जो असत्यापित थे और कोर्ट में दायर हुई याचिका की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने मोबाइल उपयोगकर्ताओं द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी की प्रामाणिकता की जाँच करने के लिए एक उचित तंत्र जगह में डालने के लिए केंद्र सरकार को इस दिशा में कदम उठाने की मांग की थी। सत्यापन तथ्य यह है कि मोबाइल फोन अब बैंकिंग के लिए भी उपयोग किया जाता है, इसलिए इसको देखते हुए भी यह जरूरी हो गया था।
इस तरह के फोन के संभावित दुरुपयोग को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए पीठ ने कहा कि ग्राहकों के लिए खुद को रिचार्ज के समय को सत्यापित करने के लिए उन्हें एक मौका भी दिया जा सकता है। यह याचिका लंबित रखने के लिए और दर्ज की गई रोहतगी का आश्वासन देते हुए कहा कि यह सत्यापन एक वर्ष के भीतर इसे पूरा कर लिया जाएगा।
पहले के एक सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश खेहर ने कहा था कि यह महत्वपूर्ण था और यह भी था की फर्जी ग्राहकों हटा दें। इस तरह से धोखाधड़ी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए यह जरूरी हो गया था।
याचिकाकर्ता नें असत्यापित सिम कार्ड से उत्पन्न होने वाले खतरों पर प्रकाश डाला और कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा था।