नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में सोमवार की रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। मौसम विभाग के अनुसार भूकंप का केंद्र उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला बताया जा रहा है। रिक्टर पैमाने पर इसका परिमाण 5.8 मापा गया। भूकंप का केंद्र उत्तराखंड का रूद्रप्रयाग का इलाका रहा। इसके लिए एनडीआरएफ की चार टीमें रवाना भी हो गईं हैं।
उत्तराखंड के सभी जिलों में भूकंप के तेज झटके
उत्तराखंड से मिली खबरों के मुताबिक ‘कुमाऊं और गढ़वाल मंडल’ के सभी जिलों में तेज झटके महसूस किए गए जिसके बाद लोग घरों से बाहर निकल आए। भूकंप के झटके लगभग लगभग 10 से 15 सेकेंड तक रहे। फिलहाल कहीं से भी जानमाल के नुकसान होने की कोई खबर नहीं है। देहरादून के ‘त्यूणी’ के अलावा ‘चमोली’ जिले में कुछ स्थानों पर घरों में दरारें पड़ने की सूचना मिली है। वहीं पश्चिमी यूपी सहित पंजाब में तेज झटके महसूस किए जाने की खबर है। अभी तक किसी भी जगह से जान-माल के हुए नुकसान की कोई खबर नहीं आई है।
उत्तराखंड के अधिकारियों के संपर्क में है पीएमओ- पीएम मोदी
सोमवार रात को आए भूकंप के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के उत्तरी भाग में आए भूकंप के बाद के हालातों का जायजा लिया है। पीएम मोदी ने भी टवीट् कर कहा कि, ‘मैंने उत्तर भारत के विभिन्न भागों में भूकंप आने के बाद के हालातों का जायजा लिया और उसके लिए अधिकारियों से बात भी की।’ अपने अगले ट्वीट में पीएम ने लिखा है कि, ‘भूकंप का केंद्र रहा उत्तराखंड पीएमो वहां के अधिकारियों से लगातार संपर्क कर रही है, मैं हर किसी की सुरक्षा की कामना करता हूं।’
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लिया भूकंप जायजा
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी भूकंप को लेकर अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। एनडीआरएफ की दो टीमों को भूकंप के केंद्र ‘रुद्रप्रयाग’ भी रवाना किया गया है। गृह मंत्रालय ने एनडीआरएफ को हाई अलर्ट पर रहने कहा है। साथ ही साथ ये भी कहा की, “हमें हर संभव इन आपदाओं के लिए तैयार रहना चाहिए, ताकि हम वक़्त रहते लोगो को जान माल होने से बचा सके।
जानें कैसे और क्यों आते है भूकंप
- हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं।
- ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, और जब ये बहुत ज़्यादा हिलती हैं, तो इस क्रम में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है, तो भूकंप आता है।
- टैक्टोनिक प्लेट्स 50 से 100 किलोमीटर तक की मोटाई की होती हैं, और ये परतें लगातार घूमती रहती हैं। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं।