Eros Times:नोएडा के सेक्टर 18 में एक कियोस्क को नीलामी से बेच कर अधिक पैसा कमाने की इच्छा के चलते बोली (ई आक्शन) लगवाई गई और कियोस्क लेने के शौकीन ने रुपए 325000/ प्रतिमाह की दर के किराए पर कियोस्क आवंटित करवा ली। जैसा कि शुरू से ही यह सबकी समझ आ रहा था कि एक कियोस्क का किराया ₹325000/ प्रति माह हर तरह से जरूरत से, व्यवहार से और बाजार की दर से अधिक है और कियोस्क चलाने वाला इतना किराया नहीं निकल सकता। नोएडा में कमर्शियल प्रॉपर्टी लेना अपने आप में बड़ी बात है और वह भी सेक्टर 18 में। एक कियोस्क आवंटन करवाने के लिए शायद केवल प्रतिष्ठा के प्रश्न पर रुपए 325000/ प्रतिमाह किराए की बोली लगाकर आवंटन करवाया गया। जिस ने बोली लगाई जिस ने बोली लगाई वह तो नासमझ व्यापारी था लेकिन नोएडा प्राधिकरण जो उत्तर प्रदेश शासन की महत्वपूर्ण इकाई है और जो आम जनता के लिए शहर का विकास कर रही है जिसमें आवासीय, औद्योगिक, वाणिज्यिक और संस्थागत संपत्तियों का विकास किया जा रहा है। क्या वाणिज्यिक संपत्ति की (रिजर्व प्राइस) न्यूनतम दर निश्चित करते हुए प्राधिकरण के अधिकारियों को यह बिल्कुल समझ में नहीं आया की एक चाय पान सिगरेट या नाश्ता आदि बेचने की क्षमता वाली किओस्क का किराया कितना हो सकता है? ऐसी संपत्ति को नीलामी से बेचने की कोशिश प्राधिकरण की पूंजीवादी सोच को दर्शाती है। समाज में यह बात कही जाती है कि जिसकी जेब में ज्यादा पैसे आ जाते हैं वह गरीब आदमी की आवश्यकता और मजबूरियों को नहीं समझ पाता। वही दशा प्राधिकरण की हो गई है। प्राधिकरण को इस प्रकार की संपत्तियां मूल्य करके निश्चित मूल्य पर आवेदन आमंत्रित कर लॉटरी से आवंटित करनी चाहिए ताकि वास्तव में जरूरतमंद व्यक्ति को ही मिल सके। यह बात सामान्य समझ वाला व्यक्ति भी समझ सकता है कि जो व्यक्ति ₹325000/ प्रतिमाह किराया देने की संपत्ति खरीदना चाहता है क्या वह वास्तव में किओस्क चलाने वालों की श्रेणी का है? प्राधिकरण द्वारा सभी संपत्तियों के लिए या क्षण नीलामी से आवेदन की प्रक्रिया अपना कर सामान्य व्यक्तियों को आवेदक की श्रेणी से बाहर कर दिया है। और इस प्रकार केवल पूंजीपति ही आवंटन के लिए पात्र रह गए हैं। जिंदगी की शुरुआत में औद्योगिक इकाई लगाने का सपना देखने वाले युवक नीलामी से फैक्ट्री की जमीन खरीद कर शुरुआत करने की क्षमता नहीं रखते। यह इतनी सी बात प्राधिकरण के उच्च पदों पर पद आसीन अधिकारी और प्रदेश की सरकार नहीं समझ पाई। नीलामी की प्रक्रिया को अपनाकर नोएडा प्राधिकरण की स्थापना के मूल उद्देश्य को नकार दिया गया है। जहां पर सामान्य नागरिक के लिए आवासीय, औद्योगिक आदि संपत्तियां योजना के माध्यम से लॉटरी से आवंटित की जानी चाहिए। वाणिज्यिक संपत्ति को ऊंची दर पर बेचने की इच्छा में प्राधिकरण अनेक बार विज्ञापन देकर प्राधिकरण के लाखों रुपए खर्च कर चुका है और अनेक संपत्तियों के विरुद्ध कोई खरीददार बोली लगाने नहीं आ रहा। शायद बार-बार योजना निकालने वाली समिति इसके कारणों पर विचार नहीं करना चाहती। कम से कम कियोस्क जैसी संपत्ति को सामान्य आवेदन आमंत्रित कर लॉटरी से आबंटन सुपात्र को किया जाना ही मानवीय दृष्टि से तर्कसंगत है।
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