ड्रुम की अनोखी पहल के रूप में पिता-दिवस के कार्यक्रम पर वंचित बच्चों को प्रेम व संभाल की बौछार
नई दिल्ली, इरोस टाइम्स: जिसका प्रेम व खुशी फैलाने में विश्वास है, ऐसे विचारवान ‘लोगों’ के संगठन ड्रुम, जिन्होंने भारत में ऑनलाइन ऑटोमोबाइल कार्य-संपादन बाजार-स्थल शुरु किया है, उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता को बढ़ाते हुए नन्हें वंचित बच्चों की जिंदगियों पर प्रेम की फुहार छोड़ते हुए पिता-दिवस को आयोजित करने का निश्चय किया है। ड्रुम इस पहल के रूप में पीवीआर नारायणा पर सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स का विशेष स्क्रीनिंग करने जा रहा है।
क्रिकेट प्रेमियों के लिए व साथ ही जो किसी भी ओर नहीं हैं, ऐसी तीन पीढ़ियों के लिए सचिन तेंदुलकर प्रेरणा-स्त्रोत रहे हैं। क्रिकेट तो भारत में धर्म के समान है और सचिन भगवान की तरह हैं और इस पीढ़ी के बच्चों को और कोई इस तरह इतना प्रेरित नहीं करता है, जितना कि लिटिल मास्टर करते हैं। मन में इस विचार को रखते हुए, हमने तय किया कि मास्टर ब्लास्टर के केरियर व उनके जीवन पर हाल ही में आई दस्तावेजी फिल्म का विशेष स्क्रीनिंग आयोजित किया जाए।
इस अद्भुत पहल पर ड्रुम के संस्थापक व सीईओ, संदीप अग्रवाल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि,
“पारंपरिक रूप से हम पिता-दिवस पर पितृत्व व पिता तथा बच्चे के बीच के विशेष बंधन पर आमोद-प्रमोद कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं। लेकिन इस बार हमने कुछ पूरी तरह भिन्न करने का निश्चय किया। क्यों नहीं इस पिता-दिवस पर दुर्भाग्यपूर्ण स्थितिवाले वंचित बच्चों को प्रेम व खुशी की दुलार के माध्यम से प्रेरित व प्रोत्साहित किया जाए? यहाँ से इस विचार का प्रादुर्भाव हुआ। हम बच्चों से संवाद करेंगे और लोगों की मस्ती-मजाक से भरी विकास की गतिविधियों के माध्यम से, प्रेरणाप्रद सिनेमा व सैर-सपाटे के सत्र, बच्चों के साथ लंच तथा इसी प्रकार बालकों की इसी तरह की गतिविधियों को करते हुए उनसे नेतृत्व, समस्या को हल करने की पहुँच तथा उत्तरदायित्व की भावना के बारे में इस दिन के माध्यम से बात करेंगे।”
इस अवसर पर उन्होंने यह भी बताया कि, “मैं आज जो हूँ, वैसा बनाने में मेरे पिता की अहम् भूमिका रही है। आज भी एक बच्चे के रूप में मैंने मेरे पिता की ओर देखा है और उन्होंने जो भी किया है, उनका अनुकरण करने की कोशिश की है। लोगों की मदद करना, यह वह भाव है, जो मैंने मेरे पिता से आत्मसात किया है और मैं चाहता हूँ कि मेरे पास जो भी मौके आएँ, उसमें मैं कुछ करना चाहता हूँ। इन वंचित बच्चों के लिए मैं पितृ-तुल्य होना चाहता हूँ और जिस प्रकार से भी मैं मदद कर सकूं, वैसी मैं करना चाहता हूँ।”
स्माइल फाउन्डेशन का मिशन शिक्षा कार्यक्रम, जो पिछड़े ग्रामीण व शहरी भागों से आनेवाले वंचित बच्चों में शिक्षण व स्वास्थ्य-संभाल को प्रोत्साहित करता है, उनके साथ ड्रुम स्वैच्छिक सेवाएँ देगा। यह कार्यक्रम वंचित बच्चों में वैश्विक शिक्षा को प्रोत्साहित व उत्प्रेरित करता है व उस प्रक्रिया को निर्मित करता है, जिससे इन बच्चों को स्थायी तरीके से मुख्य-धारा में प्रवेश मिल सके और उनकी योग्यताएँ सशक्त हों और वे औपचारिक शिक्षण प्रणाली के अनुरूप चल सकें व एक उत्पादक परिसंपत्ति के रूप में उभरने में सक्षम हो सकें और राष्ट्र निर्माण के लिए नींव का संस्थापन कर सकें।
इस अवसर पर सांतनु मिश्रा, स्माइल फाउन्डेशन के सह-संस्थापक व कार्यकारी न्यासी ने कहा कि,
भारत दुनिया की सर्वाधिक युवा आबादी का घर है और इसका बड़ा भाग अब भी अशिक्षित है और गरीबी के इस दुश्चक्र से बाहर आने के लिए शिक्षा ही एकमात्र मार्ग है। हम ड्रुम के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने इस पहल के लिए सहयोग प्रदान किया है और हमारे बच्चों के बेहतर भविष्य हेतु हमारे दृष्टिकोण को वे साझा कर रहे हैं।
इस समय स्माइल फाउन्डेशन के मिशन शिक्षा पहल से प्रत्यक्ष रूप से भारत के 21 राज्यों की 91 परियोजनाओं के द्वारा 23,000 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। पूरे दिन की सामुदायिक गतिविधि का आयोजन 17 जून को किया जा रहा है।