नई दिल्ली:EROS TIMES: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा हमारे देश की धरोहर ऐतिहासिक लाल किला को एक साजिश के तहत किसी प्राईवेट संस्था को बेचे जाने के खिलाफ आज कांग्रेस पार्टी लाल किले पर प्रदर्शन कर रही है।
कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता प्रतीकात्मक तौर पर पांच-पांच रुपये दान पेटी में डालकर एकत्रित करके लाल किला के रख-रखाव के लिए मोदी को भेजेगी। माकन ने कहा कि अगर जरुरत पड़ेगी तो कांग्रेस कार्यकर्ता प्रतिवर्ष पांच करोड़ रुपया एकत्रित करके केन्द्र सरकार को देंगे लेकिन लाल किला को केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा बेचने नही देंगे। प्रदर्शन का आयोजन चॉदनी चौक जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मौहम्मद उस्मान ने किया।
इससे ज्यादा शर्म की बात क्या हो सकती है कि मोदी सरकार जो अपने प्रचार के लिए 3000 करोड़ रुपया तो खर्च कर सकती है लेकिन देश की सांस्कृतिक धरोहर लाल किला की मरम्मत के लिए 5 करोड़ रुपया प्रति वर्ष खर्च नही कर सकती।
मोदी सरकार के खिलाफ आज हम लाल किले पर एकत्रित होकर पांच-पांच रुपये इक्ट्ठे करके प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराऐंगे ताकि मोदी ऐसे देश विरोधी फैसले न ले, इसलिए आज हम लाल किला पर अपना रोष प्रकट करने के लिए एकत्रित हुए है।
प्रदर्शन में प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के अलावा पूर्व दिल्ली मंत्री हारुन यूसूफ, मुख्य प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी, पूर्व विधायक प्रहलाद सिंह साहनी और कुंवर करण सिंह, जिला अध्यक्ष मौहम्मद उस्मान निगम पार्षद आले मौहम्मद, प्रेरणा सिंह, सुल्तानाबाद, पूर्व पार्षद अशोक जैन, साईं अनामिका सहित सैंकड़ो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
लाल किला न सिर्फ देश की एक सांस्कृतिक धरोहर है बल्कि लाल किला एक प्रतीकात्मक चिन्ह भी है जिसे देश में प्रचलित करेंसी पर भी एक ऐतिहासिक तौर पर छापा गया है।
यह वही लाल किला है जहां से अंग्रेजों के खिलाफ 1857 में बहादुरशाह जफर, रानी लक्ष्मीबाई तात्या टोपे सभी ने आजादी लड़ाई की शुरुआत की थी। लाल किला ही प्रतीकात्मक चिन्ह था जिसके उपर झंडा फहराने के लिए उस पर कब्जा करने के लिए देशवासियों ने अपनी कुर्बानी दी थी।
20 सितम्बर 1857 को जब अंग्रेजों ने लाल किला पर कब्जा किया था तो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लगातार 90 साल लड़ाई लड़कर देश को आजाद कराया और ऐतिहासिक लाल किला पर भारत का झंडा फहराया। यह वही लाल किला है जहां पर क्रांतिकारियों के खिलाफ अदालत लगती थी और क्रांतिकारियों को देश विद्रोही करार देकर आदेश सुनाए जाते थे।
आजादी के बाद 15 अगस्त को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने इसी लाल किला पर झंडा फहरा कर भारत के लाखों करोड़ों लोगों को आजादी के बाद पहला संदेश दिया था। लाल किला से ही प्रतिवर्ष देश के प्रधानमंत्री चाहे वे किसी भी राजनीतिक पार्टी के हो, 15 अगस्त को देशवासियों को संदेश देते है क्योंकि लाल किला भारत का प्रतीक चिन्ह है।
अगर लाल किला को गिरवी रख दिया जाए, लीज पर दे दिया जाए, बेच दिया जाए या लाल किला पर एम.ए.यू. साईन कर दिया गया तो भारत के दिवालियापन का इससे बड़ा उदाहरण नही हो सकता। कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार के ऐसे देश विरोधी निर्णयों को बर्दाश्त नही करेगी और जिस प्रकार कांग्रेस पार्टी ने अंग्रेजो को देश से भगाने के लिए कुर्बानियां दी थी। उसी प्रकार लाल किला को डालमिया ग्रुप से वापस लेने के लिए कांग्रेस पार्टी पूरी ताकत से संघर्ष करने के लिए तैयार है।