कैंसर रोग के प्रति लोगों को करेगा जागरूक, 04 फरवरी को मनाया जाता हैं विश्व कैंसर दिवस
नोएडा। कैंसर रोग के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर वर्ष की 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी क्रम में आज नोएडा के सेक्टर -11 स्थित मेट्रो हॉस्पिटल में एक प्रेसवार्ता के दौरान जानकारी देते हुए बताया गया कि यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में लोगों को शुरुआत में पता नहीं चल पाता है हमारे यहां लोग अपने शरीर में होने वाले परिवर्तन या इस बीमारी के शुरू में लक्षणों के बारे में जानकारी न होने के चलते इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। जबकि यह बीमारी लाइलाज नहीं हैं समय रहते इसका इलाज संभव हैं। लेकिन जब तक वो समझ पाते हैं बीमारी काफी बढ़ जाती है।
वही मेट्रो अस्पताल के डायरेक्टर एंड हेड मेडिकल ऑन्कोलॉजी हिमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी डॉ. आर के चौधरी ने बताया कि कैंसर का नाम सुनकर भले ही लोगों के मन में सिहरन उठती हो मन घबरा जाता है, परिवार मानसिक रूप से कमजोर पड़ जाता है। पर बहुत से लोगों ने कैंसर से मुकाबला किया और जीत हासिल की। हिम्मत और हौसले के बूते कैंसर जैसी घातक बीमारी पर जीत हासिल की। यह विजेता 10 से 15 साल बाद भी सामान्य लोगों की तरह सेहतमंद जीवन जी रहे हैं।
उन्होंने बताया कि शरीर कई प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है, जो शरीर में बदलावों के कारण बढ़ती रहती हैं लेकिन जब ये कोशिकाएं अनियंत्रित तौर पर बढ़ती हैं और पूरे शरीर में फैल जाती हैं, तब यह शरीर के अन्य हिस्सों को उनका काम करने में कठिनाइयां उत्पन्न करने लगती हैं। इससे उन हिस्सों पर कोशिकाओं का गुच्छा गांठ या ट्यूमर बन जाता है। जिस अवस्था को कैंसर कहते हैं। यही ट्यूमर घातक होता है और लगातार बढ़ता रहता है। उन्होंने कहा कि कैंसर अब लाइलाज नहीं है बल्कि समय से पहचान होने पर सफल इलाज संभव है। कैंसर दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य कैंसर के बारे में लोगों में जागरूकता उत्पन्न करना और रोग का जल्दी पता लगाने की जरूरत तथा कैंसर के उपचार पर ध्यान केंद्रित करना है।
वही प्रेसवार्ता के दौरान सीनियर कंसलटेंट रेडिएशन ऑन्कोलॉजी डॉ. पियूषा कुलश्रेष्ठ ने बताया कि यदि हम अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहें और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह से चेकअप कराते रहें तो बीमारी का समय से पता चलने पर इलाज भी संभव है। विदेशों में ये बीमारी हमारे देश से ज्यादा है परंतु इससे होने वाली मृत्यु दर कम है। इसका मुख्य कारण यह है कि वो अपने स्वास्थ्य और शरीर को लेकर बहुत ज्यादा जागरूक हैं। उनका सामाजिक समर्थन हमसे ज्यादा अच्छा है। यह बीमारी केवल एक व्यक्ति के बीमारी नहीं है, बल्कि मरीज का पूरा परिवार इसका दर्द झेलता है। इस बार विश्व कैंसर दिवस की थीम है क्लोज द केयर गैप इसका मतलब है कि हमारे पड़ोसी या समाज में अगर कोई मरीज हैं तो हम जिस भी तरीके से उन की मदद कर सकते हैं तो हमारा समय हो, नैतिक समर्थन हो या फाइनेंशियल हो, यह कैंसर से लड़ाई में बहुत जरूरी है। दुनिया में अनेक लोग कैंसर को हराकर सुखी जीवन जी रहे हैं। मेरे अपने पिता भी इसका एक उचार है। उनको थर्ड स्टेज का कैंसर था। पिछले 18 सालों से बिल्कुल ठीक हैं। कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता चलने पर सर्जरी या रेडियो व कीमोथैरेपी से जड़ से खत्म किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जहां महिलाओं के ब्रेस्ट में गांठ का होना, ब्रेस्ट से रक्त या किसी तरल पदार्थ का निकलना, ब्रेस्ट की बनावट में बदलाव आना जैसे लक्षण देखते हैं। वहीं बच्चेदानी और बच्चे दानी के मुख के कैंसर के लक्षण में पीरियड के बीच में ब्लड आना या महीना बैंड (रजोनिवृत्ति) होने के बाद फिर से ब्लीडिंग होना शामिल हैं। कैंसर के उपचार के विकल्प के रूप में सर्जरी, कैंसर की दवाएं या रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी शामिल हैं। भारतीय पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर जबकि महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा सबसे अधिक रिपोर्ट किया जाता रहा है। आमतौर पर 60 साल सेअधिक आयु के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम सबसे अधिक देखा जाता है, हालांकि यह कम उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है। वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम अधिक रहता है। मैमोग्राम के माध्यम से इसका जल्दी पता लगाने में मदद मिलती है।
मेट्रो अस्पताल की यूनिट हेड डॉ. कनिका कंवर ने बताया कि कैंसर के कारण में तंबाकू के सेवन से, शराब और सिगरेट का सेवन करना, इन्फेक्शन, मोटापा, सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों और खराव लाइफस्टाइल कैंसर की प्रमुख वजहें हैं। कैंसर की आमतौर पर चार मुख्य स्टेज होती हैं। पहली और दूसरी अवस्था में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है या कैंसर सीमित जगह पर होता है। यह टिश्यूज की गहराई में नहीं फैलता । तीसरे स्टेज में कैंसर विकसित हो जाता है और ट्यूमर का आकार भी बढ़ सकता है या फिर कई ट्यूमर हो सकते हैं। शरीर के अन्य अंगों में इसके फैलने की संभावना बढ़ जाती है। चौथी और आखिरी स्टेज में कैंसर अपने शुरुआती हिस्से से अन्य अंगों में फैल जाता है। जिसे मेटास्टेटिक कैंसर कहा जाता है।
डॉ. संग्राम सिंह साहू ने बताया कि कैंसर की बीमारी पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रही है। हमारे पास इस बीमारी को लेकर एडवांस तकनीक से इलाज उपलब्ध है, परंतु कई बार मरीज के अस्पताल देर से पहुंचने या भ्रमित होकर इधर-उधर भटकने से बीमारी बढ़ जाती है। इसकी वजह से कहीं न कहीं स्वस्थ होने की दर में गिरावट आ जाती हैं। इस दौरान उन्होंने बताया कि कैंसर से बचाव के कई तरीके हैं जिसमें डिब्बों में बंद रेडीमेड खाना न खाएं,लाल मीट न खाएं और नियमित व्यायाम करें। तंबाकू से बने उत्पादों और शराब का सेवन न करें। -नियमित रूप से व्यायाम करें और सफाई का ध्यान रखें। वही कैंसर के लक्षण के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि अगर लम्बे समय से खांसी जो ठीक न हो, लगातार हड्डियों में दर्द का होना, मुंह में ठीक न होने वाला छाला होना, लगातार बुखार आना, अचानक वजन कम होना, शरीर में मुख्य स्टेन मेन, किसी स्थान पर गांठ होना जिसमें दर्द न हो और महिलाओं में बिना माहवारी के भी ब्लड आना जैसे अगर लक्षण दिखते हैं तो अतिशीघ्र अपनी जाँच कराये।