
Eros Times: लखनऊ। एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन मैन्युफैक्चरर (एआईएम) ने एमएसएमई की राष्ट्रीय स्तर की ज्वलंत समस्याओ को उठाने हेतु एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया।
एआईएम अध्यक्ष मनमोहन अग्रवाल ने कहा कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए सरकार को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ज्वलंत समस्याओ के समाधान के लिए उचित व ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि हमारी संस्था एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन मैन्युफैक्चरर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की एक राष्ट्रीय संस्था है जो वर्तमान में देश भर के 8 राज्यों- उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, केरला, ओडिशा, पंजाब एवं राजस्थान में विद्यमान है। एआईएम का प्राथमिक उद्देश्य पूरे भारत में अपने उद्योग संचालित करने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की उन्नति तथा सरकार एवं सरकारी एजेंसियों के साथ परस्पर समन्वय स्थापित करते हुए भारत को विनिर्माण केंद्र बनाना है।

एआईएम के उपाध्यक्ष कुलमणि गुप्ता ने एआईएम की कार्यशैली का प्रमुख का उल्लेख करते हुए बताया कि एआईएम सदस्यों की समस्याओ के साथ-साथ इनोवेशन, डायवर्सिफिकेशन तथा एक्सपोर्ट भी है इसी के अनुरूप ही संस्था का रोडमैप तैयार किया गया और प्रयास भी प्रारंभ कर दिए गये है।
महासचिव उमेश बत्रा ने बैठक में एआईएम के बारे में और बताते हुए कहा कि एआईएम आज के गतिशील और डिजिटलीकृत परिदृश्य में एमएसएमई को उनके विकास की सुविधा प्रदान करके, उनकी क्षमता की खोज करके उन्हें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनाने का भी प्रयास कर रहा है क्योंकि यहीं एमएसएमई राज्य की अर्थव्यवस्था का भविष्य और विकास इंजन भी हैं जो उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 2027 तक 1 ट्रिलियन डॉलर हासिल करने में भी मदद करते हैं।
बैठक में मुख्य रूप से जिन समस्याओ को प्रमुखता से रखा –
उद्योग बंधू से सम्बंधित –
प्रत्येक जिले में होने वाली उद्योग बंधू की बैठक जिसकी अध्यक्षता जिला अधिकारी द्वारा की जानी होती है में सामान्यतः जिला अधिकारी अभी भी उपस्थित नहीं होते है। उद्योगों की समस्याओ को संज्ञान में लेने हेतु वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपने कनिष्ठतम अधिकारी को बैठक में भेज दिया जाता है जिसके कारण उद्यमियों की समस्याओं का समाधान भी संभव नहीं हो पता है। इस सम्बन्ध में सभी जिला अधिकारियों व सम्बंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को यह स्पष्ट रूप से निर्देशित किया जाये कि प्रत्येक जिले की उद्योग बंधू की बैठक में उनका उपस्थित होना आवश्यक है। विभिन्न जिलो में विद्यमान एआईएम के चैप्टरो को भी उद्योग बंधू की बैठकों में उद्योगों का प्रतिनिधित्व करने हेतु आमंत्रित किया जाये तथा प्रत्येक जिले की उद्योग बंधू बैठक के कार्यवृत्त एवं एजेंडा एआईएम के साथ साझा किया जाये ।
टेंडरों में अनावश्यक शर्तों के सम्बन्ध में –
सरकार की प्रोक्योरमेंट पालिसी के तहत MSME विभिन्न सरकारी विभागों में सप्लाई का कार्य करता है। टेंडरों में लगायी जाने वाली अनावश्यक शर्तों के कारण MSME टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने में अथवा टेंडर की शर्तों को पूर्ण करने में असमर्थ है। मुख्य रूप से न्यूनतम टर्नओवर क्लॉज़, पूर्व परफॉरमेंस इत्यादि जैसे शर्ते लगायी जाती है जिन्हें MSME द्वारा पूरा किया जाना संभव नही है। अतः इन टेंडरों में अनावश्यक शर्तों पर उपयुक्त आदेश जारी किये जाये।
बिजली विभाग – ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग से सम्बंधित समस्या-
ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग का कार्य MSME इकाईयां 3 दशको से करते आ रहे है जिसमे कई हजार ancilliary इकाईयां जुडी हुई है। पिछले 4-5 वर्षों में विभिन्न डिस्कॉम द्वारा MSME इकाईयों के ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग का कार्य बंद कर दिया गया है जिससे हजारो संख्या में उद्यमी के पास कोई काम नहीं है। इसके बावजूद फिक्स्ड खर्चों जैसे बिजली का बिल, कर्मचारियों का वेतन, हाउस टैक्स, एवं अन्य सरकारी देयता का आर्थिक बोझ वहन कर रहे है। इस सम्बन्ध में यह सुझाव है कि ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग का कार्य MSME के द्वारा कराया जाये जिससे हजारो कुशल कारीगरों को रोजगार मिलेगा तथा विभागीय वर्कशॉप में हो रहे ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग के कार्य कम से कम 50% निजी क्षेत्र के MSME इकाईयों को दिया जाये।
विद्युत से सम्बंधित समस्या-
उद्योगों को चलाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता विद्युत की होती है। प्रशंसा का विषय है कि योगी सरकार विद्युत आपूर्ति करने में पूर्णतया कटिबद्ध है परन्तु आज की स्तिथि यह है कि 75 जिलो में निर्वाध विद्युत आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। इसका कारण विभाग द्वारा रख रखाव में कमी हो सकती है जिसकी कोई जवाबदेही नहीं है। यह विद्युत कटौती क्यों की जा रही है या कब तक की जाएगी या कितनी बार हो रही है इसका कोई भी जवाबदेही नहीं है। इससे सरकार के रेवेन्यू पर प्रभाव पड़ता है और उद्यमियों को भी समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है।
इस सम्बन्ध में यह सुझाव है कि कम से कम ऐसी व्यवस्था बना दी जाये कि 75 जिलो में कितने डेडिकेटेड फीडर है उनमे किन कारणों से और कितने बार ट्रिपिंग हो रही है उस पर बैठक करते हुए समाधान निकालने का प्रयास किया जाये जिससे यह अनियमित विद्युत कटौती एवं ट्रिपिंग बंद हो। जनरेटर से विद्युत् आपूर्ति उद्यमियों को 22 रु प्रति यूनिट पड़ती है, इस सम्बन्ध में हम आपसे कोई अनुदान नही अपितु सुधार की अपेक्षा कर रहे है यदि विद्युत विभाग के अधिकारी इस पर ध्यान दे तो यह संभव हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में औद्योगिक बिजली की प्रति यूनिट दर रु. 8 /KWH है जो कि अन्य राज्यों (Gujarat- Rs. 5.22/Unit, Chhattisgarh- Rs. 4.28/kWh, Delhi- Rs 7.75/kWH, Haryana- Rs. Rs 6.95/KWH) की अपेक्षा अधिक है। यदि यूपी में भी बिजली की दरो को कम किया जाये तो औद्योगिकीकरण को और बढ़ावा मिलेगा और उद्यमियों को भी भारी बिजली दरों से भी छुटकारा मिलेगा जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि होगी जिसका परिणामस्वरूप सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
लीज होल्ड औद्योगिक भूखंडों क भूखंडों को फ्री होल्ड में बदलने के सम्बन्ध में-
नई औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए भूमि की अनुपलब्धता उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विल प्रमुख समस्या है। लीज होल्ड औद्योगिक भूखंडों को फ्री होल्ड में बदलने से इस समस्या को कुछ करने में मदद मिल सकती है। लीज होल्ड भूखंडों को फ्री होल्ड में बदलने से राज्य सरकार क राजस्व उत्पन्न करने में भी मदद मिलेगी।
बैंकों द्वारा फॉर क्लोजर चार्ज करने व खाता बंद करने के बावजूद NOC न देने के सम्बन्ध में-
यदि इकाईयों द्वारा कम ब्याज दर अथवा सेवाओ में कमी के कारण किसी अन्य बैंक में अपना खाता खोल लिया गया है तो पूर्व बैंक द्वारा अनुचित रूप से पेनल्टी के रूप में भारी फॉर क्लोजर चार्जेज लगा दिए जाते है तथा अन्य नॉन कंप्लायंस चार्जेज की भी मांग की जाती है। फॉर क्लोजर चार्जेज तथा नॉन कंप्लायंस चार्जेज के क्लीयरेंस के बाद ही NOC जारी करने की शर्त बैंकों द्वारा रखी जाती है जिससे उद्यमी अनावश्यक रूप से प्रताड़ित होता है।
फॉर क्लोजर चार्जेज लगाने की प्रथा बैंक की अपनी आचार संहिता के खिलाफ है। क्योंकि सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र के बैंक ‘Code of Bank’s Commitment to Micro and Small Enterprises’ के हस्ताक्षरकर्ता है, जिसे उन्होंने स्वयं “आरबीआई के तत्वावधान में” तैयार किया है तथा अपनाया है।
ब्लड रिलेशन में औद्योगिक भूमि के स्थान्तरण हेतु स्टम्प ड्यूटी के सम्बन्ध में-
उत्तर प्रदेश की अधिसूचना दिनांक 3 अगस्त 2023 के अनुसार, ब्लड रिलेशन में लैंड डीड को गिफ्ट के रूप में देने पर अधिकतम स्टाम्प ड्यूटी 5000 कर दी गयी है। इस अधिसूचना के अनुसार यह स्टाम्प ड्यूटी का प्रावधान एग्रीकल्चरल एवं रेजिडेंशियल भूमि पर ही लागू होगा।
एआईएम का यह अनुरोध है कि यह छूट औद्योगिक भूमि जोकि फ्री होल्ड है पर भी लागू होनी चाहिए और औद्योगिक भूमि के मालिक अपने ब्लड रिलेशन में स्टाम्प ड्यूटी 5000 के अनुसार ही रजिस्ट्री कराने में सक्षम हो सके।
इसके अतिरिक्त औद्योगिक भूमि पर लगने वाला सर्किल रेट जो 1% है, भूमि की लागत के अनुसार लाखो में हो जाती है जो कि एक एमएसएमई के लिए बहुत ही अधिक होती है। इस सम्बन्ध में यह भी अनुरोध है कि इस रेट को भी 5000 स्टाम्प ड्यूटी के ही सामान फिक्स करना चाहिए।
पुलिस विभाग द्वारा उत्पीडन-
सदस्य मेसर्स मनाली पिगमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ में है जो कि भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार एक्सपोर्ट हाउस है और वह एक नया उद्योग लखनऊ में स्थापित कर रही थी परन्तु पुलिस निरीक्षक काकोरी द्वारा लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में शाशन और जिला प्रशाशन को भी सूचित किया गया है, परन्तु कोई भी कार्यवाही नहीं हो रही है।
इस बैठक में अभिषेक गोयल, ललित कपूर, सुनील कुमार राय, विपुल रस्तोगी, अभिषेक गोएल, पी.के. तिवारी, एस.पी. शर्मा आदि पदाधिकारी गण उपस्थित रहे।