एमिटी विश्वविद्यालय में तुलनात्मक कानून पर अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

Eros Times: एमिटी विश्वविद्यालय में विभिन्न कानून प्रणालियों के बीच तुलना का वर्णन करने वाले तुलनात्मक कानून की जानकारी छात्रों को प्रदान करने के लिए एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी लॉ स्कूल नोएडा द्वारा वेर्स्टन ऑस्ट्रेलिया के एडिथ कोवान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बिजनेस एंड लॉ के सहयोग से तुलनात्मक कानून पर दो दिवसीय वार्षिक अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का शुभारंभ भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, लॉ कमीशन ऑफ इंडिया के चेयरपरसन न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, वेर्स्टन ऑस्ट्रेलिया के एडिथ कोवान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बिजनेस एंड लॉ के एसोसिएट डीन डा जोशुआ एन एस्टॉन, फेडरल कोर्ट ऑफ ऑस्ट्रेलिया के न्यायाधीश जॉन एलेक्जेंडर, जबलपुर के धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा मनोज कुमार सिंन्हा, अर्जेंटिना दूतावास के एंबेसी कांउसलर डा सिसिलिया इनेस स्लबरर्ग, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला और एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय द्वारा दीप जलाकर किया गया। इस सम्मेलन में देश विदेश के विभिन्न विधिक संस्थानों के शोधार्थी पेपर प्रस्तुत करेगें।

सम्मेलन का शुभारंभ भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने संबोधित करते हुए कहा कि तुलनात्मक कानून का उदभव कई ऐतिहासिक और कानूनी कारणों से हुआ है जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कानूनी पेशवरों के बीच अपनेपन और परस्पर जुड़ाव की भावना पैदा करता है। कानूनों को समझने और तुलना करने की तात्कालिता बढ़ रही है क्योकि दुनिया तेज गति से बदल रही है और इसलिए तुलनात्मक कानून का अध्ययन भारतीय न्यायिक प्रणाली के नीति निर्माताओं को इसे बेहतर बनाने के लिए नई अवधारणाओ और विचारधाराओं को लागू करने के लिए प्रभावित करने में सहायक होगा।

लॉ कमीशन ऑफ इंडिया के चेयरपरसन न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने संबोधित करते हुए कहा कि संवैधानिक तुलनात्मक कानून नए विचारों को अपनाने और उन्हे न्यायिक प्रणाली में शामिल करने, अधिक मजबूत दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर व्यापक परिपेक्ष्य की अनुमति देता है। संवैधानिक तुलनात्मक कानून, कानूनी चिकित्सको को विभिन्न कानूनी संरचनाओं को समझने में मदद करता है और विचारों के आदान प्रदान की सुविधा प्रदान करता है। कानूनी पेशेवरो को दुनिया की सफलत कानूनी प्रणालियों से प्रेरणा लेनी चाहिए और नई अवधारणाये प्राप्त करनी चाहिए।

वेर्स्टन ऑस्ट्रेलिया के एडिथ कोवान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बिजनेस एंड लॉ के एसोसिएट डीन डा जोशुआ एन एस्टॉन ने सम्मेलन के का परिचय देते हुए कहा कि सम्मेलन सीमाओं के पार सहयोग और ज्ञान की खोज का एक प्रमाण है। यह भविष्य के कानून पेशेवरों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाने और विकसित करने के अकादमिक प्रयासों का एक चमकदार उदाहरण है।

जबलपुर के धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा मनोज कुमार सिंन्हा ने कहा कि तुलनात्मक कानून बेहद महत्वपूर्ण इससे आपको अन्य देशों के कानून सहित अपने देश की कानून प्रणालियों के अंतर एवं अंतराष्ट्रीय कानूनों की बृहद जानकारी प्राप्त होती है। डा सिंन्हा ने कहा कि इस कानून में विभिन्न देशों में संवैधानिक प्रणालियों के संगठन और कामकाज में अंतर और रूझानों के अध्ययन और विश्लेषण पर केद्रित है।

अर्जेंटिना दूतावास के एंबेसी कांउसलर डा सिसिलिया इनेस स्लबरर्ग ने संबोधित करते हुए कहा कि तुलनात्मक कानून, विनियमन का विश्लेषण करने और संस्कृति को समझने में सहायक होता है। तुलनात्मक कानून मानव जीवन के लिए और मानव गरीमा की रक्षा करने के लिए है। उन्होनें महामारी के दौरान डाटा प्रोेटेक्शन के उल्लंघन पर अपने शोध को साझा करते हुए कहा कि तकनीक का उपयोग डाटा की चोरी के लिए अधिक किया गया और लोगो ने सरकारी दिशा निर्देशों की अनदेखी की।

एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि तुलनात्मक कानून के शिक्षण और ज्ञान से कानून में विकसित परिवर्तन आ सकता है इसलिए न्यायिक प्रणाली को और भी बेहतर बनाने के लिए इस प्रकार के सम्मेलनों के जरीए हम छात्रों को ज्ञान प्राप्त करने का मौका देते है। डा शुक्ला ने कहा कि भारतीय अधिवक्ताओं का विश्व में कोई मुकाबला नही है। एमिटी में आयोजित इस सम्मेलन में देश विदेश के विधिक संस्थानो के शोधार्थी हिस्सा लेकर अपना पेपर प्रस्तुत करेगें।

एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने कहा कि आज कानून के क्षेत्र में हमारा एक उंचा मुकाम है। वैश्विकरण ने विश्व को एक परिवार बना दिया है, हर देश का अपना कानून है हमें देखना है कि हम अन्य से क्या सीख सकते है और समाज के लिए उसे प्रभावी बना सकते है। छात्रों को अतिथियों से मार्गदर्शन प्राप्त करने उनके विचारों को आत्मसात करने की कोशिश करनी चाहिए।

इस कार्यक्रम में एमिटी लॉ स्कूल के एडिशनल वाइस चेयरमैन न्यायाधीश (सेवानिृवत्त) प्रो राजेश टंडन, एमिटी लॉ स्कूल नोएडा के एडिशनल डायरेक्टर डा आदित्य तोमर, डा शेफाली रायजादा और डा अरविंद पी भानू भी उपस्थित थे।

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