
युवाओं ने सामाजिक भलाई के लिए अभिनव समाधानों (इनोवेटिव सॉल्यूशंस) का प्रदर्शन किया।
बच्चों के अधिकारों और समानता के समर्थन में भारत के प्रतिष्ठित स्थल नीले रंग में जगमग हुए।
कलादर्शन के वार्षिकोत्सव पर स्वरलहरियों से गूंजा आईजीएनसीए परिसर।
Eros Times: नई दिल्ली। विश्व बाल दिवस, 2023 के अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने यूनिसेफ के साथ मिलकर ‘समानता के लिए नवाचार’ (इनोवेट फॉर इक्वालिटी) प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस अनूठी प्रदर्शनी में पूरे भारत से चौदह युवा इनोवेटर अपने अद्भुत काम का प्रदर्शन करने के लिए एक साथ आए। प्रदर्शनी का उद्घाटन माननीय विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने किया।

नवाचार को बढ़ावा देकर बच्चों के लिए समान अवसर पैदा करने और उनके सशक्तिकरण पर केंद्रित एक पैनल चर्चा में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा, “नवाचार हमेशा उच्च उत्पादकता और आर्थिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण रहा है, साथ ही यह लड़कियों और लड़कों के विकास को बढ़ावा देने के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। भारत सरकार की दूरदर्शिता भरी पहल युवाओं के बीच नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद कर रही है, इसका एक उदाहरण अटल इनोवेशन मिशन और स्टार्टअप हैं।
प्रतिभाशाली युवा अन्वेषकों द्वारा प्रस्तुत किए गए विभिन्न प्रकार के नवाचारों में एक साझी बात यह देखने के मिली कि उनमें किसानों और निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों, विकलांग व्यक्तियों, बुजुर्गों के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने और उनके श्रम को कम करने और उनकी उत्पादकता और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने वाले इनोवेशन शामिल थे। इनमें कुछ उल्लेखनीय इनोवेशन थे- संचार के लिए स्मार्ट ग्लव्स, पैरा-एथलीटों के लिए होप आर्म, दृष्टिबाधित लोगों के लिए जूते, स्वचालित बीज वितरण के लिए ‘स्टेप एंड सो शू’ और एक रियल टाइम संकेत भाषा अनुवादक शामिल हैं।
इस अवसर पर आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा, “कला और रचनात्मक अभिव्यक्ति मानव संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। मानव होने का अर्थ है सोचना, अन्वेषण करना और नवप्रवर्तन करना। नवाचार रचनात्मकता के बारे में है और संस्कृति रचनात्मकता को बढ़ावा देती है।” उन्होंने यह भी कहा कि यूनिसेफ के साथ आईजीएनसीए की साझेदारी इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
यूनिसेफ की भारत प्रतिनिधि सुश्री सिंथिया मैककैफ्रे ने विश्व बाल दिवस के महत्त्व पर बात करते हुए लड़कियों और लड़कों को समान अवसर देकर नवीन सोच पैदा करने की जरूरत पर बल दिया और इसके साथ पैनल चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा, ‘जब लड़कियों और लड़कों को सोचने, सीखने, प्रयोग करने और नवाचार करने के समान अवसर दिए जाते हैं, तो वे उन समस्याओं के लिए लैंगिक-संवेदनशीलता से युक्त समाधान विकसित करते हैं, जो उन्हें सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। नवीन सोच बच्चों को उनके आसपास की चुनौतियों और अवसरों दोनों के बारे में जागरूकता प्रदान करती है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत का 81वें से 40वें स्थान पर पहुंचना भारत के नवप्रवर्तन की क्षमता और भारत के युवाओं की प्रतिभा का एक ठोस संकेतक है – जिनमें से कई लोगों से आज हमारी मुलाकात हुई।’

इस पैनल चर्चा में आईजीएनसीए के अकादमिक डीन प्रो. प्रतापानंद झा, अटल टिंकरिंग लैब की प्रोग्राम निदेशक सुश्री दीपाली उपाध्याय, यूनिसेफ की भारत प्रतिनिधि सुश्री सिंथिया मैककैफ्रे और डिजिटल न्यूज 18 के राष्ट्रीय हिन्दी संपादक दयाशंकर ने अपने विचार व्यक्त किए।
सोमवार को ही शाम में आईजीएनसीए परिसर संगीत की स्वरलहरियों से गूंज उठा। अवसर था आईजीएनसीए के कला दर्शन विभाग के वार्षिकोत्सव का। इस महत्त्वपूर्ण दिवस पर कला दर्शन ने शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया।
तीन राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित और देश के अग्रणी ध्रुपद गायक मलिक बंधुओं- पंडित प्रशांत मलिक और पंडित निशांत मलिक ने अपनी गायकी से श्रोताओं को आनंदविभोर कर दिया। उन्होंने अपने गायन की शुरुआत ‘रागश्री’ से की। इसके बाद, प्रख्यात कथक नर्तक विश्वदीप ने अपनी कथक प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय और विशिष्ट अतिथि थे आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी।