नोएडा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री इन्द्रेश कुमार ने बुधवार को भारतीय नव वर्ष को त्यौहार के रूप में मनाने पर बल दिया। प्रेरणा जनसंचार एवं शोध संस्थान (नोएडा) की पत्रिका केशव संवाद के विशेषांक चुनाव: लोकतंत्र का पर्व के लोर्कापण के अवसर पर उन्होंने भारतीय नव वर्ष की समग्र परिकल्पना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर शुरू होने वाला भारतीय नव वर्ष वस्तुतः कालगणना पर आधारित है, और पूरे भारत में विभिन्न रूपों में मार्च-अप्रैल में मनाया जाता है। कहीं विक्रमी संवत तो कहीं युगाब्द के रूप में इसकी प्रतिष्ठा है। भारत सरकार का राष्ट्रीय पंचांग भी वर्ष प्रतिपदा से ही शुरू होता है। उन्होंने कहा कि भारतीय नव वर्ष वस्तुतः भारतीय संस्कृति और परंपराओं की राष्ट्रीय अभिव्यक्ति है। यह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आधार भूमि है। इसे होली, दीपावली और दशहरा जैसे त्यौहारों की तरह व्यापक स्तर पर मनाया जाना चाहिए। इसकी स्वीकार्यता जनमानस में है और इसमें जितनी जनहिस्सेदारी बढ़ेगी उतना ही भारतीय समाज एकजुट होगा और उसको मजबूती मिलेगी।
जानी मानी पटकथा लेखिका सुश्री अद्वैता काला ने भारतीय नव वर्ष के विस्तार में मीडिया की भूमिका बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर दुःख व्यक्त किया कि मीडिया का बड़ा हिस्सा विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और अंग्रेजी मीडिया भारतीय नव वर्ष की घोर उपेक्षा करते हैं। एक जनवरी को जो अंग्रेजी के नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है, उसको लेकर मीडिया के इस बड़े हिस्से में प्रचारात्मक दीवानगी दिखती है। अगर यही दीवानगी भारतीय नव वर्ष को लेकर हो तो भारतीय समाज में इसके प्रसार को बढ़ावा दिया जा सकता है, और इसको लोकप्रिय भी बनाया जा सकता है। उन्होंने भारतीय नव वर्ष को जनता का त्यौहार बताया और कहा कि बच्चों और नव युवकों में विशेष रूप से इसके प्रति क्रेज पैदा किया जाना चाहिए।
चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के कुलपति श्री नरेन्द्र कुमार तनेजा ने भारतीय नव वर्ष की वैज्ञानिक व्याख्या करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से भारतीय कालगणना पर आधारित है और इसकी वैज्ञानिकता को चुनौती नहीं दी जा सकती है। श्री तनेजा ने भी इसमें जनहिस्सेदारी बढ़ाने पर भी बल दिया और कहा कि इसका जितना प्रचार-प्रसार होगा, उतना ही भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सजग रूप से मजबूती मिलेगी। हिन्दुस्थान समाचार के प्रधान संपादक श्री राकेश मंजुल, यूनियन बैंक, मेरठ के पूर्व महाप्रबंधक आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संस्थान निदेशक अरुण कुमार सिन्हा ने संस्थान में चलने वाले कार्यों के बारे में बताया। संचालन सुश्री मधुलिका सिंह ने किया।