भारत के फिनटेक क्षेत्र को पाँच वर्गों में विभाजित किया गया है – भुगतान जिसमें क्यूआर भुगतान शामिल हैं; बिल का भुगतान और अन्य समूहक सेवाएँ; ऋण जिसमें ‘अभी खरीदें और बाद में भुगतान करें शामिल है; तीसरा है डिजिटल बैंकिंग प्लैटफॉर्म्स, बीमा प्लैटफॉर्म्स और धन प्रबंधन जिससे निवेश और एआई-आधारित परामर्शी सेवाओं में सुविधा होती है। इन वित्तीय सेवाओं में से किसी का प्रयोग करने के लिए लोगों को पहचान का प्रमाण जमा करने की ज़रूरत होती है, और इन प्लैटफॉर्म्स के लिए शामिल होने की प्रक्रिया में जमा किये गए पहचान के विवरणों का सत्यापन करना अनिवार्य है। पिछले कुछ वर्षों में फिनटेक प्लैटफॉर्म्स ने ग्राहकों को बेहतर अनुभव देने के लिए केवाईसी प्रक्रिया को सरल बनाया है। लेकिन यूजर्स का सत्यापन करने के लिए फिनटेक प्लैटफॉर्म्स को डिजिलॉकर में दस्तावेजों को ऐक्सेस प्रदान करने के लिए केन्द्रीय बजट 203-24 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा एक बड़ा बदलाव लाने वाला कदम है।
अपने डिजिटल इंडिया अभियान के अनुरूप भारत सरकार ने फिनटेक को आधार, पीएम जन धन योजना, वीडियो केवाईसी, यूपीआइ आदि जैसे अन्य डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचों तक पहुंच प्रदान करके देश में फिनटेक की वृद्धि को बढ़ावा दिया है। परिणामस्वरूप, भारतीय फिनटेक उद्योग के वर्ष 2025 तक 1.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
डिजिलॉकर के विषय में
फिलहाल, मौजूदा समय में डिजिलॉकर का प्रयोग केन्द्रीय और राज्य सरकारों, बैंकिंग और बीमा सेवाओं द्वारा जारी दस्तावेजों, स्वास्थ्य प्रमाणपत्रों, और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे परिवहन संबंधी दस्तावेजों की डिजिटल प्रतियाँ स्टोर करने के लिए किया जाता है। इस नवीनतम घोषणा के बाद, सरकार डिजिलॉकर में अन्य दस्तावेजों को जोड़ने की भी गुंजाइश बढ़ाएगी।
वेब ब्राउज़र और मोबाइल ऐप्स पर उपलब्ध, डिजिलॉकर का प्रयोग अभी तक घरेलू हवाईअड्डों पर स्पर्शहीन और प्रयास रहित प्रवेश, चेक-इन और सुरक्षा के लिए डिजियात्रा ऐप पर पहचान के सत्यापन के लिए किया जाता रहा है। डिजिलॉकर-आधारित केवाईसी के मामलों में अब इसके प्रयोग का विस्तार होगा।
डायनैमिक केवाईसी
डिजिलॉकर की ज्यादा उपयोगिता के साथ केवाईसी को सरल बनाने के सरकारी फैसले का लक्ष्य केवाईसी प्रक्रिया को डायनैमिक बनाना है। सभी के लिए एक ही नजरिया अपनाने के बदले यह ‘जोखिम-आधारित’ दृष्टिकोण की दिशा में एक कदम है। इसका अर्थ है कि जोखिम का आंकलन आधार और पैन कार्ड डेटा का प्रयोग करके किया जाएगा, क्योंकि इसमें क्रेडिट ब्यूरोज के सभी वित्तीय विवरण होते हैं। जोखिम-आधारित नजरये के साथ केवाईसी को इस तरह आसान बनाने से यूजर्स की तेजी से ऑनबोर्डिंग सुनिश्चित होगी और देश में डिजिटल इंडिया पहल ज्यादा सुलभ बनेगी। इससे ऋण तक पहुंच में भी आसानी होगी।
निष्कर्ष
बजट भारत के फिनटेक उद्योग के, विशेषकर विश्वव्यापी विपरीत परिस्थितियों के बीच, दीर्घकालिक विकास में सहयोग का एक महत्वपूर्ण कदम है। केन्द्रीय बजट में व्यापक रूप से तकनीक और ज्ञान से संचालित विकास के महत्व पर जोर दिया गया है। इसने विभिन्न सरकारी संगठनों और विनियामकों द्वारा नागरिक डेटा को मेंटेन करने के लिए एक ‘वन-स्टॉप सॉल्यूशन’ के निर्माण पर भी फोकस किया गया है। डिजिलॉकर और आधार इसके लिए बुनियाद का काम करेंगे।
फिनटेक उद्योग को लाभ पहुंचाने वाले अन्य महत्वपूर्ण उपायों में राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी की घोषणा शामिल है जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा। इसी प्रकार, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) का भुगतान करने के लिए क्रेडिट कार्ड्स को यूपीआइ से जोड़ने का फैसला एक स्वागत योग्य कदम है। फिनटेक उद्योग में बहुत कुछ हो रहा है और यह उत्साहवर्द्धक है कि इस उद्योग की वृद्धि के लिए सरकार एक दोस्ताना माहौल बना रही है।