दिल्ली:EROS TIMES: भारत में किसी भी प्रकार के अंग प्रत्यारोपण चिकित्सा की संख्या में कमी का सबसे बड़ा कारण अंगदान के प्रति जागरूकता का अभाव है।
स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के साथ-साथ सरकार को अंगदान के प्रति जागरुकता पर भी जोर देना होगा।
तभी हालात बदलेंगे, देश के प्रमुख कार्डियोलॉजिस्ट पद्मभूषण डॉ. टीएस क्लेर ने आईएचएफएस-2018 के समापन समारोह के दौरान ये बातें कही।
राजधानी में रविवार को दो दिवसीय “इंडिया हार्ट फेलियर समिट-2018” (आईएचएफएस-2018) का समापन हुआ।
इस सम्मेलन में देश-विदेश के सैंकड़ों प्रमुख कार्डियोलॉजिस्ट और एक्सपर्ट ने हिस्सा लिया। सभी ने भारत में बढ़ती जा रही हार्ट फेलियर की समस्या और इसके लिए जरूरी समाधानों पर चर्चा और विचार विमर्श किया।
इस अवसर पर सम्मेलन के प्रमुख डॉ. क्लेर ने कहा कि भारत में किसी भी प्रकार के अंग प्रत्यारोपण (हार्ट ट्रांसप्लांट, किडनी ट्रांसप्लांट, लीवर ट्रांसप्लांट आदि) के चिकित्सा मामलों में कमी का सबसे बड़ा कारण अंगदान के प्रति जागरूकता की कमी है।
जबकि इस मामले में अमेरिका हमसे कहीं आगे है। इसी का नतीजा है कि अमेरिका में बीते एक दशक में हार्ट फेलियर के मरीजों की संख्या करीब 15 फीसदी कम हुई है। जबकि भारत मे ये लगभग इतनी संख्या में ही बढ़ा है।
डॉ. क्लेर ने कहा कि हार्ट ट्रांसप्लांट चिकित्सा हो या अन्य कोई अंग प्रत्यारोपण चिकित्सा, भारत को इस क्षेत्र में आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी होगी।
सरकार को सबसे पहले स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ अंगदान के प्रति बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने होंगे। लोग जागरूक होंगे, तभी अंगदान में तेज़ी आएगी और अंग प्रत्यारोपण चिकित्सा आसान होगी। साथ ही चिकित्सा सुविधाएं उचित दरों पर उपलब्ध करानी होगी।