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नोएडा: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से आए 60 वर्शीय जीवन चंद्र को जब फोर्टिस हाॅस्पिटल, नोएडा के डाॅक्टरों की टीम के सामने लाया गया तब वह स्पाइनल फ्रैक्चर से पीड़ित थे और अत्यधिक दर्द की वजह से पूरी तरह बिस्तर पर थे। जांच से पता चला कि वह एक चिकित्सकीय दषा-मेटास्टासिस से पीड़ित थे जहां उनके फेफड़े में एक कैंसर रक्त के माध्यम से उनके लंबर स्पाइन तक पहुंच रहा था। यह एक अनोखा मामला था जिसकी वजह से अधिक उम्र, फ्रैक्चर स्पाइन और फेफड़े के गंभीर कैंसर जैसी कई चुनौतियां पेष कीं। सफल वर्टेब्रोप्लास्टी सर्जरी के साथ ही मरीज को दर्द से राहत मिल गई और वह फिर चलने-फिरने लायक हो गए। न्यूरो-सर्जिकल टीम का नेतृत्व डाॅ. राहुल गुप्ता, अतिरिक्त निदेषक एवं विभाग प्रमुख, न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस हाॅस्पिटल, नोएडा ने किया और मरीज के कैंसर का उपचार डाॅ. देवव्रत आर्या, वरिश्ठ सलाहकार, मेडिकल आॅन्कोलाॅजी, फोर्टिस हाॅस्पिटल, नोएडा की देखरेख में हुआ।
पीठ के निचले हिस्से में अत्यधिक दर्द और करीब एक महीने से टहलने में हो रही परेषानी की श्री जीवन चंद्र की षिकायत की वजह से फेफड़े के कैंसर और पीठ के दर्द के बीच संबंध का पता चला। जांचों से पता चला कि वह फेफड़े के कैंसर से पीड़ित थे और मेटास्टासिस की वजह से स्पाइनल काॅलम की हड्डियां कमजोर और नरम हो गईं। परिणामस्वरूप स्पाइन में फ्रैक्चर हो गया। आगामी जांचों के बाद पता चला कि मरीज इसके अलावा मायलोमा से भी पीड़ित थे। उनका उपचार वर्टेब्रोप्लासटी या काइफोप्लास्टी नामक एक चिकित्सकीय प्रक्रिया से किया गया जहां मरीज के दर्द को कम करने के लिए उसकी हड्डियों को बायोलाॅजिकल सीमेंट इंजेक्षन के माध्यम से मजबूत किया जाता है। पीठ के दर्द में अत्यधिक योगदान देने वाली पीठ की कंप्रेस्ड नसों को लंबर स्पाइन क्षेत्र में लगाए गए स्क्रू द्वारा रिलीज किया गया। यह सर्जरी मरीज के लिए कई तरह से लाभदायक साबित हुई क्योंकि इससे ढांचे की स्थिरता बढ़ी, स्पाइन को मजबूती मिली और दर्द में आष्चर्यजनक रूप से कमी आई। वर्टेब्रोप्लास्टी लोकल एनेस्थिसिया के अंतर्गत किया जा सकता है और आम तौर पर इस प्रक्रिया में प्रत्येक फ्रैक्चर के हिसाब से एक घंटे से कम समय लगता है और कई बार हाॅस्पिटल में रात भर रुकने की जरूरत पड़ती है।
डाॅ. राहुल गुप्ता, अतिरिक्त निदेषक एवं विभाग प्रमुख, न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस हाॅस्पिटल, नोएडा ने कहा, ’’इस मामले में अपनाई गई सर्जिकल प्रक्रिया के बाद हाॅस्पिटल में न्यूनतम समय तक ठहरने की जरूरत थी और इससे जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार होता है। हमने ऐसे मामलों में बगैर किसी परेषानी के 100 फीसदी सफलता की दर देखी है। पिछले 3 वर्शों में हमने ऐसे करीब 100 मामलों में सफलतापूर्वक आॅपरेषन किया है। आॅस्टियोपोरोटिक स्पाइन फ्रैक्चर के मामले में मैलिगनैंसी के अलावा वर्टेब्रोप्लास्टी या काइफोप्लास्टी भी महत्वपूर्ण उपचार है।’’
डाॅ. देवव्रत आर्या, वरिश्ठ सलाहकार, मेडिकल आॅन्कोलाॅजी, फोर्टिस हाॅस्पिटल, नोएडा ने कहा, ’’यह इस बात का बहुत ही अच्छा उदाहरण है कि मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित मरीज का उपचार कैसे किया जा सकता है। जल्दी रोगों का पता लगाने और उपचार से मरीज के लक्षणों का पता लगाया जा सकता है और लंबी अवधि की विकलांगता से बचा जा सकता है। मरीज जीवन फिलहाल अपनी बीमारी के लिए कीमोथेरेपी करा रहे हैं और उनमें काफी तेजी से सुधार हो रहा है। संपूर्ण सुधार के लिए उनका नियमित परीक्षण किया जा रहा है।’’
गगन सहगल, जोनल निदेषक, फोर्टिस हाॅस्पिटल, नोएडा ने कहा, ’’हमारी स्पाइन टीम न सिर्फ कैंसर मरीजों के लिए बल्कि अधिक उम्र के मरीजों में आॅस्टियोपोरोसिस के लिए षानदार काम कर रही है जिनमें स्पाइन फ्रैक्चर है और जो अधिक उम्र और बड़ी सर्जरियों की वजह से अस्वस्थ्य दिखाई देते हैं। वर्टेब्रोप्लास्टी को लोकल एनेस्थिसिया के अंतर्गत पूरा किया जा सकता है और इसे डे केयर में की जा सकती है। हम अपने हाॅस्पिटल में डाॅक्टरों की षानदार टीम है जो कई परेषानियों के साथ, अधिक उम्र या कई रोगों से पीड़ित मरीजों की वजह से पेष आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।’’
मरीज ने डाॅक्टरों के प्रति अपना धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा, ’’मैं बहुत डरा हुआ था कि मैं हमेषा के लिए बिस्तर पर आ जाऊंगा। पूरी तरह किसी पर आश्रित होने से किसी का भी जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है और मैं इसके लिए तैयार नहीं था। मुझे अच्छी तरह सोचे समझे उपचार के साथ एक बार फिर चलने फिरने लायक बनाने के लिए मैं दिल से डाॅक्टरों को धन्यवाद देना चाहता हूं।’’
पीठ का दर्द वास्तव में फेफड़े के कैंसर का पहला लक्षण साबित हो सकता है। पीठ में दर्द के कई कारण हो सकते हें। लेकिन फेफड़े के कैंसर की वजह से होने पीठ के दर्द के मामले में यह ट्यूमर का परिणाम हो सकता है जिसकी वजह से पीठ के ढांचे में दबाव पड़ने से दर्द होता है। फेफड़े के कैंसर को सीने के आसपास से होकर गुजरने वाली नसों में परेषानी पैदा करने के लिए भी जाना जाता है क्योंकि इसकी वजह से पीठ में दर्द होता है। षरीर के एक हिस्से से कैंसर को रक्त के माध्यम से दूसरे हिस्से तक ले जाने की वजह से भी पीठ दर्द होता है और करीब 30 से 40 फीसदी लोगों में फेफड़े के कैंसर की वजह से दर्द होता है। किडनी के ऊपरी हिस्से के आसपास स्थित आर्डेनल ग्लैंड पर मेटास्टासिस फेफड़े के कैंसर से पीड़ित मरीजों में पीठ के दर्द का कारण हो सकता है। वर्श 2013 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि पष्चिमी देषों के मुकाबले भारतीयों में फेफड़े 30 फीसदी कम काम कर पाते हैं। इस प्रदूशण का मुख्य स्त्रोत बायोमास बर्निंग, लकड़ी का ईंधन और वेहिक्यूलर उत्सर्जन है। 2010 में ग्लोबल बर्डेन आॅफ डिजिज़ प्रोजेक्ट के मुताबिक फेफड़े के कैंसर की वजह 2,23,000 मौतें हुईं जिसकी वजह अन्य कारणों के साथ ही वायु प्रदूशण भी थी।