
Eros Times: नोएडा भारतीय विरासत संस्थान (पूर्व में राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान) में पहला चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) बुद्धरश्मि मणि कुलपति, भारतीय विरासत संस्थान द्वारा किया गया। इस अवसर पर थाइलैंड तथा कजाकिस्तान से नौ विदेशी प्रतिधिनियों ने भाग लिया कुलपति ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। दो दिवसीय अकादमिक सेमीनार भारतीय विरासत संस्थान के नोएडा परिसर में तथा दो दिवसीय सेमीनार एवं व्याख्यान सांची उदयगिरी एवं उदेश्वर स्थलों पर आयोजित किया जाना है।

प्रो. (डॉ.) सकचाई सैधिंया वरिष्ठ प्रोफेसर शिल्मकॉन विश्वविद्यालय बैंकॉक ने अपने संबोधन में बताया कि 12वीं 14वीं शताब्दी ईस्वी में उत्तरी थाईलैंड की हरिपुंचाई कला में थाईलैंड की सबसे प्राचीन रत्नजड़ित बुद्ध प्रतिमा है जो थेरवाद बौद्ध धर्म में जम्बूपति सुत्त और भारत की पाल कला से प्रेरित थी। यह बाद के समय में लन्ना अयुत्मा और बैंकॉक में निरंतर है।

इस कार्यक्रम की संयोजक प्रो. (डॉ.) अनुपा पाण्डे विभागाध्यक्ष कला इतिहास विभागाध्यक्ष पुरालेख पुरालिपि एवं मुद्राशास्त्र तथा निदेशक / कुलपति भारतीय विरासत संस्थान हैं।
प्रो. पाण्डे ने सेमिनार के बारे में बताते हुए कहा कि बौद्ध धर्म एक बड़ के पेड़ की तरह है जिसकी जड़ें तो भारत में हैं लेकिन जिसके दर्शन एवं कला उसकी शाखाओं की तरह सभी ऐशियाई देशों में फैली हुई हैं। बौद्ध धर्म एक कड़ी है जो सबको एक सूत्र में बाती है।
तदपश्चात प्रो. पाण्डे ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।