दिल्ली:EROS TIMES: केंद्रीय बजट 2019-20 में, दिल्ली की केंद्रीय करों में हिस्सेदारी नहीं बढ़ाई गई, जो वर्ष 2001-02 से स्थिर है।
दिल्ली सरकार को विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए केंद्रीय करों में अपनी न्यायसंगत हिस्सेदारी मिलनी ही चाहिए। हमने केंद्र सरकार से कई बार अनुरोध किया कि इस हिस्सेदारी को 325 करोड़ रुपये से बढ़ाकर कम से कम 6000 करोड़ रुपये किया जाए।
दिल्ली सरकार का बजट 2001-02 में 8739 करोड़ रुपये था जो बढ़कर 2019-20 में 60000 करोड़ रुपये हो गया है।
बजट 2019-20 में दिल्ली में स्थानीय निकायों के लिए किसी भी फंड की व्यवस्था नहीं की गई। दिल्ली सरकार ने दिल्ली में 2019-20 में स्थानीय निकायों के लिए 1150 करोड़ रुपये के फंड की मांग की थी। हम कुल वार्षिक कर संग्रह का 12.5 फीसदी स्थानीय निकायों को देते हैं।
वहीं, दिल्ली में स्थानीय निकायों को केंद्र सरकार से कोई भी वित्तीय मदद नहीं मिलती।
योजनाओं/कार्यक्रमों पर दिल्ली सरकार का खर्च 2000-01 में 3129 करोड़ रुपये था जो 2019-20 में नौ गुना बढ़कर 27000 करोड़ रुपये हो गया। केंद्र सरकार की तरफ से योजनाओं/कार्यक्रमों की सामान्य केंद्रीय सहायता 2000-01 में 11.8 फीसदी (370 करोड़ रुपये) थी जिसमें 2019-20 में घटकर 1.75 फीसदी (472 करोड़ रुपये) रह गई है।
दिल्ली सरकार ने 2019-20 में सामान्य केंद्रीय सहायता 1500 करोड़ रुपये करने की मांग की थी।
केंद्रीय बजट में 472 करोड़ रुपये के अतिरिक्त केंद्रीय सहायता का प्रावधान किया गया है।
इंटीग्रेटेड जीएसटी के 1.68 लाख करोड़ के अनसेटेल्ड एमाउंट में दिल्ली सरकार की हिस्सेदारी 3202 करोड़ रुपये है जिसकी मांग दिल्ली सरकार ने की थी।
वित्त वर्ष 2019-20 में भी ये मांग पूरी नहीं की गई। इस मद में दिल्ली सरकार को कोई फंड नहीं दिया गया है।
(अंतरिम बजट 2019-20 जो एमाउंट रखा गया था, वही दिल्ली के लिए इस केंद्रीय बजट में भी बरकरार है।
दिल्ली सरकार की मांग के बावजूद इस बजट में कोई एमाउंट नहीं बढ़ाया गया)