EROS TIMES: गाज़ियाबाद आर्य समाज वृंदावन गार्डन एवं केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में विजय दशमी के उपलक्ष्य में वीर पर्व पर प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता के निर्देशन में व्यायाम की विभिन्न प्रतियोगिताओं एवं दौड़ का आयोजन किया गया। आर्य वीरों एवं वीरांगनाओं का शोर्य प्रदर्शन डा .राम मनोहर लोहिया पार्क साहिबाबाद में हर्षोल्लास से संपन्न हुआ।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर हुआ।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इसे वीर पर्व कि संज्ञा दी गई है वेद कहते हैं “वीर भोग्या वसुन्धरा” यानी वीर लोग ही धरती का सुख भोगते हैं। मंदिर में स्थापित मूर्तियां भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम, हनुमान, परशुराम ,सुदर्शन चक्र, धनुष, फरसा, तलवार, गदा धारी हैं शक्ति का संदेश दे रही हैं। कभी आर्यों का चक्रवर्ती राज्य रहा है।सत्य की जीत के लिए शक्ति भी होना आवश्यक है।
आर्य गायक मा.
विजेन्द्र आर्य एवं पिंकी आर्या के मधुर गीत सुनकर श्रोता झूम उठे।
समारोह में 127 आर्य वीरों एवं वीरांगनाओं ने विजय दशमी वीर पर्व पर दिखाये भव्य शोर्य प्रदर्शन आकर्षण का केन्द्र रहे। प्रतियोगिता में जीते प्रतिभागियों को क्रमशः प्रथम,द्वितीय एवं तृतीय पुरूस्कार के साथ प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।
आर्य समाज के प्रधान कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हम युवा पीढ़ी उत्साह के लिए रोचक कार्यक्रम करते रहेंगे
कार्यक्रम के सूत्रधार एवं संयोजक जिला मंत्री सुरेश आर्य ने मंच का कुशल संचालन किया।
प्रांतीय अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने कहा कि वैदिक काल से ही भारतीय संस्कृति वीरता व शौर्य की उपासक रही है।विजया दशमी केवल एक पर्व ही नही अपितु इसे कई बातों का प्रतीक माना जाता है।दशहरें में रावण के दस सिर इन दस पापों के सूचक माने जाते है–काम, क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, आलस्य, झूठ, अहंकार, मद और चोरी। इन सभी पापों से हम किसी न किसी प्रकार से मुक्ति चाहते हैं। समाज में दिनों-दिन बुराइयाँ व असमानताएँ भी रावण के पुतले कि तरह बड़ी होती जा रही है।हमें इन पर्वो को सिर्फ़ परंपरा के रूप में नही निभाना चाहिए हमें इन त्योहारों से मिले संकेत और संदेशों को अपने जीवन में भी उतारने का प्रयत्न करना चाहिए।
आर्य नेता प्रमोद चौधरी ने कहा कि यह पर्व हमें संदेश देता है कि “अन्याय और अधर्म का विनाश” तो प्रत्येक स्थिति मे सुनिश्चित है। फिर चाहे आप दुनिया भर की शक्तियों और प्राप्तियों से संपन्न ही क्यो न हों, अगर आपका आचरण सामाजिक गरिमा या किसी भी व्यक्ति विशेष के प्रति गलत होता है तो आपका विनाश भी तय है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आर्य बंधु देवेन्द्र आर्य ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए विजय दशमी की शुभकामनाएं प्रदान की। उन्होंने कहा कि विजय दशमी के इस पावन पर्व पर हम सबको संकल्प लेना होगा कि देश और समाज की प्रगति के लिए हम अपनी सभी बुराइयों को भी रावण के पुतले के साथ सदा-सदा के लिए दहन कर देंगे और समाज व देश कि उन्नति के लिए कार्य करेंगे।
प्रमुख रूप से डा प्रमोद सक्सेना,कृष्ण कुमार आर्य,भूपेंद्र आर्य, रीतम आर्य, जगदीश सैनी,एस सी सिंह,के पी सिंह, रामपाल चौहान, कुमारी शाक्षी रावत आदि उपस्थित रहे।
शांतिपाठ एवं प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
भवदीय,