Eros Times: पटना। समाज के सबसे निचले तबके तक अंग्रेजी शिक्षा को पहुंचाने वाले डॉ बीरबल झा को बिहार के टॉप सोशल ऑन्ट्रप्रेनर में शुमार किया गया है। बिहार में वंचित समाज को अंग्रेजी शिक्षा पहुंचाने और उनमें कौशल विकास करने में डॉ झा का अहम योगदान रहा है। इस समाज के लाखों युवाओं को उन्होंने अंग्रेज़ी कौशल संपन्न बनाकर उनके कैरियर बनाने में सहयोग किया है। साथी ही उन्होंने अपने सांस्कृतिक ‘पाग बचाओ अभियान ‘ के माध्यम से 4 करोड़ मैथिली भाषी लोगों को जोड़ा है और उनमें अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता लाने का काम किया है।
अंग्रेजी वेबसाइट ‘डच अंकल’ ने बिहार के टॉप सोशल ऑन्ट्रप्रेनरमें डॉ बीरबल झा को टॉप पर रखा है। डॉ झा ने वर्ष 1993 में बिहार की राजधानी पटना में वंचितों, गरीबों और मध्यम वर्ग के युवाओं को अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए ब्रिटिश लिंगुआ नाम की संस्था की स्थापना की। इसके बाद ब्रिटिश लिंगुआ का कारवां बढ़ता गया और फिर यह देश की राजधानी दिल्ली पहुंच गई।
डॉ बीरबल झा भारत में दलित समुदायों के उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे हैं। उनके प्रयासों की बदौलत, भारतीय समाज के सबसे गरीब तबके के लोगों में से 36,000 से अधिक युवाओं को अंग्रेजी संचार कौशल हासिल करके अपना बेहतर कैरियर बनाने में सफल हुए हैं। डॉ झा के योगदान से आज दलित, वंचित, गरीब समुदाय लाखों छात्र-छात्राओं के जीवन में शिक्षा की रोशनी जीवन बेहतर हुआ है। डॉ झा के पास अंग्रेजी कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से समाज के वंचित वर्ग के लाखों लोगों की जीवनशैली को बेहतर बनाने का एक ट्रैक रिकॉर्ड है।
‘डच अंकल’ की रिपोर्ट में कहा गया है, “डॉ. बीरबल झा उत्तर बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र के पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम, ‘पाग बचाओ अभियान ‘ के माध्यम से 4 करोड़ मैथिली भाषी लोगों को जोड़ा है। इस अभियान के तहत उन्होंने सैकड़ों जागरूकता कार्यक्रम किया। कई शहरों में रैलियां निकाली गईं। मिथिला की संस्कृति का प्रतीक ‘पाग’ के सदुपयोग को लेकर उन्होंने अनेक कार्य किए हैं।
सामाजिक उद्यमी और मशहूर लेखक डॉ बीरबल ने कहा, “अंग्रेजी शिक्षा एक शक्तिशाली हथियार है जो व्यक्ति को जीवन में, विशेषकर भारतीय सामाजिक परिवेश में, ऊंची उड़ान भरने का आत्मविश्वास देती है। तीन दशक पहले, मैंने युवाओं को उनके अंग्रेजी कौशल को निखारने का निश्चय किया था और उनकी जीवनशैली को बेहतर बनाने में मदद करने का संकल्प लिया था। आज, मैं अपने प्रशिक्षुओं के अच्छा प्रदर्शन करने और बेहतर जीवनशैली अपनाने से खुश हूं।”
डॉ बीरबल झा दुनिया के टॉप 20 सेल्फ हेल्प लेखक हस्तियों में से एक हैं। इसके साथ ही उन्हें मिथिला के ‘यंगेस्ट लिविंग लेजेंड ‘की उपाधि भी मिली हुई है। उन्हें अबतक सैकड़ों पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनका नारा है- ‘ इंग्लिश फॉर आल’। उनके इसी ध्येय की वजह से भारत में अंग्रेजी कौशल प्रशिक्षण में क्रांति लाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है।