
Eros Times: एमिटी विश्वविद्यालय की शिक्षण गुणवत्ता से प्रभावित होकर आज इंग्लैंड के ब्राडफोर्ड लाॅ स्कूल की निदेशक प्रो एनगोबो एमेसेह और शिक्षक नीति शिखा ने एमिटी लाॅ स्कूल का दौरा किया। इस अवसर पर ब्राडफोर्ड लाॅ स्कूल की निदेशक प्रो एनगोबो एमेसेह ने ‘‘ पर्यावरणीय नियम और न्यायसंगत परिवर्तन’’ पर व्याख्यान भी दिया। इस अवसर पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) राजेश टंडन, एमिटी लाॅ स्कूल के संयुक्त प्रमुख डा आदित्य तोमर और डा शेफाली रायजादा ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन एमिटी लाॅ स्कूल की डा सुमित्रा सिंह द्वारा किया गया। ब्राडफोर्ड लाॅ स्कूल की निदेशक प्रो एनगोबो एमेसेह ने पर्यावरणीय नियम और न्यायसंगत परिवर्तन’’ पर व्याख्यान देते हुए कहा कि ब्राडफोर्ड लाॅ स्कूल में हर देश व धर्म के व्यक्ति का आदर करते है और इस वैश्विक विश्व में मैं दोनो संस्थानो आपसी सहयोग को सुदृ-सजय़ करने आई हूं। विश्व बड़ी तेजी से परिवर्तीत हो रहा है और आप युवाओं के लिए एक उत्साहवर्धक समय है जब आप नई तकनीक, सूचना का उपयोग करके बेहतर विश्व का निर्माण कर सकते है। 1992 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन नामक अंर्तराष्ट्रीय संधि का निर्माण किया गया जिसका उददेश्य ग्रीनहाउस गैस को वायुमंडल में स्थिर रखना और जलवायु प्रणाली के साथ खतरनाक मानव हस्तक्षेप का मुकाबला करना था।

जलवायु परिवर्तन के पर्यावरणीय नियम का पालन करने की सा-हजयी जिम्मेदारी सभी देशों को लेनी होगी। हमें उर्जा सुरक्षा, उर्जा की उपलब्धता ओर पर्यावरणीय समस्याओं पर ध्यान देते हुए सभी देशों के लिए उर्जा की उपलब्धता पर विचार करना चाहिए। केवल उद्योग ही इस जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नही है हमें जीवाश्र्म इंधन को जलाने पर पाबंदी से पूर्व न्यायसंगत परिवर्तन को सुनिश्चित करना होना और उनके लिए स्वच्छ ईंधन की उपलब्धता करनी होगी। प्रो एमेसेंह ने कहा कि युवाओं को जलवायु परिवर्तन के संर्दभ में विचार करके नियमों और तकनीकी के सहायता से समस्या के निवारण के संर्दभ में विचार करना चाहिए। इंग्लैंड के ब्राडफोर्ड लाॅ स्कूल की डा नीति शिखा ने जलवायु परिवर्तन और उसके पर्यावरण पर प्रभाव’’ पर कहा कि कंपनी अधिनियम 2013 ने पर्यावरण के संर्दभ में काफी कुछ कहा गया है और पर्यावरण के प्रति कंपनी के निदेशकों की जिम्मेदारी तय की गई है। वही इंग्लैंड में इस संर्दभ में समानंतर जिम्मेदारी खाताधारकों, निदेशको, सप्लायरों आदि की होती है। भारत प्रथम ऐसा देश जहां पर सीएसआर में पर्यावरण को संकलित किया गया है। कई कानूनों में पर्यावरण की उपस्थिती को रेखांकित किया गया और सरकारों द्वारा इस संर्दभ में बेहतरीन पहल की जा रही है। उन्होने छात्रो से कहा कि आपकों इस चुनौती को स्वीकार करते हुए पर्यावरण संरक्षण के संर्दभ में नये कानूनों और नियमों के निर्माण करने पर विचार करना चाहिए।उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) राजेश टंडन ने कहा कि इस कार्यक्रम में चुना गया विषय पर्यावरण एक महत्वपूर्ण विषय है जिसमें युवा विधि के छात्रों को अवश्य दिलचस्पी लेनी चाहिए। पर्यावरणीय कारक, जलवायु परिवर्तन को और जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण को प्रभावित करते है। उन्होने केदारनाथ बा-सजय़ और नैनीताल केस का उदाहरण देते हुए प्रकृति के असंतुलन रोकने और पर्यावरण संरक्षण पर बल दिया। एमिटी लाॅ स्कूल के संयुक्त प्रमुख डा आदित्य तोमर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम विधि के छात्रों को कक्षा एवं पुस्तकों से बाहर निकलकर कुछ नया विचार करने के लिए प्रेरित करते है। एमिटी मे हम छात्रों को सदैव पर्यावरण व समाज के प्रति जिम्मेदारीयों के प्रति अवगत करता है और विशेषज्ञों द्वारा उन्हें क्षेत्र के संर्दभ में अधिक ज्ञान प्राप्त करने का अवसर देते है। इस अवसर पर एमिटी लाॅ स्कूल के छात्र भी उपस्थित थे।