नियमित जांच, रोग का शीघ्र पता लगना और एचपीवी टीकाकरण की कैंसर के रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका होती है
हर तीन साल में पीएपी स्क्रीनिंग, नए साल के संकल्प का हिस्सा होना चाहिए
Eros Times : ग्रेटर नोएडा |”सर्वाइकल कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है। वैश्विक अनुमान के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की लगभग 453 मिलियन भारतीय महिलाओं को कैंसर की बीमारी होने का खतरा है।” बुधवार को फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में ऑन्कोलॉजी विभाग के शुभारंभ के दौरान सीनियर कंसल्टेंट डॉ. जलज बख्शी ने यह तथ्य सामने रखे।”
सर्वाइकल कैंसर जननांग स्वच्छता में लापरवाही, कम उम्र में शादी, कई सेक्स पार्टनर्स और बार-बार गर्भधारण जैसे यौन व्यवहार से जुड़ा है।
देश में सर्वाइकल कैंसर का बोझ काफी हद तक बढ़ रहा है, लेकिन अगर शुरुआती दौर में ही इसकी जांच कर ली जाए तो इससे होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।
फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में मेडिकल ऑन्कोलॉजी की कंसल्टेंट डॉ. सारिका बंसल ने कहा, “कैंसर के सफल उपचार के लिए, युवा महिलाओं का किसी भी दिखाई देने वाले लक्षण के प्रति सतर्क रहना महत्वपूर्ण है। यह आवश्यक प्रारंभिक जांच कराना और किसी भी उपचार के लिए बेहद जरूरी है। यदि नौ वर्ष से कम उम्र की लड़की को योनि से बदबूदार, पीले-हरे रंग का या खून से सना हुआ कोई स्राव हो रहा है, तो उसे तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से दिखाया जाना चाहिए। यदि किसी को नियमित मासिक धर्म के बीच स्पॉटिंग हो या संबंध बनाने के बाद रक्तस्राव हो, तो उन्हें डॉक्टर को अवश्य दिखाना चाहिए। ये सभी योनि संक्रमण के संकेत हैं, जिनका इलाज न करने पर कैंसर हो सकता है।”
डॉक्टरों ने बताया कि लाइफस्टाइल के मुद्दे जैसे धूम्रपान, शराब का सेवन और ओरल गर्भ निरोधकों का लंबे समय तक उपयोग महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के लिए योगदान देने वाले कारकों में से हैं।
जैसे-जैसे भारत में सर्वाइकल कैंसर के राष्ट्रीय स्क्रीनिंग कार्यक्रम को व्यापक बनाने की दिशा में आगे कदम बढ़ाए जा रहे हैं, अपर्याप्त स्क्रीनिंग और अन्य योगदान देने वाले कारकों के प्रति संवेदनशील होना बेहद महत्वपूर्ण होगा।
डॉक्टरों ने यह भी कहा कि एचपीवी वैक्सीन ने सर्वाइकल कैंसर को रोकने में सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं। जिन महिलाओं की उम्र कम से कम नौ वर्ष और अधिक से अधिक 45 वर्ष है, उन्हें रोकथाम के उपाय के रूप में एचपीवी वैक्सीन के टीके अवश्य लगवाने चाहिए।
अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, हर तीन साल में पैप परीक्षण कराने से सर्वाइकल कैंसर से बचाव में मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर, डिम्बग्रंथि का कैंसर और पित्ताशय का कैंसर सबसे आम है। पुरुषों में भी प्रोस्टेट का कैंसर डायग्नोस हो रहा है।
फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा, “सर्वाइकल कैंसर के लिए एक आम स्क्रीनिंग टेस्ट पैप स्मीयर है, जिसमें मरीज की सर्वाइकल कोशिकाओं को उन परिवर्तनों की जांच के लिए एकत्र किया जाता है। इसका उद्देश्य ऐसे किसी भी बदलाव की पहचान करना है जिसका समाधान न करने पर संभावित रूप से सर्वाइकल कैंसर हो सकता है।”
फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के फैसिलिटी डायरेक्टर श्री प्रमित मिश्रा ने कहा, “किसी भी कैंसर के इलाज में स्क्रीनिंग से शीघ्र निदान सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, लेकिन फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में ऑन्कोलॉजी विभाग व्यापक एवम समुचित इलाज व देखभाल प्रदान करता है। अस्पताल के पास देश भर के सबसे जटिल ऑन्कोलॉजी मामलों की जांच करने का वर्षों का अनुभव है।”