सीएम ने पश्चिम विहार में स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस की नई बिल्डिंग का किया उद्घाटन

इस स्कूल में 54 क्लास रूम, दो लाइब्रेरी, 13 लैब, 18 एक्टीविटी रूम, लिफ्ट और एक मल्टी पर्पज हॉल है, 1200 बच्चे एडमिशन ले सकेंगे

चार फरवरी को हमने किराड़ी में 4 नए स्कूल भवनों का शिलान्यास किया, जहां 10 हजार से ज्यादा बच्चे शिक्षा ले पाएंगे

पूरी दिल्ली में जिन सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर हालत में है, उनको तोड़कर शानदार नई बिल्डिंग बनाई जा रही है

Eros Times: 2015 में सरकार में आते ही हमने शिक्षा का बजट बढ़ाकर दोगुना कर दिया, तभी दिल्ली में इतने सारे शानदार स्कूल बन रहे हैं केंद्र सरकार पूरे देश में शिक्षा-स्वास्थ्य पर मात्र 4 फीसद बजट खर्च कर रही है, जबकि दिल्ली सरकार 40 फीसद बजट खर्च कर रही हमने सरकारी स्कूलों में सारी सहूलियतें देकर बच्चों को अपने सपने पूरे करने के लिए पंख दिए, पहले उनके सपने मर जाते थे 1947 से 2015 तक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 24 हजार कमरे बने थे, जबकि केजरीवाल सरकार ने 9 साल में ही 20 हजार नए कमरे बना दिए अब एडमिशन के लिए प्राइवेट स्कूलों के बजाय दिल्ली के स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस के बाहर लंबी लाइनें लगाती हैं सीएम अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को पश्चिम विहार में आधुनिक सुविधाओं से लैस डॉ. बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस के नव निर्मित बिल्डिंग का उद्घाटन किया। स्कूल में 54 क्लास रूम, दो लाइब्रेरी, 13 लैब, 18 एक्टीविटी रूम, लिफ्ट और एक मल्टी पर्पज हॉल समेत अन्य सुविधाएं हैं, जहां 1200 बच्चे एडमिशन ले सकेंगे। इससे पहले, चार फरवरी को भी मुख्यमंत्री ने किराड़ी विधानसभा में 4 नए स्कूल भवनों का शिलान्यास किया था, जहां 10 हजार बच्चे शिक्षा ले सकेंगे। इस दौरान सीएम केजरीवाल ने कहा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देने से बड़ा पुण्य का काम कोई और नहीं हो सकता। इसलिए हमने शिक्षा का बजट बढ़ाकर दोगुना कर दिया और अब हम शिक्षा-स्वास्थ्य पर दिल्ली के कुल बजट का 40 फीसद हिस्सा खर्च कर रहे हैं। दूसरी तरफ, केंद्र सरकार अपने बजट का मात्र 4 फीसद हिस्सा ही शिक्षा-स्वास्थ्य पर खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि पहले सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के सपने मर जाया करते थे, लेकिन हमने हर तरह की आधुनिक सहूलियतें देकर उनके सपनों को पंख दिया है। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री आतिशी समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

स्कूल की नई बिल्डिंग देख सीएम केजरीवाल ने कहा, अरे वाह! क्या शानदार स्कूल बना है

पश्चिम विहार में अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस के नए भवन का उद्घाटन करने उपरांत सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज यहां आते वक्त जब मेरी पहली नजर इस स्कूल की बिल्डिंग पर पड़ी तो मेरे मुंह से पहला शब्द निकला, ‘अरे वाह! क्या शानदार स्कूल बना है।’ इस स्कूल की बिल्डिंग बाहर से बहुत खूबसूरत दिखाई दे रही है। सीएम ने कहा कि एनसीसी के बच्चों ने बहुत ही पेशेवर तरीके से सलामी दी। मैं बहुत सारे बड़े स्कूल-कॉलेजों में जाता हूं। कई बार वहां के बच्चे इतने अच्छे तरीके से सलामी नहीं दे पाते हैं। लेकिन आज यहां बच्चों ने बहुत ही शानदार तरीके से सलामी दी। इसके लिए सभी बच्चों को बधाई देना चाहता हूं। सीएम ने कहा कि स्कूल के अंदर बहुत सारी शानदार सुविधाओं को देखकर मेरे मन में आया कि काश मैं भी ऐसे स्कूल में पढ़ा होता। मैं हिसार का रहना रहने वाला हूं और मैंने हिसार के सबसे बेस्ट स्कूल से शिक्षा हासिल की थी। लेकिन वो बेस्ट प्राइवेट सेकूल भी इतना शानदार नहीं था, जितना शानदार यह स्कूल बना है।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों जैसी शानदार सुविधाएं बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूल में भी नहीं है

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस स्कूल की बिल्डिंग में 54 से ज्यादा क्लास रूम बने हैं, दो बड़ी लाइब्रेरी, 13 लैब, 18 एक्टीविटी रूम और एक मल्टी पर्पज हॉल है। मैं चैलेंज कर सकता हूं कि दिल्ली के बड़े से बड़े नामी स्कूलों में भी इतनी शानदार सुविधाएं नहीं हैं, जितनी आज इस सरकारी स्कूल के अंदर है। हमारी कोशिश है कि दिल्ली के बच्चों को बेस्ट से बेस्ट शिक्षा मिलनी चाहिए। फिर चाहे अमीर का बच्चा हो या गरीब का बच्चा हो। यहां 1200 के करीब बच्चे एडमिशन लेंगे। इसी तरह, बीते रविवार को हमने किराड़ी में 4 नए स्कूलों का शिलान्यास किया है। उन 4 नए स्कूलों में 10 हजार बच्चे पढ़ेंगे। पिछले एक सालों में हमने जिन स्कूलों का उद्धाटन किया है, उनमें एक से डेढ़ लाख बच्चे पढ़ेंगे। दिल्ली में बहुत तेजी के साथ शिक्षा के इंफ्रास्ट्रक्टर को बढ़ाया जा रहा है। ढेर सारे नए-नए सरकारी स्कूल खोले जा रहे हैं। बहुत बड़े स्तर पर मौजूद सरकारी स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्टर को ठीक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्कूल 1997 में बना था। इसकी बिल्डिंग जर्जर हो गई थी और इसे असुरक्षित घोषित कर दिया गया था। पुरानी बिल्डिंग को तोड़कर यह नई शानदार बिल्डिंग बनाई गई है। इसी तरह पूरी दिल्ली में जहां-जहां सरकारी स्कूल खराब हो गए थे या टूट गए थे। उन सभी बिल्डिंग्स को तोड़कर नई बिल्डिंग्स का निर्माण किया जा रहा है। जिसकी वजह से अब बच्चों और टीचर्स में आत्मविश्वास आ रहा है। अब स्कूलों में अच्छी पढ़ाई हो रही है और अच्छे नतीजे आने लगे हैं।

पहले सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में हीन भावना होती थी, अब वो खत्म हो गई है

सीएम ने कहा कि पहले जब सरकारी और प्राइवेट स्कूल के बच्चे आपस में मिलते थे, तो सरकारी स्कूल के बच्चे के मन में एक हीन भावना होती थी। वो जिस सरकारी स्कूल में जाता था, वो टेन्ट और टीन वाला स्कूल होता था। जबकि प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के स्कूल की शानदार बिल्डिंग होती थी और शानदार नतीजे आते थे। लेकिन अब सरकारी स्कूल के बच्चों में वो हीन भावना खत्म हो गई हैं। अब सरकारी स्कूल के बच्चों से जब मैं बात करता हूं तो कई सारे बच्चे फर्राटेदार अंग्रंजी में बात करते हैं। कई बच्चे जेईई और नीट का इग्जाम पास करके डॉक्टर और इंजीनियर बन रहे हैं। अब हमारे सरकारी स्कूलों के बच्चे अलग-अलग स्ट्रीम्स में जा रहे हैं। अब सरकारी स्कूल का बच्चा भी फक्र से अपनी कॉलर ऊंची करके कह सकता है कि मुझे गर्व है कि मैं दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ता हूं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आज हमारे बच्चों को जिस तरीके की सुविधाएं मिल रही हैं वो किसी भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को नहीं मिल रही है। मुझे लगता है कि गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने से बड़ा पुण्य का काम कोई और नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब मेरी मौत आएगी तो मुझे इस बात की संतुष्टि होगी कि मैंने दिल्ली में लाखों बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का इंतजाम किया। कम से कम मेरी जिंदगी इतनी तो काम आई। 

पहले सरकारें अनावश्यक चीजों पर पैसा खर्च करती थीं, उनकी प्राथमिकता में शिक्षा नहीं थी

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब हमारी सरकारी बनी थी तब हमने सपना देखा था कि सबको समान शिक्षा मिलनी चाहिए। चाहे अमीर का बच्चा हो या गरीब का बच्चा हो सभी को समान और अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। हमारे अंदर यह करने की नियत तो थी और करना चाहते थे, लेकिन यह कैसे होगा, उस वक्त बड़ा मुश्किल नजर आता था। हम इस कार्य में लगे रहे। हमने सरकार में आते ही शिक्षा का खूब बजट बढ़ा दिया। पहले भी दिल्ली का कुल बजट उतना ही था और हमें सरकार में आने पर भी उतना ही बजट था। लेकिन प्राथमिकताएं अलग-अलग थीं। पहले अनाब शनाब बेफिजूल की चीजों पर पैसा खर्च होता था। हमनें तय किया कि बाकी सारी चीजें तो बाद में भी हो जाएंगी। पहले बच्चों के अच्छी शिक्षा का इंतजाम करना है। 2015 में दिल्ली में हमारी सरकार बनी। उससे पहले दिल्ली में शिक्षा का बजट 5 हजार करोड़ रुपए था। हमने इसे बढ़ाकर 10 हजार करोड़ कर दिया। इसी वजह से इतने सारे सरकारी स्कूल बनने लगे। इतनी सारी सुविधाएं देने के लिए पैसा खर्च करना पड़ता है। अभी केंद्र सरकार ने पूरे देश का बजट पेश किया है। केंद्र सरकार ने पूरे देश के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए मात्र 4 फीसद बजट दिया है। जबकि हम दिल्ली के बजट का 40 फीसद हिस्सा शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करते हैं। इसीलिए इतने शानदार स्कूल और अस्पताल बन रहे हैं।

अब संपन्न लोग भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकाल कर सरकारी स्कूलों में भर्ती करा रहे हैं

सीएम ने कहा कि जब हमारी सरकार बनी तो हमारा मकसद गरीबों के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देना था। कई लोगों ने सलाह दी कि एक आदेश जारी कर दो कि सारे आईएएस, आईपीएस अफसरों और मंत्रियों के बच्चे भी अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में ही पढ़ेंगे। लेकिन जबरजस्ती करने से शिक्षा अच्छी नहीं होती है। हमनें दूसरा आइडिया अपनाया कि हम सारे सरकारी स्कूलों को इतना अच्छा कर देंगे कि सभी मंत्री, आईएएस और आईपीएस अफसर अपने बच्चों का खुद सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाना चाहेंगे। मुझे ये कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे कई विधायकों ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में दाखिला करवाया है। मटियाला विधानयभा से विधायक गुलाब सिंह और ओखला से विधायक अमानातुल्लाह खान जैसे कई विधायक हैं जिनके बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भर्ती करवाया, क्योंकि उनको लगता है कि उनके इलाके का सरकारी स्कूल अब बहुत अच्छा हो गया है। ऐसे कई सारे अमीर लोग भी हैं। सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे एक बड़े वकील ने अपने बच्चे को एक नामी प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में भर्ती करवाया है। उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है। उनको लगता है कि जो सरकारी स्कूल उनके घर के पास बना है, उसमें वो सुविधाएं हैं जो उस प्राइवेट स्कूल में नहीं हैं। मुझे एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे ने बताया कि वो दिल्ली के नामी सेंट कोलंबस स्कूल से आया है। जब सेंट कोलंबस जैसे स्कूलों से नाम कटवाकर बच्चे सरकारी स्कूलों में भर्ती हो रहे हैं। हमारे सरकारी स्कूलों में कुछ तो अच्छा हो रहा होगा, तभी लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकालकर इन सरकारी स्कूलों में भर्ती करवा रहे हैं। हमारा ये मॉडल सफल हुआ। हमने सबके लिए अच्छी शिक्षा का इंतजाम किया। हमने ऑर्डर पास करके जबरजस्ती नहीं की।

सभी बच्चों से अपील, इस देश ने आपको अच्छी शिक्षा दी है, कभी अपने देश को न भूलना

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों से जरूर आते हैं लेकिन हर एक के मन में एक सपना होता है। हर बच्चा कुछ करना और कुछ बनना चाहता है। पहले उनके पास वह सपना पूरा करने के लिए साधन नहीं होते थे और सपने मर जाया करते थे, लेकिन अब हमने इन बच्चों को अपने सपने पूरे करने के लिए पंख दिए हैं, सारी सहूलियतें और साधन दिए हैं। अब अपने सपनों को पूरा करने के लिए जी-जान लगा देना। जीवन में कुछ भी फ्री में नहीं मिलता। ये पैसा दिल्ली सरकार से आ रहा है, जो दिल्ली के दो करोड़ लोगों के टैक्स का पैसा है। गरीब से गरीब आदमी भी जब बाजार से माचीस, पैंसिल या कलम कुछ भी समान खरीदता है तो उसपर जीएसटी, एक्साइज समेत कई टैक्स देता है। उनके टैक्स के पैसों से आपको शिक्षा मिल रही है। आप आगे चलकर जिस भी क्षेत्र में जाओ लेकिन अपने देश को नहीं भूलना। क्योकि इस देश ने आपको अच्छी शिक्षा दी है। उन्होंने कहा कि मेरे मन में भी देश के लिए हमेशा यही भावना रहती है। 1989 में मैं आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग पास किया। वहां हमें सारी सुविधाएं मिलती थी, लेकिन हमारी ट्यूशन फीस 30 रुपये महीना हुआ करती थी। 30 रूपये महीने के अंदर आईआईटी जैसे शानदार संस्थान में इतनी शानदार पढ़ाई नहीं हो सकती। मेरा देश मुझे पढ़ा रहा था। मेरा देश नें मेरी शिक्षा के ऊपर पैसा खर्च किया, इसलिए मैं आज यहां तक पहुंच पाया। इसलिए आप जो भी बन जाओ ये हमेशा याद रखना की आपके देश ने आपको पढ़ाया है। इस देश का सबसे बड़ा योगदान है। आप इस देश की सेवा जरूर करना। 

नौ साल पहले जब हम दिल्ली के सरकारी स्कूलों में जाते थे तो उसकी जर्जर हालत देखकर आंखों में आंसू आ जाते थे

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि मैंने खुद दिल्ली के एक नामी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की है। लेकिन मैं आज यह दावा कर सकती हूं कि मेरे प्राइवेट स्कूल की बिल्डिंग किसी भी तरह से आरपीवीवी ए-3 पश्चिम विहार की बिल्डिंग को टक्कर नहीं दे सकती है। यह बिंल्डिंग दिल्ली के बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों को पीछे छोड़ देती है। हमें इस शानदार स्कूल की बिंल्डिंग देखकर उस पुराने समय को भूलना नहीं है। मुझे 2015 का वो समय याद है, जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार बनी थी। उस समय हमने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को सुधारने का वादा किया था। जब हमने दिल्ली के सरकारी स्कूलों के अंदर जाना शुरू किया तो सरकारी स्कूलों की हालत देखकर आंखों में आंसू आ जाते थे। ये सिर्फ नौ साल पहले की ही बात है। सबसे पहले टॉयलेट की बदबू आती थी, टेबल-कुर्सी नहीं होते थे, खिड़कियां, लाइटें और ब्लैक बोर्ड टूटे हुए होते थे। टीचरों की जगह-जगह ड्यूटी लगाई जाती थी, जिसके चलते वो क्लास में पढ़ा नहीं पाते थे। इसलिए सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे एक हीन भावना से ग्रसित होते थे। उनको लगता था कि हमारे मां-बाप के पास पैसे नहीं हैं इस वजह से हम सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। अगर हमारे मां-बाप के पास पैसे होते तो हम भी बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते।

सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा क्रांति आ गई है

शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि पिछले नौ साल में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की क्रांति आई है। इस दौरान हमने ना सिर्फ नए स्कूल बनवाए बल्कि स्कूलों में हो रही कमरों की कमी को भी पूरा किया। 2015 में पूरी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मात्र 24 हजार कमरे हुआ करते थे। यानि 1947 में जब देश आजाद हुआ तबसे 2015 तक दिल्ली में केवल 24 हजार कमरे बने। सीएम अरविंद केजरीवाल ने मात्र 9 साल में 20 हजार यानि लगभग दोगुना कमरे बनाकर दिखा दिए। ये होती है लीडरशिप। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली के सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों से किसी मामले में कम नहीं हैं। पिछले 7 सालों से लगातार दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे, प्राइवेट स्कूलों से बेहतर आ रहे हैं। आज इस स्कूल बिल्डिंग में आरपीवीवी के साथ अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस चल रहा है। अब वह जमाना चला गया, जब लोग एडमिशन के लिए प्राइवेट स्कूलों के बाहर लाइनें लगाया करते थे। आज हमारे दिल्ली के सरकारी स्कूलों, अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस के बाहर लाइनें लगती हैं।

स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस की 6 हजार सीटों के लिए 1.40 लाख बच्चों ने आवेदन किया

शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि ये अरविंद केजरीवाल की शिक्षा क्रांति का ही कमाल है कि इस साल जब हमारे एएसओएसई के लिए 6 हजार सीटों पर एडमिशन खुला तो 1 लाख 40 हजार बच्चों ने आवेदन पत्र आए। आज हमारे सरकारी स्कूल से पढ़े हुए बच्चे किसी दुकान में नौकरी, किसी के घर में काम, कहीं ड्राइवर या मैकेनिक का काम करने के बारे में नहीं सोचते हैं। आज दिल्ली के सरकारी स्कूल से पढ़े हुए बच्चा ये सोचता है कि आईआईटी में एडमिशन ले लूं, कंप्यूटर साइंस इंजीनियर बन जाऊं, जेई पास कर लूं, नीट क्लीयर कर लूं, बड़ा डॉक्टर या इंजीनियर बन जाऊं, अपना बिजनेस या रेस्टोरेन्ट शुरू कर लूं। आज ये हैं दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चे और ये है अरविंद केजरीवाल की शिक्षा क्रांति। पिछले कई सालों से हर साल दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 500 से ज्यादा बच्चों ने आईआईटी और नीट का इग्जाम पास किया। पिछले साल हमारे 1500 से ज्यादा बच्चो ने आईआईटी और नीट का इग्जाम पास किया था। आज वो बच्चों देश के बड़े-बड़े डॉक्टर और इंजीनियर कॉलेज में दाखिला ले लेकर पढ़ाई कर रहे हैं।

सीएम केजरीवाल हर बच्चे को अच्छा भविष्य देने के लिए दिन-रात काम करते हैं

शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा ने शिक्षा क्रांति के लिए सभी दिल्लीवासियों की तरफ से सीएम अरविंद केजरीवाल का धन्यवाद करते हुए कहा कि किसी भी मां-बाप के लिए उनके बच्चे सबसे जरूरी होते हैं। हम पूरी जिंदगी इसलिए मेहनत करते हैं कि हम अपने बच्चों को अपने से बेहतर जिंदगी दे पाएं, अपने बच्चों को अच्छा भविष्य दे पाएं। दिल्लीवालों का सौभाग्य है कि उन्हें अरविंद केजरीवाल जैसा मुख्यमंत्री मिला है, जो आपके बच्चों के बारे में आप से ज्यादा चिंता करते हैं। आपसे ज्यादा मेहनत करते हैं और उनको अच्छा भविष्य देने के लिए दिन रात काम करते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले कुछ सालों में जब हम दिल्ली यूनीवर्सिटी, आईआईटी और नीट की एडमिशन लिस्ट को देखेंगे तो हमें आरपीवीवी ए3 पश्चिम विहार के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की एक लंबी लिस्ट उसमें दिखेगी।

दिल्ली सरकार ने डेढ साल में बिल्डिंग बनाकर किया समर्पित

यह स्कूल भवन भूतल के अलावा तीन मंजिला बना है, जिसे पीडब्ल्यूडी ने बनाया है। इससे पहले 1997 में भूतल समेत दो मंजिला बिल्डिंग का निर्माण किया गया था और 45 अर्ध स्थायी संरचना भी शामिल है। यह स्कूल 1990 के दशक में दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा स्थापित शुरूआती तीन राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालयों में से एक है। सुरक्षा कारणों से 2019 में इस स्कूल में बने अर्ध स्थायी संरचरना वाले कमरों को गिरा दिया गया था। बच्चों की शिक्षा पर विपरित असर न पड़े, इसे देखते हुए अस्थाई शेड में कक्षाओं का संचालन किया जा रहा था। केजरीवाल सरकार ने 2020 में स्कूल परिसर में ग्राउंड के अलावा तीन मंजिला बिल्डिंग बनाने की मंजूरी दी। जुलाई 2022 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ और फरवरी 2024 में निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया।

नई बिल्डिंग में बने हैं 129 बड़े-बड़े कमरे

स्कूल की जमीन का कुल क्षेत्रफल 14,713.041 वर्ग मीटर है, जो लगभग 3.6 एकड़ है। नई बिल्डिंग में 129 बड़े-बड़े कमरे बने हैं। जिसमें ग्रीन बोर्ड और फर्नीचर से लैस 54 क्लास रूम, 13 लैब, लाइब्रेरी, एक्टिविटी और अन्य कमरे, हर मंजिल पर टॉयलेट ब्लॉक और दो लिफ्ट, 130 लोगों की क्षमता वाला एयर कंडीशन्ड हॉल, असेंबली के लिए खुला मैदान है।

अगले शैक्षिक सत्र से स्कूल में एस्टीम करिकुलम की भी पढ़ाई होगी

वर्तमान में इस स्कूल में राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय (आरपीवीवी) और अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस-ह्यूमैनिटीज के बच्चे पढ़ते हैं। आरपीवीवी में 10वीं, 11वीं और 12वीं के 245 छात्र हैं, जबकि एएसओएसई में 9वीं और 10वीं के 110 छात्र ह्यूमैनिटी की पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं आगामी शैक्षिक सत्र 2024-25 में एस्टीम (एसटीईएम) का करिकुलम भी लागू किया जाएगा। यहां पश्चिम विहार, नांगलोई और पीरागढ़ी से बच्चे पढ़ने आते हैं। साथ ही यह पश्चिम दिल्ली का यह पहला अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस (एएसओएसई) है। इसलिए टिकरी और रनहौला जैसे दूर-दराज इलाकों के बच्चे भी यहां पढ़ने के लिए आते हैं। इस स्कूल में 9वीं से 12वीं में ह्सूमेनिटी और एसटीईएम स्ट्रीम को मिलाकर 1200 बच्चों का एडमिशन किया जाएगा। बच्चों के लिए विश्वस्तरीय लैबोरेटरी और लाइब्रेरी की सुविधा मिलेगी। स्कूल परिसर में बने अस्थायी शेड को हटाकर वहां बास्केटबॉल और बैडमिंटन कोर्ट के लिए ग्राउंड बनाया जाएगा।

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