पहले से चल रहे कालकाजी व मलकागंज लाइटहाउस सेंटर में तीन हजार युवा ट्रेनिंग लेकर रोजगार या नौकरी कर रहे हैं
पढ़-लिखकर अगर रोजगार न मिले तो शिक्षा किस काम की, इसलिए मेरी कोशिश है कि कैसे युवाओं के लिए रोजगार पैदा करूं
देश में ऐसा डर का माहौल है कि पिछले कुछ सालों में 12 लाख अमीर लोगों ने भारत छोड़कर विदेशी नागरिकता ले ली है
देश में रोजगार बढ़ने के बजाय कम होते जा रहे हैं, हमें इसी माहौल में युवाओं के लिए रोजगार पैदा करना है
इन सेंटर्स में 30 तरह के कोर्स कराए जाते हैं, मटिया महल लाइटहाउस सेंटर में हर साल एक हजार युवा ट्रेनिंग ले सकेंगे
Eros Times: कभी भूतिया घर कही जाने वाली इस बिल्डिंग को हमने हाईटेक स्किल सेंटर लाइटहाउस में बदल दिया है यह लाइटहाउस इलाके के युवाओं को विश्वस्तरीय स्किल डिवेलपमेंट और जॉब प्लेसमेंट का अवसर प्रदान करेगा केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देकर जॉब ओरिएंटेड बनाने के उद्देश्य से मंगलवार को पुरानी दिल्ली इलाके में तीसरे लाइटहाउस स्किल सेंटर की शुरूआत की। सीएम अरविंद केजरीवाल ने मटिया महल में स्थित इस सेंटर का उद्घाटन किया। जबकि कालकाजी व मलकागंज में चल रहे लाइटहाउस सेंटर में अब तक तीन हजार युवा स्किल ट्रेनिंग ले चुके हैं। सीएम ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को हमें शिक्षा के साथ स्किल भी देनी है। पढ़-लिखकर अगर रोजगार ही न मिले तो फिर शिक्षा किस काम की। इसलिए मेरी ये कोशिश है कि कैसे युवाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करूं। आज देश में ऐसा डर का माहौल है कि पिछले कुछ सालों में 12 लाख अमीर लोग भारत छोड़कर विदेशी नागरिकता ले चुके हैं। देश में रोजगार बढ़ने के बजाय कम होते जा रहे हैं। लेकिन हमें रोना नहीं है, बल्कि इसी माहौल में युवाओं के लिए रोजगार पैदा करना है।
लाइटहाउस स्किल सेंटर का उद्घाटन करने के उपरांत सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। दिल्ली में हमारी सरकार बने सात-आठ साल हो गए हैं। हमने शुरू से ही शिक्षा पर सबसे ज्यादा जोर दिया है। मटिया महल में भी एक शानदार स्कूल बनाया है, जो पहले एकदम खंडहर हुआ करता था। पहले सरकारी स्कूलों को बहुत बुरा हाल होता था। उसमें गरीबों के बच्चे पढ़ने जाया करते थे। लेकिन अब सारे सरकारी स्कूल शानदार बना दिए। दिल्ली की जनता ने हम लोगों पर विश्वास कर आम आदमी पार्टी को एमसीडी में भी जिताया। अब एमसीडी के भी स्कूलों को शानदार बनाएंगे। एमसीडी के स्कूलों को भी ठीक करने का काम शुरु किया है। अब प्राइवेट स्कूलों से भी अपने बच्चों का नाम कटाकर लोग सरकारी स्कूलों में भर्ती करा रहे हैं। लेकिन शिक्षा के बाद अगर रोजगार न मिले तो फिर शिक्षा किस काम की। सबसे पहले आदमी पढ़ लिखकर अपने परिवार के लिए कमाने के बारे में सोचता है। लेकिन अगर पढ़ने के बाद भी रोजगार न मिले तो उस शिक्षा का कोई फायदा नहीं है। मेरी कोशिश यही है कि मैं अपने युवाओं के लिए रोजगार कैसे पैदा करूं?
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज देश की अर्थव्यवस्था का ऐसा हाल हो गया है कि नए रोजगार पैदा होने की बजाय देशभर में अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे खराब होती जा रही है। एक आंकड़ा यह बताता है कि पिछले कुछ सालों में 12 लाख अमीर लोग, व्यापारी और उद्योगपति भारत छोड़कर दूसरे देशों में चले गए और वहां की नागरिकता ले ली। क्योंकि देश में ऐसा डर का माहौल है कि हमारे देश में कोई काम ही नहीं करना चाहता है। अगर लोग अपना काम-धंधा, उद्योग या फैक्ट्रियां बंद करके विदेशों में जाएंगे तो हमारे बच्चे रोजगार लेने के लिए कहां जाएंगे? पूरे देश में महौल ऐसा है कि रोजगार बढ़ने के बजाय कम होते जा रहे हैं। लेकिन हमें इस माहौल को देखकर रोना नहीं है। आज देश में जो भी माहौल है, इसी माहौल के अंदर जितना हम कर सकते हैं, उतना करके हमें अपने युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने हैं। इस परिप्रेक्ष्य में मुझे बेहद खुशी है कि आज ये लाइटहाउस स्किल सेंटर मटिया महल में बना है।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे पता चला है कि पहले इसे भूत बंगला कहा जाता था। उसी भूत बंगले को इतना शानदार बनाया गया, जहां से अब इस इलाके युवाओं को रोजगार मिला करेगा। दिल्ली में ये तीसरा लाइटहाउस स्किल सेंटर बना है। पिछले साल मार्च में मलकागंज और कालकाजी में दो लाइटहाउस सेंटर शुरू हो चुके हैं। वहां पर अब तक करीब तीन हजार बच्चों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इसमें से एक हजार बच्चों को रोजगार भी मिल गया है। यहां पर केवल ट्रेनिंग ही नहीं दी जाती, बल्कि ट्रेनिंग के बाद रोजगार दिलाने की भी पूरी कोशिश करते हैं। ऐसा नहीं कि कॉलेज की तरह डिग्री ले ली और रोजगार नहीं मिला।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बहुत सारे युवा 10वीं और 12वीं में फेल हो जाते हैं और कई बच्चों में आत्मविश्वास खत्म हो जाता है। बहुत सारे बच्चे ऐसे परिवार से आते हैं जहां परिवार में पहुत सारे लड़ाई झगड़े हैं। उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी होती है। यहां पर ऐसे बच्चों का व्यक्तित्व विकास करते हैं। उनको इंग्लिश बोलना सिखाते हैं। साथ ही यहां 30 तरह के कोर्स हैं, उनमें से बच्चा अपनी पसंद का कोई कोर्स कर सकता है। यहां सबसे ज्यादा डिमांड डिजिटल, कंप्यूटर, आईटी, ग्राफिक्स डिजाइनिंग और चाइनीज खाना बनाने की है। कई बच्चे अपना चाइनीज रेस्टोरेंट खोलना चाहते हैं। लाइट हाउस सेंटर से ट्रेनिंग लेकर काफी बच्चे अच्छी नौकरी कर रहे हैं और कुछ अपना रोजगार भी कर रहे हैं। झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले युवाओं के अंदर आत्मनिश्वास की कमी रहती है। वे ज्यादा पढ़ाई-लिखाई नहीं कर पाते और वो बेरोजगार रह जाते हैं। हमारा मकसद ऐसे युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देकर जॉब ओरिएंटेड बनाना है। दिल्ली का यह तीसरा लाइटहाउस सेंटर है, जबकि चौथा पटपड़गंज में बन रहा है। अब ऐसे ही बहुत सारे लाइटहाउस पूरी दिल्ली में खोले जाएंगे।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह भूत बंगला हमारे कागजों में कम्यूनिटी सेंटर के नाम से दर्ज हैं। ऐसे कई सारे कम्यूनिटी सेंटर दिल्ली सरकार के पास हैं। कम्युनिटी सेंटर में बच्चों को स्किल्स ट्रेनिंग देंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को रोजगार मिल सके। यहां पर ऐसे बच्चे आते हैं जो लंबी अवधि का कोर्स नहीं कर सकते। उनको तीन से चार महीने का कोर्स चाहिए ताकि तुरंत कोई नौकरी मिल जाए और घर का खर्चा चलना चालू हो जाए। ऐसे युवाओं के लिए यह लाइटहाउस स्किल सेंटर बहुत उपयोगी है। इस सेंटर करीब एक हजार युवाओं को तैयार किया जाएगा। अप्रैल 2023 से इस सेंटर पर सीताराम बजार, नबी करीम, पहाड़गंज और मटिया महल के आसपास के इलाकों से बच्चे आने भी लगे हैं। उन्होंने डेल फाउंडेशन का धन्यवाद करते हुए कहा कि ये सेंटर तो दिल्ली सरकार ने दिया, लेकिन इसे चलाने का सारा खर्चा डेल फाउंडेशन दे रहे है। साथ ही एक और संस्था लाइट हाउस है, जिनको ट्रेनिंग देने में महारथ हासिल है। इन लोगों ने दिल्ली में यह सेंटर बनाने शुरु किए हैं।
सरकारी शिक्षा प्रणाली को बदलने के बाद अब केजरीवाल सरकार का विजन हर युवा के लिए रोजगार उपलब्ध कराना है
इस अवसर पर तकनीकी शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि मटिया महल में जिस बिल्डिंग में लाइटहाउस शुरू किया गया है, उसे उसकी खंडहर हालत के कारण ‘‘भूतिया घर’’ कहा जाता था। लेकिन शिक्षा की हमारी प्रतिबद्धता ने उस ‘‘भूतिया घर’’ को आधुनिक और हाईटेक स्किल सेंटर ‘लाइटहाउस’ में बदल दिया है। यह लाइटहाउस क्षेत्र के युवाओं को विश्वस्तरीय स्किल डिवेलपमेंट और जॉब प्लेसमेंट का अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि जब किसी क्षेत्र में कोई स्किल सेंटर खुलता है, तो लोग सोचते हैं कि यहां केवल सिलाई या कढ़ाई सिखाया जाएगा। लेकिन केजरीवाल सरकार ने पिछले 8 वर्षों में शिक्षा, सरकारी स्कूलों और स्किल्स सेंटर्स को एक नई परिभाषा दी है। केजरीवाल सरकार से पहले ये माना जाता था कि सभी हाईटेक सुविधाएं केवल अमीर परिवारों के बच्चों के लिए है। चाहे वो स्कूल-कॉलेज या अस्पताल हो। लेकिन पिछले 8 वर्षों में सीएम अरविंद केजरीवाल ने नए मानक स्थापित किए हैं और दिल्ली में सभी के लिए समान विश्व स्तरीय, उच्च स्तरीय सुविधाएं मुहैया कराई हैं। चाहे वे किसी भी तबके से न हो। तकनीकी मैं ग़रीब पृष्ठभूमि के बच्चों के भविष्य के बारे में सोचने और उन्हें आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करने के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल को धन्यवाद देना चाहती हूं
मंत्री आतिशी ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में दिल्ली शिक्षा क्रांति ने राज्य में सरकारी शिक्षा प्रणाली को बदल दिया है। आज दिल्ली के सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों से बेहतर नतीजे हासिल कर रहे हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्र आईआईटी में दाखिला ले रहे हैं। अभिभावक अब अपने बच्चों को निजी स्कूलों से हटाकर दिल्ली सरकार के स्कूलों में दाख़िला करवा रहे हैं। अब सीएम अरविंद केजरीवाल का विज़न दिल्ली में हर युवा को रोज़गार उपलब्ध करवाने का है। वह लगातार अपने मंत्रियों को ऐसी योजनाओं पर काम करने का निर्देश देते हैं जो युवाओं को रोजगार खोजने में मदद कर सकें। मटिया महल लाइटहाउस का उद्घाटन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अक्सर वंचित पृष्ठभूमि के युवा तैयारी की कमी, अंग्रेजी बोलने के कौशल और कई अन्य कारणों से इंटरव्यू में सफल नहीं हो पाते हैं। यह लाइटहाउस उनके सभी मुद्दों का समाधान करेगा और उन्हें कम्युनिकेशन, डिजाइनिंग, बैंकिंग, मार्केटिंग आदि जैसे कौशल प्रदान करेगा। मुझे विश्वास है कि अगली बार जब हम यहां आएंगे, तो हम यहां छात्रों को जॉब्स के प्लेसमेंट लेटर प्रदान करेंगे।
डीएसईयू अब तक तीन हजार युवाओं को दे चुका है स्किल एजुकेशन
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में युवाओं की अपस्किलिंग की दिशा में मंगलवार को मटिया महल में तीसरे दिल्ली स्किल एंड आंत्रप्रिंयोरशिप यूनिवर्सिटी (डीएसईयू) और लाइट हाउस का उद्घाटन किया है। इससे पहले दो सेंटर्स कालकाजी और मलकागंज में काम कर रहे हैं। 2022 से शुरु हुए इस प्रोग्राम का उद्देशय दिल्ली में आर्थिक रुप से कमजोर छात्रों को जॉब ओरिएंटेड स्किल एजुकेशन देना है। दिल्ली स्किल व आंत्रप्रिंयोरशिप यूनिवर्सिटी (डीएसईयू) ने अब तक तीन हजार से अधिक युवाओं को लाइफ और वर्किंग स्किल्स सिखाई हैं। इसमे से एक हजार युवा इन स्किल्स को सीख कर नौकरी कर रहे हैं तो कुछ ने अपना रोजगार शुरु कर दिया है।
मटिया महल के सेंटर हर साल एक हजार युवाओं को मिलेगी स्किल की ट्रेनिंग
डीएसईयू एंड लाइटहाउस सेंटर के जरिए 18-35 वर्ष के उम्र के आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं को जॉब ओरिएंटेड स्किल एजुकेशन दी जाती है। ये युवा अपनी आर्थिक परेशानियों के चलते जॉब ओरिएंटेड कोर्स में एजमिशन नहीं ले पाते हैं, जिसके चलते उनके पास आगे चलकर अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं। मटिया महल में हर साल ऐसे एक हजार से अधिक युवाओं को स्किल्स किया जाएगा। यहां बड़ी संख्या में युवा सीताराम बाजार, नबीकरिम, पहाड़गंज और एलएनजेपी कॉलोनी से हैं।
कौशल विकास के लिए एडवांस स्तर की सुविधाएं मौजूद
मटिया महल स्थित डीएसईयू एवं लाइटहाउस सेंटर में सभी एडवांस तकनीकी सुविधाओं से लैस 10 ट्रेनिंग रूम हैं। साथ ही फाउंडेशन कोर्स एक्टिविटीज के लिए ‘‘खज़ाना’’ (हॉल), स्पोकन इंग्लिश क्लास, आईटी स्किल कोर्स के लिए एक डिजीटल ‘‘टेक हब’’, वाई-फाई कनेक्शन के साथ एक ‘‘डिजिटल इंपावरमेंट’’ रूम और 20 से ज्यादा कंप्यूटर, एक बेकरी कक्षा, फैशन डिजाइनिंग कक्ष, ब्यूटी पार्लर और मेकअप कक्ष, एक ऑनलाइन क्लास और एक-एक कैरियर काउंसलिंग रूम भी है। इसके अलावा, यहां दो इंटरैक्टिव एरिया भी हैं जहां टीचर्स ग्रुप एक्टिविटी करा सकेंगे और इसे सेल्फ लर्निंग के लिए भी काम में लिया जा सकेगा।
जीवन-कौशल निर्माण से युवाओं के बेहतर विकास पर फोकस
लाइटहाउस प्रोग्राम की मदद से युवाओं को अपनी कमजोरियों को पहचावकर उस पर काम करने, अपनी क्षमताओं को पहचानने के लिए एक बेहतर माहौल देने पर जोर दिया गया है। यहां युवाओं को सहानुभूति, हिम्मत, सहानुभूति और आपस में मिल जुलकर रहने और एक अच्छा नागरिक बनाने की भी कोशिश की जाएगी। इसलिए यह प्रोग्राम केवल एक ‘जॉब-प्लेसमेंट’ कार्यक्रम होने से कहीं आगे निकल जाता है। जीवन-कौशल निर्माण के तहत यहां 50 घंटे के फाउंडेशन कोर्स युवाओं को अपना भविष्य बेहतर बनाने में मदद करता हैं। इसके तहत उन्हें इंग्लिश और डिजिटल लिटरेसी भी सिखाई जाती है। जिसके बाद छात्रों को अपना करियर चुनने में आसानी होती है।
युवाओं के पास अपना विकल्प चुनने की आजादी
लाइटहाउस मॉडल की इस अनूठी पहल में छात्रों को हाई क्वालिटी वाले शॉर्ट टर्म बिजनेस स्किल कोर्स के साथ रोजगार के अवसर भी मिलते हैं। हर लाइटहाउस में तीस से अधिक कौशल पाठ्यक्रम पेश किए जाते हैं, जिनमें से छात्रों के पास अपनी पसंद से कोई भी करियर चुनने की आजादी होती है। मटिया महल लाइटहाउस में इस समय युवाओं के बीच आईटी-आईटीईएस, डिजिटल मार्केटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग और जनरल ड्यूटी असिस्टेंट कोर्स और ‘द आर्ट ऑफ इंडो-चाइनीज क्विजीन’ जैसे स्पेशल कोर्सेज की काफी डिमांड है।
पुणे मॉडल पर आधारित है लाइटहाउस प्रोग्राम
दिल्ली स्किल व आंत्रप्रिंयोरशिप यूनिवर्सिटी (डीएसईयू) ने लाइटहाउस कम्युनिटीज फाउंडेशन और माइकल एंड सुसान डेल फाउंडेशन के साथ मिलकर दिल्ली में अबतक चार लाइटहाउस प्रोग्राम शुरु किए हैं। यह प्रोग्राम पुणे मॉडल पर आधारित है। साथ ही देश में यह प्रोग्राम चार राज्यों और 10 शहरों में फैला हुआ है। जिसने अब तक करीब चालीस हजार युवाओं में स्किल विकास किया है, जिसमें तीस हजार युवाओं ने अपनी मन पसंद स्किल सीखी और करीब 25 हजार युवाओं को रोजगार मिला।
डीएसईयू एवं लाइटहाउस के सकारात्मक परिणाम
दिल्ली में मार्च 2022 में लाइटहाउस प्रोग्राम लॉन्च होने के बाद से इसके परिणाम शानदार रहे हैं। इसने करीब तीन हजार युवाओं में स्किल विकसित करने का काम किया है। इससे एक हजार युवाओं ने अपना रोजगार शुरु किया। आज इस प्रोग्राम के कई ऐसे लाभार्थी हैं जिन्होंने इससे अपने भविष्य को बेहतर बनाया है।
आदित्य कुमार सैनी
मलका गंज कम्यूनिटी से आने वाले आदित्य इंडिगो एयरलाइंस में अकाउंट्स एक्जीक्यूटिव हैं और 32 हजार प्रति माह कमा रहे हैं, इनके पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं।
नताशा कुमारी
दक्षिण दिल्ली के खानपुर कम्यूनिटी से आने वाली नताशा वी5 ग्लोबल के साथ बैक ऑफिस एक्जीक्यूटिव के रूप में काम करते हुए 25 हजार रुपये प्रति माह कमाती हैं। डीएसईयू-लाइटहाउस में आने से पहले उन्होंने बीए की पढ़ाई पूरी की। उनके पिता एक चपरासी हैं और मां एक गृहिणी हैं।
वीरेंद्र कुमार
कालकाजी के एक कैंप में रहने वाले 22 वर्षीय वीरेंद्र फ़्लेका ऑनलाइन ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ अकाउंटेंट के रूप में काम करते हुए प्रति माह 25 हजार रुपये कमा रहे हैं। उनके पिता दर्जी का काम करते हैं और मां गृहिणी हैं।
नीलम
मलका गंज में नेहरू कुटिया कम्यूनिटी से आने वाली नीलम बाइजस के साथ बिजनेस डिवेलपमेंट एसोसिएट के रूप में काम करते हुए 25 हजार से अधिक की कमाई प्रति माह करती हैं। उसके पिता ड्राइवर हैं।