
विश्व में भगवान् के अलावा किसी का भी अस्तित्व इस संसार में नही है। यदि आप भगवान शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहते है तो आप उसे ऊर्जा या बुद्धि कह सकते हैं। सृष्टि का मूल सारे अस्तित्व में विद्यमान है और वह सिर्फ एक है; सिर्फ एक सूर्य है, परंतु आप उसे किसी भी खिड़की से देख सकते हो। इस दुनिया में कई पैगम्बर आये और चले गए। वे सब एक ही खिड़की के जैसे थे। किसी भी खिड़की से आप उसी सूर्य, आकाश को देख सकते हो। एक आकाश जो एक दीवार के पीछे है, वह एक खिड़की के पीछे भी है। वह कुत्ते, बिल्ली, पेड़-पत्ते और चीटियों में भी विधमान है। भगवन हर चीज में है। खिड़की से आप उससे चूक ही नहीं सकते क्योंकि खिड़की बहुत ही पारदर्शी होती है। सारे शब्द जिनका हम प्रयोग करते है और जो वार्तालाप हम उससे करते हैं, उसका उद्देश्य हमारे दिलों कमें प्रेम और मौन का सृजन करना होता है। यदि शब्द लोगों के मन में अशांति लाते हैं, तो उन शब्दो नें सचमुच अपने आप को पूरा नहीं किया है और वे अपने सही राह पर नहीं हैं जब मन शिकायत कर रहा होता है तो वह इस बात से सजग नहीं होता कि वह शिकायत कर रहा है। उससे सजग होता कि वह शिकायत कर रहा है। उससे सजग होना पहला कदम है, फिर आपके पास क्या है, उसके प्रति सजग होना है। आपका दिल आभार से परिपूर्ण हो जायेगा, और फिर सारी शिकायत ही गायब हो जाएगी, और आप काफी सरल, स्वाभाविक, प्रेमपूर्ण और मुक्त हो जाओगे।