नई दिल्ली, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने कहा आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने के प्रोजेक्ट में बहुत बड़ा घोटाला किया है।
13 अक्टूबर 2015 को दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए केबिनेट ने 130 करोड़ के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी जिसके लिए नवम्बर 2017 में टेडर जारी किए गए जिसमें दो बिडर में से एक सफल बिडर रहा और इस टेंडर को रद्द कर दिया गया और 6 फरवरी 2018 को दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए 571.40 करोड़ का एक नया टेंडर बदली हुई शर्तों के साथ मंजूर किया।
जिसमें से कुल बजट का 44 प्रतिशत अर्थात 250 करोड़ रुपया सीसीटीवी कैमरों के रखरखाव के लिए रखा गया। अर्थात कुल केपिटल राशि का 78 प्रतिशत रखरखाव के लिए होगा। (5 अप्रैल 2018 की ई.एफ.सी. एक्सपेन्डीचर फाईनेंस कमेटी के मिन्टस की कापी संलग्न है)
बड़ी चौका देने वाली बात है कि 5 अप्रैल 2018 की ई.एफ.सी. एक्सपेन्डीचर फाईनेंस कमेटी जिसके अध्यक्ष दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व वित मंत्री मनीष सिसोदिया व पीडब्लूडी मंत्री सतेन्द्र जैन सदस्य है।
उन्होंने यह निर्णय लिया कि इस प्रस्ताव को विस्तृत एक्शन प्लान के साथ केबिनेट के सामने रखा जाएगा।
अर्थात यह प्रोजेक्ट मंत्रीमंडल के द्वारा भी मंजूर होना बाकी है। हैरानी वाली बात यह है कि इस प्रोजेक्ट को कम्पीटेंट अथारिटी से मंजूरी नही मिली थी उससे पहले आरएफपी को निमंत्रण दिया गया तथा टेंडर को पीडब्लूडी ने मंजूरी दे दी।
5 अप्रैल 2018 की ईएफसी मिन्टस में यह भी लिखा गया है कि टेंडर को लेकर इस प्रकार की मंजूरी नही होती है और प्रींसिपल सेक्रेटरी पीडब्लूडी ने कमेटी को यह भी बताया कि क्योंकि यह सुरक्षा केन्द्रित प्रोजेक्ट है इसलिए इस काम को कराने के लिए पीडब्लूडी कार्यकारी संस्था होगी।
जब सीसीटीवी लगाने के प्रोजेक्ट को केबिनेट की मंजूरी नही दी गई तो उससे पहले 571.40 करोड़ का नया टेंडर कैसे मंजूर किया गया। यह घोटाला नही है तो और क्या है?
प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अपने साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल में दिल्ली के विकास के लिए न तो कोई कार्य किया और जो भी कार्य किया उसमें भ्रष्टाचार की सारी हदें पार हुई है।
जब भी केजरीवाल दिल्ली की जनता को अपने किए गए वायदों में असफल नजर आते है तो वे अपनी नाकामी का ठीकरा दिल्ली के उपराज्यपाल के उपर फोड़कर अपना पल्ला झाड़ लेते है। संवाददाता सम्मेलन में अजय माकन के साथ दिल्ली के पूर्व मंत्री हारुन यूसूफ, मुख्य प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी, वरिष्ठ नेता चतर सिंह, दिल्ली प्रदेश प्रोफेश्नल कांग्रेस चैयरमेन अमन पंवार, आरटीआई सेल चैयरमेन व निगम पार्षद वेद प्रकाश, चीफ मीडिया कॉआर्डिनेटर मेंहदी माजिद मौजूद थे।
5 अप्रैल 2018 की ईएफसी मीटिंग की मिन्टस जो कि दिल्ली सरकार की वेबसाईट पर उपलब्ध हैं जिसके चैयरमेन दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व वितमंत्री मनीष सिसोदिया तथा सदस्य पीडब्लूडी मंत्री सतेन्द्र जैन है।
मिन्ट्स के पेज नः 3 पर सीसीटीवी कैमरे के संबध में पेरा ठ;पपद्ध में यह साफ तौर पर कहा गया है कि कमेटी ने यह आब्जर्व किया किया उससे पहले आरएफपी को निमंत्रण दिया गया तथा टेंडर को पीडब्लूडी ने मंजूरी दे दी।
5 अप्रैल 2018 की ईएफसी मिन्टस में यह भी लिखा गया है कि टेंडर को लेकर इस प्रकार की मंजूरी नही होती तथा पेरा B(iii) में यह भी कहा गया था कि राजस्व विभाग को इस प्रोजेक्ट का स्टेक होल्डर के रुप में सम्मलित किया जाए इस मिन्ट्स में यह भी कहा गया कि यह सुरक्षा केन्द्रित प्रोजेक्ट है इसलिए इस काम को कराने के लिए पीडब्लूडी कार्यकारी संस्था होगी।
इसी प्रकार पेरा B(iv)(c) में यह कहा गया कि क्योंकि इस प्रोजेक्ट में पांच साल के लिए कम्प्रीहेन्सीव मेन्टेनेन्स कम्पोनेन्ट 250.44 करोड़ की लागत से है इसलिए इसके लिए सीसीटीवी कैमरों की प्रीवेन्टिव मेन्टेनेन्स, संबधित इन्फ्रास्ट्रक्चर, कार्य क्षमता स्टेन्डर्ड, खराब इक्वूपमेन्ट के बदले जाने/मरम्मत इत्यादि की विस्तृत रुपरेखा तैयार की जाएगी। इसी प्रकार मिन्टस् के पेरा 5(a)में यह साफतौर पर कहा गया है कि इस प्रस्ताव की एप्रूवल तथा सेंशन के विस्तृत एक्शन प्लान के साथ प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए केबिनेट के सामने रखा जाएगा।
दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने के जिस प्रोजेक्ट की शुरुआत में लागत 130 करोड़ थी वह बढ़कर 571.40 करोड़ कैसे हो गई।130करोड़ के टेंडर को जारी करने तथा उसके पश्चात इसकी लागत 571.40 करोड़ करने से संबधित दोनो टेंडरों की जानकारियां दिल्ली सरकार की वेबसाईट पर जानबूझ कर हटा दी गई क्योंकि सीसीटीवी कैमरे लगाने के इस प्रक्रिया में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। जबकि अन्य डीटीसी बसों व स्कूल में लगाए जाने वाले सीसीटीवी के टेडरों की जानाकरियां वेबसाईट पर उपलब्ध है।
अभी तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सीसीटीवी कैमरे में किए गए घोटाले के दोषी मन्त्रियों व अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नही की? सीसीटीवी कैमरे में हुए घोटाले तथा दिल्ली में अभी तक सीसीटीवी कैमरे न लगाए जाने की अपनी नाकामी को छिपाने के लिए केजरीवाल के पास उपराज्यपाल के सिर पर ठीकरा फोड़ने के अलावा कोई चारा नही है। ज्ञात हो कि अरविन्द केजरीवाल और उनकी आप पार्टी ने निर्भया कांड के पश्चात 2015 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव में दिल्ली में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में पूरी दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने को एक राजनीतिक मुद्दा बनाकर पूरी
मुद्दा बनाकर पूरी दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने का वायदा भी किया था। केजरीवाल अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए प्रेस को गलत जानकारी देकर खबरे लगवाते है ताकि दिल्ली की जनता के सामने बेचारा बनकर यह संदेश दे सके कि वे तो काम करना चाहते है, परंतु उपराज्यपाल उनको काम नही करने दे रहे।
कांग्रेस पार्टी से निगम पार्षद रहे रवि कल्सी को प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने कांग्रेस का पटका पहनाकर दोबारा कांग्रेस में शामिल किया।