नई दिल्ली, इरोस टाइम्स: बाॅलीवुड के प्रख्यात अभिनेता अनुपम खेर ने डिप्रेशन पर आधारित स्पिरिचुअल फिक्शन नाॅवेल ‘द स्पिरिट आॅफ द रिवर’ का लोकार्पण किया। लोकार्पण के मौके पर नाॅवेल की लेखिका करीना अरोड़ा के साथ हे हाउस पब्लिशर्स के सीईओ अशोक चोपड़ा भी मौजूद थे।
हे हाउस पब्लिशर्स की ओर से प्रकाशित ‘द स्पिरिट आॅफ द रिवर’ में सभी प्रकार के भावनात्मक और आध्यात्मिक भार को हाइलाइट किया गया है, जिन्हें मानव द्वारा दैनिक आधार पर सहन किया जाता है। नाॅवेल का केंद्रीय पात्र है जोय, जिसने अभी-अभी युवावस्था में कदम रखा है और उम्र के इस पड़ाव पर कदम रखते ही उसका सामना कई तरह के दबावों से होता है। जोई द्वारा हासिल एक नए वयस्क जीवन और उसके शुरुआती दुखद अनुभव हमें नुकसान और उसके प्रभाव के बारे में बातचीत शुरू करने के लिए मजबूर करते हैं। अपने 18 वें जन्मदिन के साथ अब भी एक खुश नई स्मृति, उसके माता-पिता की असामयिक मृत्यु से सामना कर रहा है। इतनी बड़ी हानि की हकीकत जोई को दुःख के अंधेरे कोनों में फेंकता है, लेकिन उसे अप्रत्याशित यात्रा पर भी ले जाता है, जहां वह खुद को जीवन का अनुभव करने के लिए बहुत कुछ सीखती है। नाॅवेल के कथ्य सादगी है और ताजा भी है, इसलिए कहानी आकर्षक और प्रेरणादायक दोनों है।
किताब के बारे में अनुपम खेर ने कहा, ‘यह किताब नुकसान की भावना के बारे में है।
उम्र के ऐसे पड़ाव पर माता-पिता को खोना बहुत कष्टकारक है। कैसे एक युवा लड़की जोई उस असहनीय हानि से उबर पाती है, यह सब इस किताब में आश्चर्यजनक तरीके से बताया गया है।’ जबकि युवाओं के बीच अवसाद के बारे में उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आज के युवाओं को परिस्थितियों में फिट न होंने को लेकर ज्यादा तनाव है, जैसे- मैं फिट होना चाहता हूं, मैं अच्छा देखना चाहता हूं। यह सब चीजें तनाव पैदा करने के बड़े कारकों में शुमार हैं।’ भौतिकवादी चीजों और सोशल मीडिया पर उन्होंने कहा, ‘आप मशीन के साथ निरंतर नहीं रह सकते हैं, जैसे कि मोबाइल, इंटरनेट जैसी और चीजें, निश्चित स्तर पर आप मशीन की तरह बन जाएंगे।
जानकारी केवल जीवन के माध्यम से जाकर ज्ञान में बदल जाती है, अन्यथा यह सिर्फ जानकारी होगी।’ दूसरी ओर, पुस्तक की लेखक करीना अरोड़ा ने बताया, ‘यह पुस्तक आपके अंदरूनी आत्म के बारे में है, यह आप के अंदर से है, बाहर के पहलू के बारे में नहीं, जैसे आप क्या हैं, किस तरह दिख रहे हैं जैसे। यह किताब लिखने के पीछे का मकसद अवसाद के साथ सामना करने के तरीके बताना है। यह एक बहुत दूर की अवधारणा है, मैंने व्यक्तिगत रूप से इस स्थिति का अनुभव नहीं किया है, लेकिन जैसा कि मैंने कई किताबें पढ़ी हैं, मेरे पास जीवन के लिए अलग दृष्टिकोण और परिप्रेक्ष्य है।’
उल्लेखनीय है कि करीना अरोड़ा 17 साल थीं, जब उन्होंने इस किताब के बारे में लिखना शुरू कर दिया था और 18 साल की उम्र सेे इसे पूरा कर लिया। वर्तमान में वह ऑस्ट्रेलिया से अपनी व्यावसायिक डिग्री का पीछा कर रही हैं।