राजस्थान सरकार के राज्य मंत्री उद्योग एंव वाणिज्य विभाग, युवा कल्याण एवं खेल विभाग, कौशल, योजना और उद्यमिता विभाग, नीति निर्माण विभाग, के.के. विश्नोई ने मेला का दौरा किया और मेले के आयोजकों एवं प्रतिभागियों की सराहना की
नॉलेज सेमिनार और बिजनेस नेटवर्किंग रहे दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण
Eros Times: ग्रेटर नोएडा – इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे में 6 से 10 फरवरी 2024 तक आयोजित आईएचजीएफ दिल्ली मेले -स्प्रिंग 2024 के 57वें संस्करण का दूसरा दिन काफी व्यस्त रहा। इस व्यस्त दिन में कई देशों के खरीदारों नेटवर्किंग और व्यापार के लिए मेले में शिरकत की । इन खरीदारों ने उत्पादों की नई रेंज की सराहना की है और इसके साथ ही बड़े पैमाने पर ऑर्डर भी दिए।राजस्थान सरकार के राज्य मंत्री, उद्योग और वाणिज्य विभाग, युवा मामले और खेल विभाग, कौशल, योजना और उद्यमिता विभाग, नीति निर्माण विभाग, के.के. बिश्नोई, ने आज मेले का दौरा किया और आयोजकों के साथ-साथ प्रदर्शकों की सराहना की। उन्होंने कहा, “विरासत समर्थित और समसामयिक विविधता के साथ सुंदर रचना, उस विशाल खजाने का उदाहरण देती है जिस पर इस उद्योग को गर्व है। मैं इतनी बड़ी संख्या में, विशेषकर छोटे और मध्यम प्रदर्शकों औऱ संस्थाएं, जो अपनी कड़ी मेहनत, रचनात्मकता और उद्यमों के साथ भारत के सुदूर क्षेत्रों से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ाने में सक्षम हैं उ्हें आईएचजीएफ दिल्ली मेले का मंच प्रदान करने में ईपीसीएच की भूमिका की सराहना करता हूं।”
ईपीसीएच के अध्यक्ष दिलीप बैद ने 2030 तक हस्तशिल्प निर्यात को मौजूदा स्तर से तीन गुना यानी ‘तीन गुना तीस तक’ हासिल करने के ईपीसीएच के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को साझा किया। उन्होंने इस लक्ष्य के बारे में समझाते हुए कहा, “इस दिशा में, ईपीसीएच बहु-आयामी रणनीतियों को अपना रहा है जिसमें उत्पाद विकास, पैकेजिंग नवाचार, ब्रांड निर्माण, बढ़ी हुई उत्पादकता, मौजूदा को मजबूत करने और नए बाजारों को लक्षित करने, गुणवत्ता और मानक, सतत विकास, अनुपालन में उभरते रुझानों और डिजाइन हस्तक्षेप पर ध्यान केंद्रित करना, नए कच्चे माल की शुरूआत और भी बहुत कुछ शामिल है और इन सभी पहलों को मेले में शानदार ढंग से उजागर किया गया है। “
आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा, “किसी भी उद्योग के लिए लोग, मानवसंसाधन और जनशक्ति सबसे महत्वपूर्ण हैं। हस्तशिल्प उद्योग में कारीगरों और शिल्पकारों की अपनी हिस्सेदारी है, सही प्रशिक्षण और मौलिक ज्ञान वाले कर्मी भी इसके कार्य और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दिशा में, हस्तशिल्प निर्यात प्रबंधन अध्ययन केंद्र, जिसे लोकप्रिय रूप से सीएचईएमएस (चेम्स) के नाम से जाना जाता है, 2019 में ईपीसीएच द्वारा लॉन्च किया गया था। इस केंद्र में चल रहे पाठ्यक्रम प्लेसमेंट सहायता प्रदान करते हैं और पाठ्यक्रम के मॉड्यूल में निर्यात व्यवसाय के बुनियादी सिद्धांतों, दस्तावेज़ीकरण और उद्योग प्रदर्शन में शिक्षा शामिल है। 588 छात्रों सहित 34 बैचों ने स्नातक किया है, जिनमें से 150 पहले से ही ईपीसीएच के साथ निर्यातक और सदस्य निर्यातक हैं। उनमें से कई लोग मेले में अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं।”
ईपीसीएच के वाइस चेयरमैन (दि्वतीय) डॉ. नीरज खन्ना ने इस अवसर पर साझा किया, “चौदह विविध उत्पाद क्षेत्रों में फैले प्रदर्शक स्टॉल और आगामी सीज़न के लिए घर, फैशन, जीवन शैली, फर्निशिंग और फर्नीचर के संग्रह से भरे हुए, और प्रचुर मात्रा में माल विभिन्न प्रकार के रंगों, बनावटों, आकारों के साथ जीवंत दिखाई देते हैं। यह सभी दुनिया भर के शोरूमों तक ले जाने के लिए तैयार है। कई नए और नियमित खरीदार हमारे प्रदर्शकों के साथ जुड़ते हुए देखे जाते हैं।”
आईएचजीएफ दिल्ली मेला-स्प्रिंग 2024 की मेला अध्यक्ष श्रीमती प्रिया अग्रवाल ने कहा, “आज हमारे सेमिनार शुरू हो गए हैं और आज उपस्थित लोगों ने ‘एमर्जिंग होराइजन्स: नैविगेटिंग फ्यूचर ट्रेंड्स’ और ड्राइविंग ग्रोथ विद प्रोडक्टिविटी एंड कैपिटल एफिशिएन्सी’ विषयक सेमेनारों में विषयों की गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त की है। इसके अलावा भी शो के दौरान और भी बहुत कुछ प्लान किया गया है।”
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के कार्यकारी निदेशक आर.के वर्मा ने बताया कि ईपीसीएच दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारतीय हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने और उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प उत्पादों और सेवाओं के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेशों में भारत की छवि और होम,जीवनशैली,कपड़ा, फर्नीचर और फैशन आभूषण और सहायक उपकरण के उत्पादन में लगे क्राफ्ट क्लस्टर के लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड इमेज बनाने के लिए जिम्मेदार एक नोडल संस्थान है।
इस अवसर पर ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर के वर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान हस्तशिल्प निर्यात 30,019.24 करोड़ रुपये (3,728.47 मिलियन डॉलर) रहा।