शादी के बाद कुछ महिलाएं अपनी नौकरी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बच्चे पैदा करने में देरी करती हैं, जो उनको मां बनने से रोकती है। निसंतानता की समस्या से जुझ रही महिलाओं को बार बार क्लिनिक के चक्कर भी लगाती हैं। हालाँकि, कई मामलों में महिला IVF इलाज को चुनती है पर गर्भधारण करने में असमर्थ होती है। फिलहाल निसंतानता की समस्या से 10 से 14% भारतीय जोड़ों प्रभावित हो रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि हम जिस वातावरण में रहते हैं उसका हमारी लाइफस्टाइल में और हमारी संभावित प्रजनन क्षमता पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। समय के साथ बांझपन एक मेडिकल कंडिशन से ज्यादा लाइफस्टाइल की समस्या बन गई है। आज इस लेख में हम आपको महिला निसंतानता के कारणों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
ट्यूब में रुकावट
डॉ. चंचल शर्मा का कहना है की ज्यादातर महिलाओं को गर्भाधारण न हो पाने का कारण तब पता चलता है, जब डॉक्टर उनको एचएसजी टेस्ट करवाने के लिए सलाह देते है। फैलोपियन ट्यूब बंद हो तो अंडा और शुक्राणु नहीं मिल पाते है। जिससे निषेचन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है और महिला को निसंतानता की समस्या से झेलना पड़ता है।पीरियड की समस्या
अगर अनियमित पीरियड्स, पीरियड्स के दौरान परेशानी या पीरियड्स न होने की समस्या है तो फीमेल इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। कई महिलाओं को अपने पीरियड्स ठीक से या समय पर नहीं आते हैं और कुछ को अपने पीरियड्स के दौरान अत्यधिक परेशानी होती है।
गर्भाशय में रक्तस्राव
मासिक धर्म के अलावा, मामूली गर्भाशय रक्तस्राव भी निसंतानता का कारण हो सकता है। इसे रेशेदार रक्तस्राव या रसोली भी कहाते है। यह मांसपेशी टिश्यू से बना ट्यूमर का एक रूप है। इस स्थिति में महिला के गर्भवती होने के बाद गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। डॉ. चंचल के अनुसार, यदि फाइब्रॉएड का आकार छोटा है, तो उन्हें दवाओं के साथ ठीक किया जा सकता है, लेकिन इसका आकार बड़ा होने पर सर्जरी द्वारा निकाला जाता है।
सेक्स के समय दर्द होना
अगर आपको सेक्स करते समय दर्द होता हैं तो इसे नजरअंदाज न करें। एंडोमेट्रियोसिस, जो पीरियड्स के आम दिनों में भी असुविधा पैदा कर सकता है। यह ऊतक अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, केवीटी के बाहर की मांसपेशियों, श्रोणि और आंत में रेशे बन जाते है। नतीजतन, अंग आपस में चिपक जाते हैं, जिससे काफी पीड़ा होती है।
वजन और चेहरे पर बालों का बढ़ना
शरीर में पुरुष हार्मोन के बढ़ने के कारण गाल, ठुड्डी और पीठ पर बाल आने लगते हैं। इसके अतिरिक्त, अगर आपके शरीर का वजन बढ़ना शुरू हो जाता है, तो आपको पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या हो सकती है। ऐसे मामले में डॉक्टर से परामर्श लें।
डॉ. चंचल शर्मा का मानना है कि इन सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। जिस तरह एलोपैथिक चिकित्सा में आईवीएफ विकल्प है उसी तरह आयुर्वेद में प्राकृतिक चिकित्सा संभव हैं। निसंतानता की किसी भी समस्या के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा सबसे प्रभावी और सस्ता विकल्प है। आईवीएफ की तुलना में इसकी सफलता दर भी बहुत अधिक है।